हाथों का कंपकंपाना बहुत आम लगता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये किसी बड़ी समस्या का संकेत भी साबित हो सकता है? ऐसा हो सकता है कि हाथों का कंपकंपाना हाल ही में शुरू हुआ हो या फिर ऐसा भी हो सकता है कि ये लगातार हो रहा हो और दिन प्रति दिन ये बिगड़ रहा हो। चाहे जो भी तरीका हो इसे एक्सपर्ट्स ने 'Tremor' नाम दिया है।
ये किसी बीमारी, स्ट्रेस, एंग्जायटी आदि के कारण हो सकता है। आपको लगेगा कि ये बढ़ती उम्र के कारण होता है, लेकिन यकीन मानिए ये आपकी सोच से ज्यादा कॉमन है।
इस बारे में क्या कहती है रिसर्च?
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की तरफ से इस विषय में रिसर्च की गई है और उसे health.harvard.edu वेबसाइट में पब्लिश किया गया है। उस रिसर्च में इस हैंड शिवरिंग के कई कारण बताए गए हैं जो हम आपको बताते हैं। ये रिसर्च मानती है कि हैंड शिवरिंग किसी नॉर्मल कारण से भी हो सकती है, लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि ये किसी बड़ी समस्या का कारण हो। इसलिए हमेशा(बच्चों को होने वाली 5 कॉमन बीमारियां)
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कितनी तरह की होती है हैंड शिवरिंग-
अब इसके बारे में कुछ बात करते हैं और जानते हैं कि कितनी तरह की होती है हैंड शिवरिंग।(इन टिप्स से पीसीओडी रहेगा कंट्रोल)
1. बढ़ी हुई साइकोलॉजिकल ट्रेमोर-
कैफीन का इस्तेमाल, थायराइड की समस्या, स्ट्रेस, थकान और नींद की कमी इसे पैदा कर सकती है।
2. मेडिकेशन की वजह से होने वाली ट्रेमोर-
कुछ दवाओं के इस्तेमाल के कारण इस तरह की समस्याएं होने लगती हैं। एंटी-डिप्रेसेंट्स से लेकर अस्थमा आदि की दवाओं तक ये कई तरह का हो सकता है।
3. पार्किंसोनियन ट्रेमोर-
इस तरह की ट्रेमोर अधिकतर न्यूरोलॉजिकल समस्या पार्किंसन के कारण होती है।
4. एसेंशियल ट्रेमोर-
ये अधिकतर शरीर के अन्य हिस्सों में होता है और पॉश्चर की समस्या भी दिखाता है।
5. सेरेबेलर ट्रेमोर-
ये ट्रेमोर तब होती है जब दिमाग के पिछले हिस्से में कोई स्ट्रोक या फिर किसी तरह का डैमेज हो जाता है। ये काफी खतरनाक हो सकती है।
6. पोस्ट-स्ट्रोक ट्रेमोर-
ये तब होती है जब किसी इंसान को स्ट्रोक आया हो।
7. विथड्रावल ट्रेमोर-
अल्कोहल या निकोटीन को छोड़ते ही इस तरह की ट्रेमोर फील होती है। ये थोड़े दिनों में ठीक हो जाती है।
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कैसे करें इसका ट्रीटमेंट?
सबसे पहले तो आपको ये पता करना होगा कि आखिर ये किस वजह से हो रही है और उसके लिए डॉक्टर फिजिकल एग्जाम और कई तरह के मेडिकल टेस्ट करवाएगा। इसी के साथ, आपकी और परिवार की मेडिकल हिस्ट्री भी देखी जाएगी।
इसके ट्रीटमेंट के लिए डॉक्टर उसी हिसाब से आपको सलाह देगा। कई तरह की दवाएं, फिजियोथेरेपी आदि भी करवाई जाती है।
पर जो भी करें वो हमेशा डॉक्टर की सलाह के बाद ही करें। बिना उसके कुछ भी करना खतरे से खाली नहीं होगा।
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