शिशु के लिए अमृत है मां का दूध
यह बात शायद हमें आपको बताने की जरूरत नहीं है कि मां का दूध बच्चों के लिए अमृत होता है। यह शिशु को पोषण देता है और उसके संपूर्ण विकास के लिए जरूरी होता है। नवजात बच्चे में रोगों से लड़ने की इम्यूनिटी नहीं होती है। मां के दूध से बच्चे को रोगों से लड़ने की शक्ति मिलती है। मां का दूध बच्चे को विभिन्न प्रकार के बीमारियोँ से लड़ने में सक्षम बनता है। मां के दूध में बैक्टीरिया को नाश करने वाले तत्त्व होते हैं जो बच्चे को होने वाले बीमारियोँ से सुरक्षित रखते हैं। दूसरे शब्दों में आप कह सकती हैं कि मां का दूध बच्चे के लिए जीवन रक्षक है। इससे न केवल शिशु को बल्कि प्रेग्नेंसी के बाद होने वाली तकलीफों से नई माताओं को भी फायदा पहुंचता है।
जी हां ब्रेस्टफीडिंग बच्चे के साथ-साथ मां की हेल्थ के लिए भी किसी वरदान से कम नहीं है। इसलिए जन्म से 6 महीने तक हर मां को अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करवाना चाहिए। लेकिन हाल ही में हुए एक शोध में इसके चमत्कारी फायदों का खुलासा हुआ है। अमेरिका में हुई इस रिसर्च में पता चला है कि मां का दूध पीने से शिशु का दिमाग बहुत तेज होता है। आइए इस रिसर्च के बारे में विस्तार से जानें।
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अमेरिका की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में हाल ही में हुई रिसर्च के अनुसार, मां का दूध बच्चों के ब्रेन विकास के लिए बहुत मददगार होता है। न केवल बच्चों के दिमाग के विकास में हेेेेल्प होती है, बल्कि इसमें मौजूद कार्बोहाइड्रेट ओलिगोसैकाराइड2 एफएल संज्ञानात्मक (ज्ञान संबंधी) ग्रोथ में भी हेल्प करता है।
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की रिसर्च टीम ने 50 मांओं और उनके बच्चों पर रिसर्च की। शोधकर्ताओं ने मां के दूध में मौजूद तत्वों और एक से 6 महीने के बच्चों को दूध पिलाने की आवृत्ति का विश्लेषण किया। जब इन बच्चों की उम्र 24 महीने हो गई तो बेले-3 स्केल की हेल्प से बच्चों के संज्ञानात्मक विकास को मापा गया। यह एक ऐसा टेस्ट है जिससे बच्चे के दिमागी विकास के बारे में पता लगाया जाता है।
शोधकर्ता लार्स बोड के अनुसार, ''मां के दूध के कई नमूनों में उन्होंने ओलिगोसैकाराइड2 एफएल की मात्रा की पहचान की। यह तकनीक हमें दूध में मौजूद तत्वों में अंतर करने की क्षमता देती है। इससे बच्चे के संज्ञानात्मक विकास के बारे में कई जानकारियां मिलती हैं।''
रिसर्च मैगजीन प्लस वन में प्रकाशित इस रिपोर्ट में बताया गया कि ''मां के दूध में पहले के एक महीने में मौजूद ओलिगोसैकाराइड2 एफएल की मात्रा का संबंध दो साल के उम्र के बच्चों के संज्ञानात्मक विकास से था। इससे पता चलता है कि जन्म के बाद शुरुआती महीने में मां के दूध का सेवन करने से बच्चों का संज्ञानात्मक विकास अच्छा होता है।''
शुरुआती 2 साल में बेहतर संज्ञानात्मक विकास होने से बच्चों के जीवन पर लंबा प्रभाव पड़ता है। वे स्कूल और विभिन्न कार्यों में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। यह रिसर्च शिशु के लिए मां के दूध केे जरूरी होने पर बल देती है। कुछ महिलाएं अपना फिगर मेंटेन करने के लिए अपने शिशु को दूध पिलाना पसंद नहीं करती, लेकिन डॉक्टर इसे जरूरी बताते हैं।
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जी हां मां के दूध में ऐसे कई फायदे हैं, जो किसी भी फॉर्मूले से बने बाजारी दूध में नहीं मिल सकते है। मां के दूध से न सिर्फ बच्चे का विकास अच्छी तरह से होता है बल्कि यह उन्हें कई बीमारियों से भी बचाता है। इसलिए शिशु को ब्रेस्टफीडिंग करवाना बहुत जरूरी होता है। जैसा कि हम आपको पहले भी बता चुके है कि ब्रेस्टफीडिंग बच्चे के साथ-साथ मां के लिए भी अच्छा होता है। ब्रेस्टफीडिंग कराने से मां को गर्भावस्था के बाद होने वाली शिकायतों से मुक्ति मिल जाती है। इससे तनाव कम होता है और प्रसव के बाद होने वाले ब्लीडिंग पर कंट्रोल पाया जा सकता है। खून की कमी से होने वाले रोग एनिमिया का खतरा कम होता है। इसके अलावा प्रेग्नेंसी में बढ़ा हुआ वजन भी तेजी से कम होता है।
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