लखनऊ की ladies हेल्‍थ चेकअप के लिए 'मोबाइल वेलनेस वैन' facility का फायदा उठाइए

ग्रामीण महिलाएं अपने इलाज के लिए बाहर जाना पसंद नहीं करती हैं। लेकिन अब बाहर जाने की जरूरत नहीं क्‍योंकि मोबाइल वैन खुद चलकर उन्हें घर बैठे ये सुविधाएं उपलब्ध करा रही हैं! 

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कहा जाता है ‘जान है तो जहान है’ और अंग्रेजी में भी कहा गया है ‘हेल्थ इज वेल्थ’ यानी हेल्‍थ ही असली संपत्ति है। इन दोनों कहावतों को सही मायनों में साकार कर रही हैं मोबाइल वेलनेस वैन। ये वैन न केवल लोगों की उनके इलाज में मदद कर रही हैं, बल्कि उन्हें हेल्‍थ के प्रति जागरूक भी बना रही हैं। हमारी देश की महिलाएं सभी की सेहत की देखभाल करती हैं, लेकिन जब अपनी बार आती हैं तो वह लापरवाह हो जाती है। खासतौर पर ग्रामीण महिलाएं अपने इलाज के लिए बाहर जाना पसंद नहीं करती हैं। ऐसी महिलाओं को अब परेशान होने की जरूरत नहीं है।

जी हां शहरों में हेल्‍थ सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों तक इनकी पहुंच कठिन होती है, उन्हें किसी छोटे-मोटे चेकअप या सुविधा के लिए भी लंबी यात्रा कर शहर जाना पड़ता है। ऐसे में मोबाइल वैन खुद चलकर उन्हें घर बैठे ये सुविधाएं उपलब्ध करा रही हैं जो ग्रामीण इलाकों के लोगों के लिए बड़ी पहल है।

ग्रामीण भारत के करीब 66 फीसदी लोगों तक महत्वपूर्ण दवाइयों की पहुंच नहीं है और ग्रामीण इलाकों के 31 फीसदी लोगों को स्वास्थ्य देखभाल की तलाश में 30 किलोमीटर से अधिक लंबी यात्रा करनी पड़ती है। मोबाइल वैन की सुविधा उपलब्ध करा रहे हरियाणा के गुरुग्राम स्थित डीएलएफ फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विनय साहनी कहते हैं, “भारत में बुनियादी स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं की उपलब्धता की स्थिति चिंताजनक है। इस पहल का उद्देश्य प्रत्येक नागरिक तक प्राथमिक बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचानी है। सरकार की इस मुहिम के तहत डीएलएफ फाउंडेशन फिलहाल उत्तर प्रदेश के लखनऊ, हरियाणा के पंचकूला, हिमाचल प्रदेश के कसौली और राजधानी दिल्ली-एनसीआर जैसे इलाकों तक पहुंचने में कामयाब रही है।”

मोबाइल वैन के फायदे

मोबाइल वैन आधुनिक सुविधाएं व तकनीकों से लैस होती है। इसमें डाइग्नोस्टिक यूनिट के साथ ही कई पैथोलॉजी टेस्ट और medical test और जांच करने के लिए आधुनिक सुविधाएं होती हैं। इसके अलावा वैन में gynecologist, pathologist और लैब टेक्नीशियन भी मौजूद होते हैं जो चिन्हित इलाकों में घूम-घूमकर चिकित्सीय सुविधाएं प्रदान करते हैं। इस वैन में सरकार द्वारा निर्धारित किसी जांच का शुल्क 80 प्रतिशत कम होता है, जिसका लाभ ग्रामीण इलाके में गरीब से लेकर मध्यम वर्ग तक ले सकते हैं।
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चलता-फिरता क्लीनिक है मोबाइल वैन

नई दिल्ली के पश्चिम विहार स्थित श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट की मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉक्‍टर पिंकी यादव ने बताया, “मोबाइल वेलनेस वैन को एक चलता-फिरता क्लीनिक कहा जाता है जो शहर-गांव के हिस्सों में घूमकर लोगों को medical help उपलब्ध कराती है। यह बच्चों, बूढ़ों और महिलाओं तक खासतौर पर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाती है। साथ ही कार्यस्थलों या कारखानों के आसपास जाकर जरूरतमंद कामकाजी लोगों को चिकित्कीय सहायता प्रदान करती है।”

उन्होंने आगे कहा, “आपातकालीन स्थिति या किसी दुर्घटना में घायल शख्स की तुरंत मदद करती है। इस वेलनेस वैन में अनुभवी डॉक्टर और नर्स होते हैं।
मोबाइल वैन में ब्‍लडप्रेशर की जांच, ग्लूकोज परीक्षण, लिपिड प्रोफाइल, आंखों की जांच, कान का परीक्षण, स्वास्थ्य जानकारी जैसी प्राथमिक चिकित्सा सुविधाएं रहती हैं।”

कैसे काम करती है मोबाइल वैन

मोबाइल वेलनेस कम्युनिटी वैन कैसे काम करती है और उसमें किस तरह की सुविधाएं हैं, इस बारे में नोएडा स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल के फैसिलिटी डायरेक्टर डॉक्‍टर संजय पांडेय ने कहा, “मोबाइल वेलनेस वैन के जरिए हम दूर-दराज के लोगों को घर-घर जाकर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराते हैं। अस्पताल की पहुंच से दूर लोगों के लिए मोबाइल वेलनेस यूनिट एक वरदान जैसी है। हमारे देश में बहुत से लोग मूलभूत स्वास्थ्य संबंधी जानकारियों के प्रति जागरूक नहीं हैं और सोचते हैं कि किसी रोग के प्रारंभिक चरण में चिकित्सक और अस्पताल जाना जरूरी नहीं हैं, हम मोबाइल वैन के माध्यम से उन्हें स्वास्थ्य के प्रति जागरूक और सावधानी बरतने को प्रेरित करते हैं।”

डॉ. पांडेय आगे कहते हैं, “हम लोगों के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करते हैं और इस वैन में मौजूद स्वास्थ्य सुविधाओं के माध्यम से रोगियों की प्रारंभिक जांच करते हैं। अगर किसी मरीज को गंभीर रोग है तो उसकी जांच करके आगे की सलाह देते हैं।” उन्होंने कहा, “हम सरकार की स्वच्छ भारत अभियान मुहिम के तहत लोगों में बीमारियों से बचने के लिए सावधानी बरतने एवं खुले में शौच करने के बजाय शौचालय की जरूरत पर भी जागरूकता फैला रहे हैं।”

ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं के लिए काम करने वाली सरकारी संस्था राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में पता चला है कि भारत के 6,36,000 गांवों में 70 करोड़ लोग रहते हैं, लेकिन इस बड़ी संख्या के बीच मात्र 23,000 प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्र हैं।

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