30 साल की उम्र से पहले पीरियड फ्लो में होने लगते हैं ये बदलाव

उम्र के साथ, पीरियड फ्लो में कई बदलाव आते हैं। कई बार, महिलाओं की साइकिल की लेंथ भी छोटी हो जाती है। अगर आप 30 की उम्र में पहुंचने वाली हैं, तो पीरियड फ्लो में क्या बदलाव हो सकते हैं, चलिए जानते हैं।
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महिलाओं का शरीर, उम्र के साथ कई बदलावों से गुजरता है। उम्र बढ़ने के साथ, हार्मोनल उतार-चढ़ाव का असर, महिलाओं के पूरे शरीर पर होता है। पीरियड्स की शुरुआत 12-13 साल की उम्र से होती है और मेनोपॉज यानी 45-50 साल की उम्र तक महिलाओं को हर महीने पीरियड्स आते हैं। अक्सर हमें लगता है कि पीरियड्स पर उम्र का कोई असर नहीं होता है और टीनएज से मेनोपॉज तक, पीरियड्स हर महीने एक ही पैटर्न में आते हैं। लेकिन आपको बता दें कि उम्र के साथ, पीरियड फ्लो में कई बदलाव आते हैं। कई बार, महिलाओं की साइकिल की लेंथ भी छोटी हो जाती है। 30 की उम्र से पहले महिलाओं के पीरियड फ्लो में भी कुछ बदलाव होते हैं। ये बदलाव क्या होते हैं, इनका महिलाओं के शरीर पर किस तरह असर होता है, क्या इस बारे में डॉक्टर की सलाह लेने की जरूरत है, इस बारे में हमने डॉक्टर अदिति बेदी से बात की। वह कंसल्टेंट गायनेकोलॉजिस्ट और आब्स्टिट्रिशन हैं।

30 साल की उम्र से पहले पीरियड फ्लो में हो सकते हैं ये बदलाव

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  • एक्सपर्ट का कहना है कि टीनएज में जब पीरियड्स की शुरुआत होती है, उस वक्त आपका शरीर भी मेंस्ट्रुअल साइकिल को रेगुलेट करने के सही पैटर्न की तलाश कर रहा होता है। ऐसे में हैवी और अनियमितपीरियड्स हो सकते हैं।
  • वहीं, जब आप 28-29 साल की उम्र तक पहुंच जाती हैं, तो आपके हार्मोन्स एक पैटर्न में आ जाते हैं। इसकी वजह से पीरियड्स का फ्लो पहले से कम हो सकता है।
  • महिलाओं के पीरियड्स और फर्टिलिटी के लिए, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन नामक दो हार्मोन्स जिम्मेदार होते हैं। ये दो हार्मोन्स हर महीने यूट्रस की लाइनिंग की मोटाई को कंट्रोल करते हैं।
  • हर महीने जब ओव्युलेशन होता है, तो शरीर में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का लेवल बढ़ जाता है और इसके बाद ये अचानक से ड्रॉप होता है। इसका असर, आपको मूड और फिजिकल एक्टिविटी पर भी होता है।

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  • जब आप मैच्योर हो जाती हैं यानी आपकी उम्र 30 के आस-पास पहुंचने लगती है, तो आपकी बॉडी इन 2 हार्मोन्स को सही तरह से रेगुलेट करने लगती है।
  • इस समय पर यूट्राइन लाइनिंग हर महीने उतना ज्यादा नहीं सिकुड़ती है और पीरियड फ्लो कम होता है।
  • 30 साल से पहले, कुछ महिलाओं को पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम), एंडोमेट्रियोसिस या अन्य कई हेल्थ कंडीशन्स से दो-चार होना पड़ता है। इसका असर भी महिलाओं की पीरियड साइकिल और फ्लो पर होता है।
  • 30 साल की उम्र से पहले कई महिलाओं को पीएमएस के लक्षण अधिक महसूस होने लगते हैं।
  • अगर आपको पीरियड फ्लो, साइकिल या इस दौरान होने वाले दर्द में बहुत अधिक बदलाव महसूस हो रहा है, तो आपको डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।

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उम्र के साथ, पीरियड फ्लो में कुछ बदलाव होते हैं। अगर आपको फ्लो, साइकिल या दर्द में बहुत अधिक चेंज महसूस हों, तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें। अगर आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या है, तो हमें आर्टिकल के ऊपर दिए गए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम अपने आर्टिकल्स के जरिए आपकी समस्या को हल करने की कोशिश करेंगे।
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Image Credit:Freepik, Shutterstock

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