बदलते मौसम में सर्दी-जुकाम और संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ जाता है। काली खांसी भी एक ऐसी ही समस्या है जिसका संक्रमण बदलते मौसम में बढ़ जाता है। इसलिए अगर आप यह सोच रहे हैं कि सर्दियां जा चुकी हैं और अब आप खांसी-जुकाम से सुरक्षित हैं तो यह सोचना गलत है। दरअसल, काली खांसी पैदा करने वाले बैक्टीरिया किसी भी मौसम में हवा के माध्यम से फैल सकते हैं। इसलिए इससे बचाव के लिए सही जानकारी का होना आवश्यक है।
इस आर्टिकल में हम आपको इसी बारे में सही और पूरी जानकारी देने का प्रयास कर रहे हैं। बता दें कि हमने इस बारे में लखनऊ के जनरल फिजिशियन डॉ. बृजेंद्र सिंह से बात की है और उनसे मिली जानकारी यहां आपके साथ शेयर कर रहे हैं।
क्या है काली खांसी?
डॉ. बृजेंद्र सिंह बताते हैं कि काली खांसी ‘बोर्डेटेला पर्टुसिस’ नामक बैक्टीरिया के कारण फैलता है, जो श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है। इसलिए इसे मेडिकल भाषा में पर्टुसिस (Pertussis) कहा जाता है।
क्या है काली खांसी के लक्षण?
काली खांसी के संक्रमण में शुरुआती दिनों में जहां तेज बुखार के साथ खांसी आना, नाक बहना या नाक बंद होना और आंखों का लाल होना जैसे लक्षण नजर आते हैं। वहीं बाद के दिनों में खांसी के साथ गले से आवाज आना, उल्टी आना या शारीरिक थकान महसूस हो सकती है। अगर यह समस्या अधिक दिनों तक बनी रहे तो इसके कारण सांस लेने में दिक्कत भी आ सकती है। इसलिए समय रहते इसकी पहचान और उपचार बेहद जरूरी है। बता दें कि अस्थमा से पीड़ित लोगों में काली खांसी का खतरा अधिक रहता है। इन लोगों को काली खांसी के चलते काफी दिक्कतें आ सकती हैं। वहीं अगर बचपन में किसी काली खांसी का संक्रमण हो जाए तो अस्थमा होने का खतरा बढ़ जाता है।
कैसे हो सकता है बचाव?
मालूम हो कि काली खांसी का खतरा छोटे बच्चों में अधिक होता है, यहां तक कि नवजात बच्चों के लिए यह जानलेवा भी हो सकता है। ऐसे में इससे बचाव के लिए डीटीएपी (डिप्थीरिया, टेटनस और एसेल्यूलर पर्टुसिस) वैक्सीन लगाई जाती है।
काली खांसी का उपचार
काली खांसी के संक्रमण के उपचार के लिए डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन की सलाह देते हैं। वहीं स्थिति गंभीर होने पर पीड़ित व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती भी कराया जा सकता है। वहीं अगर सही देखभाल की जाए तो पीड़ित को अस्पताल ले जाने की नौबत नहीं आती है। इसके लिए कुछ सावधानियों को ध्यान रखना जरूरी है, चलिए इन सावधानियों के बारे में भी जान लेते हैं।
भरपूर आराम करें
काली खांसी के संक्रमण के कारण थकान और शरीर में कमजोरी हो सकती है। ऐसे में पीड़ित व्यक्ति को पर्याप्त आराम की आवश्यकता होती है। इसलिए अनावश्यक गतिविधियों और शारीरिक परिश्रम से बचें।
खान-पान का ध्यान रखें
इस स्थिति में खान-पान का ध्यान रखना भी जरूरी है। ऐसी स्थिति में हल्का और सुपाच्य भोजन ही लेना चाहिए। इसके साथ ही अधिक से अधिक तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए। गर्म पेय पदार्थों का सेवन खांसी से बचाव में सहायक होता है। इसके लिए हल्दी वाला दूध, ग्रीन टी और अदरक से बने काढ़े का सेवन लाभकारी साबित होता है।
साफ-सफाई का ध्यान रखें
काली खांसी के संक्रमण के फैलने की संभावना को खत्म करने के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखना भी जरूरी है। इसके लिए पीड़ित के आस-पास रहने वाले लोगों को खास सावधानी बरतनी चाहिए। पीड़ित व्यक्ति से मिलने के बाद अपने हाथों को अच्छी तरह से धोएं।
दवाओं के प्रयोग में बरतें सावधानी
काली खांसी के संक्रमण की अवस्था में सामान्य खांसी की दवा लेने से बचें। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे मरीज की परेशानी बढ़ सकती हैं। काली खांसी की गंभीर अवस्था में अगर आपको मरीज सांस लेने में दिक्कत पेश आ रही हैं तो आप वेपोराइजर का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन वेपोराइजर के अधिक प्रयोग से बचना चाहिए।
उम्मीद करते हैं कि सेहत से जुड़ी यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों और परिचितों के साथ शेयर करना न भूलें।
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