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प्रेग्नेंसी के पहले और बाद में इन वैक्सीन्स से मिलेगी मां और बच्चे को इम्यूनिटी

प्रेग्नेंसी के पहले, उसके दौरान और डिलिवरी के बाद महिलाओं को किस तरह के वैक्सीन लेने चाहिए और इसका कैसा असर मां और बच्चे की सेहत पर पड़ता है ये जानिए इस आर्टिकल में।
Editorial
Updated:- 2020-06-01, 14:44 IST

महिलाएं अपने बच्चों के साथ हर पल रहने की कोशिश करती हैं। वो उनके साथ खाना खाती हैं, अपने साथ उन्हें लेकर जाती हैं और उन्हें अपने साथ ही रखने की कोशिश करती है। ऐसे समय में जहां मां अपने बच्चों की देखभाल करती है वहीं मां की बीमारी भी बच्चों को लग सकती है। आप ये बिलकुल नहीं चाहेंगी कि आपके बच्चे को किसी भी प्रकार की बीमारी लगे। ऐसे में वैक्सीन लेना आपके बच्चे को कई तरह की बीमारियों से बचा सकता है। ऐसा करने से बच्चे का भविष्य भी सुरक्षित हो सकता है। आखिर कई बीमारियों को लेकर आपकी सुरक्षा और इम्यूनिटी ही बच्चे के लिए कवच का काम कर सकती है।
 
वैक्सीन तीन तरह के होते हैं। लाइव वैक्सीन, किल्ड वैक्सीन, टॉक्सॉइड्स। लाइव वैक्सीन प्रेग्नेंसी के दौरान नहीं लगवाने चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि ये वैक्सीन बच्चे के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। अब आपको उन वैक्सीन के बारे में बताते हैं जिन्हें प्रेग्नेंसी के पहले, प्रेग्नेंसी के दौरान और प्रेग्नेंसी के बाद महिलाएं ले सकती हैं जिससे उनका बच्चा खतरनाक बीमारियों से सुरक्षित रहे।

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प्रेग्नेंसी के पहले लिए जाने वाले वैक्सीन-

MMR (मीजल्स, मम्पस और रूबेला)

MMR यानी मीजल्स, मम्पस और रूबेला (खसरा, कण्ठमाला और रूबेला) बहुत ही खतरनाक बीमारियां हैं। प्रेग्नेंसी के पहले तीन महीने में तो इनके कारण गर्भपात भी हो सकता है या फिर बच्चे में जन्म दोष भी हो सकते हैं। क्योंकि ये लाइव वैक्सीन है इसलिए ये बेहतर है कि कोई महिला इसे कंसीव करने के कम से कम एक महीने पहले ले ताकि बच्चे की सेहत को किसी तरह का नुकसान न हो।

चिकनपॉक्स

वैसे तो चिकनपॉक्स को इतनी खतरनाक बीमारी नहीं माना जाता है, क्योंकि इसमें बुखार के साथ रैश होते हैं। लेकिन, प्रेग्नेंसी के दौरान ये बीमारी मां और बच्चे दोनों के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकती है। अगर प्रेग्नेंसी के पहले तीन महीने में कोई महिला इस बीमारी की चपेट में आ जाती है तो ऐसा मुमकिन हो सकता है कि बच्चे को कई तरह के जन्म दोष हों। अगर प्रेग्नेंसी के आखिरी समय में ये बीमारी होती है तो महिला बहुत ज्यादा बीमार हो सकती है और ऐसा भी हो सकता है कि डिलिवरी के दौरान ये बीमारी बच्चे तक पहुंच जाए।

 

प्रेग्नेंसी के दौरान -

इन्फ्लूएंजा (फ्लू) वैक्सीन

क्योंकि ये वैक्सीन किल्ड वायरस से बना होता है इसलिए ये किसी प्रेग्नेंट महिला और उसके बच्चे के लिए सुरक्षित रहता है। फ्लू सीजन के शुरू होने से पहले ही फ्लू शॉट (वैक्सीन) लेना सही होता है। अगर किसी प्रेग्नेंट महिला को पहले से ही कोई गंभीर बीमारी है और उसे इन्फ्लूएंजा हो जाता है तो उसे मांसपेशियों का दर्द, सिरदर्द, बुखार, खांसी, थकान और गले में खराश जैसी समस्याओं से भी जूझना पड़ेगा। कुछ गंभीर मामलों में इन्फ्लूएंजा बढ़कर निमोनिया में भी तब्दील हो सकता है।

टिटनस टॉक्सॉइड (TT)/ टिटनस/ डिप्थीरिया (Td)

पहले हर प्रेग्नेंट महिला को टिटनस टॉक्सॉइड के दो डोज जरूर दिए जाते थे। हालांकि, अब सभी प्रेग्नेंट महिलाओं को प्रेग्नेंसी की शुरुआत में या तो TT का एक डोज दिया जाता है या फिर TD का डोज। दूसरा डोज Tdap वैक्सीन से रिप्लेस किया जा सकता है।

vaccinations to take before pregnancy

टिटनस / डिप्थीरिया /पर्टुसिस शॉट (Pertussis Shot (Tdap))

क्योंकि ये वैक्सीन टॉक्सॉइड्स से बना होता है इसलिए ये प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए सुरक्षित है। सही मायनों में Tdap शॉट को प्रेग्नेंसी के आखिरी तीन महीनों में लेना चाहिए। टेटनस एक कट या घाव के साथ आपके खून में प्रवेश कर सकता है और बच्चे की मृत्यु का कारण बन सकता है। डिप्थीरिया सांस संबंधित एक बीमारी है जिसके होने पर लकवा या फिर मौत तक हो सकती है। पर्टुसिस या काली खांसी सांस संबंधित एक खतरनाक बीमारी है जो नवजातों या फिर शिशुओं को अपनी चपेट में लेती है। बच्चे जब तक कुछ महीनों के नहीं हो जाते उन्हें इस तरह की बीमारियों के लिए वैक्सीन नहीं दिया जा सकता है इसलिए प्रेग्नेंट महिलाओं को इस तरह का वैक्सीन लेना चाहिए। ऐसे में बच्चे को आपकी इम्यूनिटी मिल सकती है।

अगर स्तिथि गंभीर है और प्रेग्नेंट महिला को इसकी जरूरत है तो हाई-रिस्क वाले कुछ मामलों में हेपिटाइटिस A और B वैक्सीन, न्यूमोकोक्कल वैक्सीन (Pneumococcal vaccine) और पीलिया और रेबीज के वैक्सीन भी लगाए जा सकते हैं। हालांकि, प्रेग्नोंसी के दौरान आम तौर पर इन्हें लगवाने की सलाह नहीं दी जाती है।

 

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डिलिवरी के बाद-

अगर आपने किसी कारण से किसी तरह के वैक्सिनेशन को मिस कर दिया है तो आप उन्हें डिलिवरी के बाद ले सकती हैं। आपकी इम्यूनिटी आपके बच्चे तक ब्रेस्टफीडिंग के जरिए पहुंचेगी और आप दोनों को ही सुरक्षित रखेगी। ज्यादा जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

डॉक्टर अनाहिता चौहान (MD DGO DFP FICOG) को उनकी एक्सपर्ट सलाह के लिए धन्यवाद।

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