क्या आपको रात में ठीक से नींद नहीं आती? या फिर एक बार नींद खुल जाने के बाद दोबारा सोना मुश्किल हो जाता हैं? और नींद में ज्यादा नींद आती है और थकान महसूस होती हैं तो सावधान हो जाएं।
कहते हैं मेहनत करने के वालों को अच्छी नींद आती है लेकिन इतना काम करने के बावजूद आजकल नींद ना आने की समस्या देखने को मिलती है। ऐसा बदलती लाइफस्टाइल, भागदौड़ और तनाव के कारण बहुत ज्यादा देखने को मिलता है। फिर भी हम इस समस्या को अनदेखा कर देती हैं। कई बार नींद ना आने की समस्या इतनी गंभीर हो जाती है कि यह हमारी मेंटल हेल्थ पर असर होने लगता है। इसलिए लोग नींद की गोलियों का सहारा लेने लगते हैं।
एक शोध में यह बात सामने आई है। भारत में है और ऐसे मामलों में लगभग 20.3 प्रतिशत रोगी डॉक्टरों से नींद की गोलियां लिखने को कहते हैं। शोध में पता चला है कि कई रोगियों को नींद न आने की शिकायत रहती है, जिसके लिए उनका अत्यधिक व्यस्त कार्यक्रम, रात के समय काम करना और हाई मेंटल स्ट्रेस एक कारण है। Obstructive sleep apnea (ओएसए) सबसे normal sleep disorders में से एक है।
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ओएसए एक ऐसा disorders है, जिसमें नींद के दौरान सांस लेने में बार-बार रुकावट होती है। इसके कुछ कारणों में अधिक वजन, ऊपरी वायुमार्ग का छोटा होना, जीभ का बड़ा आकार और टॉन्सिल जैसी कई समस्याएं देखने को मिलती हैं। हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष एवं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर के.के. अग्रवाल का कहना हैं कि ओएसए नींद का एक सबसे सामान्य प्रकार है, जिसका एक संकेत है खर्राटे आना। ओएसए की वजह से ब्लड में ऑक्सीजन का लेवल कम हो जाता है और नींद में बाधा पड़ने से हार्ट डिजीज का जोखिम पैदा हो जाता है। ओएसए से ग्रस्त आधे लोगों में high blood pressure भी होता है।
उन्होंने कहा, यह पुरुषों में अधिक आम है और बुढ़ापे के साथ इसकी संभावना बढ़ जाती है। यह आनुवांशिक भी हो सकता है। कुछ जातियों के लोग दूसरों की तुलना में इससे अधिक ग्रस्त पाए गए हैं। पुरुषों में 17 इंच से अधिक और महिलाओं में 15 इंच से अधिक चौड़ी गर्दन होने पर यह समस्या हो सकती है।
डॉक्टर अग्रवाल ने बताया, अगर आपको दिन में अधिक नींद आती है और थकान रहती है तो विशिष्ट लक्षणों पर नजर रखना और विशेषज्ञों से परामर्श लेना महत्वपूर्ण है। इसके लिए एक स्लीप लैब में रातभर नींद का टेस्ट किया जाता है। नींद के दौरान मस्तिष्क तरंगों, आंखों और पैरों की गति, ऑक्सीजन लेवल, एयर फ्लो और दिल की रिदम को रिकॉर्ड करके, इस समस्या का पता लगाया जाता है। बढ़े हुए मामलों में सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
लाइफस्टाइल में कुछ परिवर्तन करके आप इस समस्या से बचने या इसे खराब होने से रोकने में हेल्प पा सकते हैं।
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