वैसे तो डॉक्टर बच्चे को 6 महीने तक सिर्फ मां का दूध पिलाने की सलाह देते हैंं। लेकिन आजकल ज्यादातर महिलाएं जन्म के कुछ दिनों बाद से ही बच्चे को बोतल का दूध पिलाती हैं। कई मामलों में कुछ मेडिकल कंडीशन्स में जब महिला को प्रयाप्त दूध नहीं बनता तो ऐसी स्थिति में भी बच्चे को बाहर का दूध पिलाना पड़ता है, जिसके लिए बोतल का इस्तेमाल किया जाता है। ब्रेस्ट मिल्क या फॉर्मूला मिल्क को बोतल में भरकर बच्चे को पिलाया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि बोतल से दूध पीने के कई नुकसान होते हैं। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं बोतल से दूध पिलाने के नुकसान के बारे में।
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पोषक तत्वों की कमी
जैसा कि हमें पता है ब्रेस्ट मिल्क में बच्चे के संपूर्ण विकास के लिए सभी तरह के जरूरी कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं, लेकिन बोतल में फॉर्मूला मिल्क भरकर पिलाने से बच्चों में आगे चलकर मोटापे का खतरा बढ़ सकता है। वहीं, फॉर्मूला मिल्क से बच्चे को सभी तरह के जरूरी कई पोषक तत्व नहीं मिलते।
मां और बच्चे का रिश्ता
ब्रेस्टफीडिंग (ब्रेस्टफीडिंग के फायदे) करवाने से मां और बच्चे के बीच एक मजबूत रिश्ता बनता है लेकिन बोतल से दूध पिलाने पर इस रिश्ते में दूरियां आ सकती हैं। इसके अलावा बोतल से दूध पिलाना असुविधाजनक होता है क्योंकि अगर बच्चे को रात को कई बार दूध पीना होता हैतो ऐसे में मां की नींद खराब होती ही है क्योंकि दूध तैयार करने के लिए उसे बार-बार उठना पड़ता है और दूध बनाने के सारे प्रोसेस को फॉलो करना पड़ता है।
इम्युन सिस्टम कमजोर होता है
मां के दूध में बच्चे (कैसे आसानी से कराएं ब्रेस्टफीडिंग) की इम्युनिटी मजबूत करने वाले पोषक तत्व होते हैं। वहीं, बोतल में दिया जाने वाला फॉर्मूला मिल्क इम्युनटी बढ़ाने वाले गुणों से युक्त नहीं होता है। इससे बच्चे को दस्त, यूरीन इंफेक्श या छाती में इंफेक्शन हो सकता है।
काफी महंगा पड़ता है
बोतल से दूध पिलाना शुरू करने पर आपको एहसास होगा कि यह महंगा भी है। दूध, बोतल और निप्पल पर बहुत ज्यादा पैसे खर्च होते हैं और समय-समय पर इन्हें बदलना भी पड़ता है।
समय और मेहनत का लगना
बोतल को साफ करना सबसे जरूरी काम होता है और मुश्किल भी। बच्चे की दूध की बोतल को रोज अच्छी तरह से धोना और फिर उबालना बहुत जरूरी होता है, ताकि उसमें कीटाणु ना रहे। अगर बोतल अच्छे से साफ नहीं होगी तो बच्चा बीमार पड़ सकता है। दूध बनाने के लिए भी पानी गर्म करना, उसमें फॉर्मूला मिल्क डालना, फिर बोतल में भरना और फिर बच्चे को पिलाना काफी लंबा और मेहनत भरा काम होता है।
बोतल से दूध पिलाने के फायदे
ऐसा नहीं है कि बच्चे को बोतल से दूध पिलाने के सिर्फ नुकसान ही हैं बल्कि इससे कुछ फायदे भी हैं, जैसे-
बच्चे को जब भी भूख लगे, तब घर का कोई भी सदस्य उसे दूध पिला सकता है। मां के आसपास ना होने पर बोतल का दूध बहुत काम आता है।
आप यह जान सकती हैं कि बच्चा कितनी मात्रा में दूध पी रहा है।
बोतल से दूध पिलाने पर पिता या परिवार के अन्य लोगों को भी बच्चे के करीब जाने का मौका मिलता है।
मां को अपने खाने-पीने पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं पड़ती।
बच्चे के लिए छह माह तक मां का दूध बहुत जरूरी होता है, इसके बाद ब्रेस्टफीडिंग की जगह बोतल से दूध पिलाया जा सकता है। बोतल से दूध पिलाने पर मां को काफी आसानी रहती है।
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तो अब फैसला आपके हाथ में है कि आपको अपने बच्चे को कैसे दूध पिलाना है। अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी तो जुड़ी रहिए हमारे साथ। इस तरह की और जानकारी पाने के लिए पढ़ती रहिए हरजिंदगी।
Photo courtesy- (freepik.com)
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