खुशी में रोते हैं तो राइट आंख से पहले निकलता है आंसू, जानिए रोने से जुड़े ऐसे ही कुछ फैक्ट्स

क्या आप जानते हैं कि खुशी में पहले किस आंख से आसू निकलता है और दुख में किस आंख से, रोने से जुड़े इन फैक्ट्स के बारे में शायद आपको पता नहीं होगा। 

how crying can affect personality

इंसानी दिमाग बहुत ही कॉम्प्लेक्स होता है और इसे सही से समझना लगभग नामुमकिन ही है। डॉक्टर्स और न्यूरो साइंटिस्ट्स भी इसका कुछ ही हिस्सा समझ पाए हैं। हमारे शरीर में कई ऐसी गतिविधियां होती हैं जिन्हें ध्यान से समझा जाए तो हम पाएंगे कि हर चीज़ किसी ना किसी फैक्ट से जुड़ी है। उदाहरण के तौर पर रोना ही ले लीजिए। रोने से जुड़े कई ऐसे फैक्ट्स हैं जिनके बारे में लोग जानते ही नहीं हैं।

रोना यकीनन आंखों से बैक्टीरिया को हटा देता है और आपको शायद पता ना हो, लेकिन इससे हमारा इम्यून सिस्टम भी स्ट्रॉन्ग होता है क्योंकि स्ट्रेस कम होता है। अगर हम आंसू रोकने की कोशिश करते हैं तो शरीर में ज्यादा स्ट्रेस पैदा होता है इसलिए कहा जाता है कि कभी-कभी रोना अच्छा होता है। पर इससे जुड़े अन्य फैक्ट्स क्या हैं?

हमने इसके लिए क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर पूनम पूनिया से बात की और रोने से जुड़े फैक्ट्स जानने की कोशिश की। उन्होंने हमें आंसुओं से जुड़े कई इंटरेस्टिंग फैक्ट्स बताए।

दुख में लेफ्ट और खुशी में राइट आंख से आता है आंसू-

ये फैक्ट शायद आपको भी काफी इंट्रस्टिंग लगे। डॉक्टर पूनम के अनुसार दुख में हमारी लेफ्ट आंख से अधिकतर पहले आंसू निकलता है और अगर हम खुश होते हैं तो हमारी राइट आंख से पहले आंसू निकलता है। डॉक्टर पूनम के मुताबिक अगर हम रोते हैं तो हमारा शरीर जो दर्द कह नहीं पाता वो आंसू के जरिए निकलता है और यही कारण है कि इसे कुछ हद तक हेल्दी भी माना जाता है।

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क्यों रात में आता है रोना?

लोग अधिकतर रात में रोते हैं क्योंकि उस वक्त इमोशन्स को कंट्रोल करना काफी मुश्किल हो जाता है। ये नींद की कमी के कारण होता है क्योंकि हमारा शरीर काफी स्ट्रेस में रहता है। यही कारण है कि रात में रो लेने के बाद आपको नींद आ जाती है और उसके पहले एंग्जाइटी के कारण नींद नहीं आती है।(आंसुओं को रोकना सेहत के लिए है खतरनाक)

रोने से जुड़ी बीमारी-

एक न्यूरोलॉजिकल कंडीशन जिसे पैथोलॉजिकल लाफिंग एंड क्राइंग (PLC) कहते हैं वो कई लोगों को परेशान करती है। ये किसी भी समय रोने पर मजबूर कर देती है और इसे किसी एक्सपर्ट की सलाह से ही ठीक किया जा सकता है। ये एक तरह का नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर है और अगर कोई इंसान कभी भी अचानक रोने या हंसने लगे और बेवक्त ये प्रतिक्रिया देने लगे तो उसे एक बार एक्सपर्ट से बात जरूर करनी चाहिए।

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इसे जरूर पढ़ें- हेल्‍दी रहना चाहती हैं तो थोड़ा सा रोने में कोई हर्ज नहीं

आखिर क्यों महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा रोती हैं?

अब बात करते हैं महिलाओं के रोने से जुड़े फैक्ट का। पुरुषों की तुलना में हमेशा महिलाएं ही ज्यादा रोती हैं और रिसर्च की मानें तो दुख के आंसुओं का शरीर से भी लेना देना है। Prolactin नामक एक प्रोटीन जो शरीर का हिस्सा होता है वो हमारे एंडोक्राइन सिस्टम पर असर डालता है और यही कारण है कि महिलाओं को पुरुषों की तुलना में ज्यादा रोना आता है। महिलाओं के शरीर में पुरुषों की तुलना में 60% ज्यादा प्रोलैक्टिन होता है।(बच्चों के रोने से जुड़े संकेत)

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आखिर क्यों इतना ज्यादा रोते हैं लोग?

हम ये तो कह रहे हैं कि रोना जरूरी है, लेकिन जरूरत से ज्यादा रोना परेशानी पैदा कर सकता है। हर इंसान की पर्सनालिटी अलग होती है और वो एक ही स्थिति में अलग तरह से रिएक्ट करता है। सभी एक दूसरे से अलग होते हैं और अगर कोई बहुत ज्यादा सेंसिटिव इंसान है तो वो बहुत आसानी से रो देगा और अलग तरह से फंक्शन करेगा। 20% जनसंख्या ऐसी ही होती है। ये एक तरह से उनकी पॉजिटिव पर्सनालिटी का हिस्सा होता है और ये बताता है कि वो दयावान हैं। साथ ही साथ ऐसे लोग अच्छे से सुनते भी हैं और वो काफी क्रिएटिव होते हैं।

उनके लिए रोना ज्यादा बेहतर होता है ताकि उनके इमोशन्स थोड़ा बेहतर हो जाएं और वो डिप्रेशन में ना जाएं।

कैसे करें खुद पर काम?

सबसे पहले ये जरूरी है कि आप अपने आंसुओं का कारण पता करें। ये किसी ताज़ा घटना की वजह से हैं या फिर ये किसी पुराने एक्सपीरियंस के कारण आ रहे हैं। अपने इमोशंस को समझना बहुत जरूरी है।

  • अगर खुद को विक्टिमाइज कर रहे हैं और खुद को बेकार समझ रहे हैं तो थोड़ा सा ध्यान भटकाने की कोशिश करें। ऐसा बार-बार हो रहा है तो एक्सपर्ट से मिलें।
  • अगर सिर्फ किसी ताज़ा समस्या की वजह से ऐसा हो रहा है तो थोड़ा सा रो लेना बेहतर है।
  • बहुत ज्यादा परेशान हैं तो अपना ध्यान भटकाएं और किसी अच्छी चीज को सोचने की कोशिश करें। आप ये सोचें कि आप कुछ भी कर सकते हैं।
  • मेडिटेशन हमेशा ही कारगर साबित होता है।
  • किसी एक्सपर्ट से बात करना या किसी करीबी के सामने अपना दर्द बताना हमेशा लाभकारी होता है।

अगर आप अपनी भावनाओं को कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं तो किसी एक्सपर्ट से मिलें और मदद मांगे। ये बहुत जरूरी है कि आप अपनी सोच का दायरा बढ़ाएं और अपनी भावनाओं को कंट्रोल करना सीखें। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।

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