हम चश्मा क्यों पहनते हैं? सीधा सा जवाब है,कि हमें साफ दिखाई दे। जो पावर आपकी जा चुकी है, उसी पावर का चश्मा बनवाया जाता है, ताकि आंखे सुरक्षित रहे और सब कुछ क्लियर नजर आए। आपका चश्मा आपकी आंखों का गार्ड होता है। इसलिए हमेशा ही साफ सुथरा और अच्छी क्वालिटी वाला ही चश्मा पहननी चाहिए। वहीं, कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिनके चश्में पर खरोंच आ जाता है और यह कहकर उसी चश्मे को लंबे वक्त तक पहनते हैं, कि अरे...अभी तो चश्मे का नंबर एकदम सही है। क्या आप भी उन्हीं में से एक हैं? अगर हां तो ऐसा करना आपकी आंखों के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है।
आजकल बहुत ऐसे लोग हैं जो की लेंस पर स्क्रैच आने के बावजूद उसका इस्तेमाल करते रहते हैं। यह सोचते हैं, कि जब तक नंबर नहीं बदलता है, तो लेंस बदलवाने की क्या जरूरत है? लेकिन सच यह है कि स्क्रैच सिर्फ देखने की गुणवत्ता नहीं बल्कि आंखों की सेहत को भी धीरे-धीरे प्रभावित करता है।एक्सपर्ट से जानते हैं कि स्क्रैच वाला चश्मा लगाने से क्या क्या दिक्कतें हो सकती है।DR. PURENDRA BHASIN,MBBS, MS (Ophthamology),Founder & Director,Ratan Jyoti Netralaya Gwalior इस बारे में जानकारी दे रहे हैं।
स्क्रैच वाला चश्मा पहनने से क्या होता है?
एक्सपर्ट बताते हैं कि जब चश्मा के लेंस पर खरोच होती है, तो उनसे देखने पर छवि पूरी तरह से साफ नहीं बनती है। आंखों को उसे धुंधली या टूटी-फूटी छवि को समझने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है और इसके परिणामस्वरूप आंखों में दर्द, लगातार सिर दर्द, आंखों में जलन या सूखापन, धुंधलापन या विजन क्लेरिटी में गिरावट आती है। इन लक्षणों को रोज झेलना आपकी आंखों के कार्यक्षमता को धीरे-धीरे कमजोर कर सकता है। इससे काम करने में परेशानी होती है।खासकर अगर आपको लंबे वक्त कंप्यूटर पर बैठकर काम करते हैं,तो इससे आपको और भी परेशानी हो सकती है।
एक्सपर्ट बताते हैं स्क्रैच वाला चश्मा आपकी आंखों के लिए छुपे हुए खतरे की जैसा है। खरोच लगे लेंस पर रोशनी का परावर्तन ज्यादा होता है। इससे धूप में बाहर निकलते वक्त या रात में गाड़ी चलाते समय परेशानियां बढ़ सकती है। अचानक तेज रोशनी आंखों को चुभने लगती है। सड़क पर सामने आ रही है हैडलाइट्स की चमक देखने में बाधा बन जाती है और इससे दुर्घटना का खतरा भी बढ़ सकता है।
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चश्मे के लेंस पर अक्सर एंटी रिफ्लेक्टिव ब्लू लाइट फिल्टर या यूवी प्रोटेक्शन कोटिंग होती है। जब लेंस पर खरोच आती हैं, तो यह कोटिंग धीरे-धीरे खराब होने लगती है,जिससे आपकी आंखों की सुरक्षा पर असर पड़ सकता है। सूरज की हानीकारक किरणों से आंखों का बचाव नहीं होता है। डिजीटल स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट आपकी आंखों तक पहुंचने लगती है और लंबी अवधि तक ऐसा करने से मोतियाबींद या अन्य नेत्र रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
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Image Credit- freepik
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