विटामिन डी की कमी आजकल लोगों में बहुत आम हो गई हैं, यहां तक कि हर दूसरा व्यक्ति इससे परेशान है। जी हां विटामिन डी या विटामिन डी 3 जिसे आमतौर पर घुलनशील प्रो-हार्मोन कहा जाता है, ये हड्डियों के मेटाबॉलिज्म में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह कैल्शियम के अवशोषण के लिए जरूरी है। ब्लड में कैल्शियम और फॉस्फेट के नॉर्मल लेवल को बनाए रखने के लिए विटामिन डी की जरूरत होती है, जो शरीर में हड्डियों के नॉर्मल मिनरल, मसल्स के संकुचन, नर्वस कंडक्शन और सेल्स के सामान्य सेलुलर काम के लिए जरूरी होता है। यह एक महत्वपूर्ण तत्व है जो इम्यूनिटी के बेहतर काम, सूजन और सेल्स प्रसार को सहायक बनाता है। वास्तव में, आवश्यक विटामिन डी का लगभग 90 प्रतिशत सूरज के संपर्क में रहने से स्किन को मिलता है।
एक मीडिया हाउस को नारायण हेल्थ सिटी, बैंगलोर के सीनियर क्लीनिकल डाइटिशियन, एम्मनी डी आर ने बताया, ''भारत में, पर्याप्त मात्रा में धूप की उपलब्धता के बावजूद, विटामिन डी की कमी साल-दर-साल बढ़ रही है। ग्रामीण या शहरी क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों, स्कूली बच्चों, बुजुर्गों, प्रेग्नेंट महिलाओं और उनके नवजात शिशुओं, वयस्क पुरुषों और महिलाओं सहित सभी आयु समूहों के बीच विटामिन डी की कमी 50-90 प्रतिशत के बीच है। इसके अलावा, प्रमुख नैदानिक श्रृंखलाओं में किए गए अध्ययनों में से एक अध्ययन के अनुसार, देश में 79 प्रतिशत से अधिक आबादी विटामिन डी की कमी से ग्रस्त है। विटामिन डी की कमी उम्र, क्षेत्र और खाने की आदतों के बावजूद किसी को भी हो सकती है। शिशुओं के लिए (0-12 महीने) विटामिन डी की मात्रा 400 IU / प्रतिदिन, बच्चों और किशोर 600 IU /प्रतिदिन, वयस्कों के लिए यह 600 IU /प्रतिदिन है।
छोटे बच्चों में विटामिन डी की कमी
छोटे बच्चों में विटामिन डी की कमी उनके हड्डियों की वृद्धि और विकास को प्रभावित कर सकती है। युवा वयस्क भी विटामिन डी की कमी के लिए हाई जोखिम पर हैं। विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि वयस्कों का एक बड़ा हिस्सा कम सीरम विटामिन डी लेवल से परेशान है। विटामिन डी की कमी मसल्स की कमजोरी से जुड़ी है और कम कैल्शियम वाले बुजुर्ग लोगों में आम है। सामान्य हेल्थ जोखिमों में से विटामिन डी की कमी के कारण मसल्स में कमजोरी, हड्डियों पर बुरा असर, ऑस्टियोपोरोसिस और फ्रैक्चर के हाई जोखिम, लो इम्यूनिटी, निरंतर थकान हो सकती हैं। यह हार्ट हेल्थ पर नेगेटिव प्रभाव डाल सकता है।
विटामिन डी की कमी के कारण
सूरज की रोशनी में कम रहना, भोजन की आदतें और विटामिन डी फोर्टिफाइड फूड्स के कम सेवन के कारण, स्किन कलर भारत में विटामिन डी की कमी के कुछ कारण हैं। अन्य कारक जो विटामिन डी 3 के लेवल की कमी का कारण बनते हैं, उनमें मोटापा, बुढ़ापा और कुछ चिकित्सीय स्थितियां जो क्रोन की बीमारी, सिस्टिक फाइब्रोसिस और सीलिएक रोग जैसे डाइजेस्टिव सिस्टम को प्रभावित करता हैं। किडनी और लिवर की बीमारियों के लिए दवाई लेने वाले रोगियों को भी विटामिन डी की अपर्याप्तता से पीड़ित होने का अधिक खतरा होता है।
विटामिन डी की कमी के लक्षण
ज्यादातर लोगों में इसकी कमी के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। हालांकि, लगातार मसल्स में पेन, कमजोरी, मसल्स में मरोड़ और थकान जैसे कुछ सामान्य लक्षण दिखाई देने लगते हैं। गंभीर मामलों में कमी के कारण हड्डियों में समस्या होने लगती हैं।
विटामिन डी की कमी का निदान कैसे करें
शरीर में विटामिन डी कितना है, यह मापने का सबसे सही तरीका 25-हाइड्रोक्सी विटामिन डी ब्लड टेस्ट है। हालांकि विटामिन डी की कमी बहुत आम हो गई है, लेकिन सीरम 25 (ओएच) डी लेवल का टेस्ट महंगा है। विटामिन डी के टेस्ट से गंभीर कमी के जोखिम वाले लोगों को फायदा हो सकता है, बायोकेमिकली लेवल > 30 - 100 एनजी / एमएल को नॉर्मल माना जाता है। लेवल 20 - 30 एनजी / एमएल को अपर्याप्तता माना जाता है। लेवल <20 एनजी / एमएल को कमी के रूप में परिभाषित किया गया है।
विटामिन डी के लेवल को मैनेज करने और सुधारने के लिए टिप्स
सूर्य के प्रकाश में ज्यादा रहें - जब त्वचा सीधे सूर्य के संपर्क में आती है तो विटामिन डी बनता है और इसलिए सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने से शरीर में विटामिन डी 3 के लेवल को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है। सूरज में बैठने का आदर्श समय सुबह 6 से 8 बजे के बीच या शाम के 4 बजे -6 बजे के बीच होता है।
विटामिन डी और कैल्शियम से भरपूर फूड्स लें - दूध और दूध से बने पदार्थ, अंडा, सार्डिन, मैकेरल, टूना, सामन, सोया दूध, टोफू, और पनीर जैसे कुछ फूड्स में विटामिन डी नेचुरली मौजूद होता है। मशरूम और अंडे की जर्दी भी विटामिन डी का एक अच्छा स्रोत है। विटामिन डी कैल्शियम अवशोषण को बढ़ावा देता है, इसलिए बोन हेल्थ के लिए अपनी डाइट में दूध और दूध से बने प्रोडक्ट, पनीर, चीज, अनाज और फलियां, रागी, चना, राजमा, सोयाबीन, हरी पत्तेदार और नट्स जैसे कैल्शियम युक्त फूड्स को शामिल करें।
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वजन को कंट्रोल में रखें - अपने रुटीन में एक्सरसाइज को शामिल करें क्योंकि यह न केवल आपकी बॉडी को टोन करता है, लेकिन इसे अगर आउटडोर में किया जाए तो यह सूर्य के प्रकाश के संपर्क में रहने में भी हेल्प करता है।
सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें - क्योंकि यूवी किरणों के खिलाफ सुरक्षा करना महत्वपूर्ण है, लेकिन नेचुरल लाइट में खुद को रखना भी उतना ही जरूरी है क्योंकि यह विटामिन डी को प्रभावित करता है, इसलिए धूप का उपयोग मामूली रूप से और केवल तभी करें जब वास्तव में इसकी जरूरत हो।
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