कई बार हम अचानक बेहोश हो जाते हैं, आंखों ताले अंधेरा छा जाता है। हालांकि कुछ देर आराम कर लें तो सब कुछ नॉर्मल होता है। ऐसा होना किसी के लिए भी डरावना अनुभव हो सकता है। लेकिन अक्सर हम इस संकेत को नजरअंदाज करते हैं।
हमें लगता है कि थकान, कमजोरी और पानी की कमी के कारण ऐसा हो रहा है। लेकिन हकीकत इससे काफी कोसों दूर है। आपको बता दें कि अचानक से ऐसे होश होने की घटनाएं ब्रेन हैमरेज यानी दिमाग में रक्तस्राव का संकेत हो सकती है, जो की जानलेवा साबित हो सकती है। आइए जानते हैं इस बारे में हेल्थ एक्सपर्ट से Dr Faisal Bari, Head of Emergency, Manipal Hospital, Ghaziabad इस बारे में जानकारी दे रहे हैं।
क्या अचानक से होश खो देना गंभीर संकेत है?
- एक्सपर्ट बताते हैं कि ब्रेन हैमरेज एक तरह का स्ट्रोक होता है, जिसमें दिमाग की किसी रक्त वाहिका यानी ब्लड वेसल में फटने या लीक होने की वजह से खून जमा हो जाता है।
- यह खून मस्तिक और खोपड़ी के बीच दबाव बढ़ा देता है और ऑक्सीजन की सप्लाई रुक जाती है। ऑक्सीजन की कमी से मस्तिष्क की कोशिकाएं तीन या चार मिनट में करने लगते हैं।
- अगर तुरंत इलाज ना मिले तो यह स्थाई शारीरिक और मानसिक विकलांगता या मृत्यु का कारण बन सकता है।
खतरनाक संकेत जिन पर ध्यान देना चाहिए
ब्लैकआउट यानी अचानक बेहोश हो जाना कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। क्योंकि यह ब्रेन में ब्लीडिंग का गंभीर लक्षण हो सकता है। ऐसे में व्यक्ति को तुरंत अस्पताल ले जाना जरूरी होता है क्योंकि समय पर इलाज मौत के खतरे को कम कर सकता है।
- अचानक कमजोरी या सुन्नपन, चेहरे, हाथ या पैर में आमतौर पर शरीर के एक तरफ सुन्नपन हो जाता है।
- तेज और असहनीय दर्द, जो अचानक से शुरू हो और पहले कभी न महसूस हुआ हो।
- भाषा में गड़बड़ी यानी आप स्पष्ट नहीं बोल पा रहे हैं और चीजों को पहचानने में परेशानी हो रही है।
- संतुलन बिगड़ना और चलने में परेशानी होना।
- जी मिचलाना, उल्टी, चक्कर आना जो सामान्य बीमारी जैसी लग सकती है, लेकिन वास्तव में यह मस्तिष्क पर बढ़ते दबाव का संकेत हो सकते हैं।
- दौरे आना, सांस लेने में दिक्कत, हार्ट रेट अनियमित होना। यह लक्षण स्थिति के गंभीर होने की तरफ इशारा करते हैं।
कैसे होती है ब्रेन हैमरेज की पहचान और क्या होता है इलाज ?
- ब्रेन हैमरेज की पुष्टि सीटी स्कैन या MRI से की जाती है। यह स्कैन मस्तिष्क में कहां और कितनी मात्रा में रक्तस्राव हुआ है, यह साफ तौर पर दिखाते हैं।
- इसके साथ ही ब्लड टेस्ट और कुछ न्यूरोलॉजिकल टेस्ट भी किए जाते हैं, ताकि इसके पीछे की संभावित कारण का पता चल सके जैसे हाई ब्लड प्रेशर, रक्त के थक्के बनने की समस्या या कोई पुरानी बीमारी।
इलाज
- मस्तिष्क में बनने वाले दबाव को कम करने, दौरे को रोकने और रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए दवाई दी जाती है।
- अगर मस्तिष्क में खून का थक्का बड़ा हो या मस्तिष्क पर दबाव बहुत ज्यादा बढ़ गया हो तो क्रेनायोटॉमी जैसी सर्जरी की जाती है।
- इसमें खोपड़ी की हड्डी का एक हिस्सा हटाकर जमा हुआ खून निकल जाता है और सूजन कम किया जाता है
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Image Credit:Freepik, SHUTTERSTOCKS
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