शिशु का पहला आहार यानि मां का दूध बच्चे के लिए बहुत जरूरी होता है।
जी हां ब्रेस्टफीडिंग न केवल बच्चों के लिए बल्कि नवजात शिशु की हेल्थ के लिए भी जरूरी होता है और हर ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मां को एनर्जी के लेवल में वृद्धि की जरूरत होती है और इसके लिए ब्रेस्टफीडिंग के पहले छह महीनों के दौरान उसे कम से कम 2200 से 2500 कैलोरी लेने की जरूरत होती है। हालांकि, छह महीने के बाद, जब आप अपने बच्चे को ठोस आहार देती हैं, तो बॉडी वेट और बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) के आधार पर एनर्जी की आवश्यकताओं में धीरे-धीरे कमी आती है। आइए जानें ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिलाओं को हेल्दी रहने के लिए क्या खाना चाहिए और क्या नहीं?
दूध के अच्छे उत्पादन के लिए मां की डेली डाइट में सूखे नारियल, रागी और बाजरा के लड्डू, डिल बीज, तिल के लड्डू, ओट्स, हरी पत्तेदार सब्जियों जैसे फूड्स को शामिल करना चाहिए। इसके अलावा अपनी डाइट में बहुत सारे अच्छे फूड्स के साथ सप्लीमेंट लेना भी जरूरी होता है।
क्या खाएं
- अच्छे कार्बोहाइड्रेट जरूरी हैं, इसलिए अपनी डाइट में होल वीट, जौ, ज्वार, बाजरा, जई जैसे अनाज और शक्करकंदी को शामिल करना चाहिए।
- प्रोटीन का सेवन बढ़ना चाहिए, इसलिए अपनी डाइट में मूंग की दाल, अरहर की दाल, सोया, राजमा, छोले और र्स्पोउट्स जैसे चीजों को लेना चाहिए।
- डेरी प्रोडक्ट जैसे दूध, आर्गेनिक/ लो फैट चीज, पनीर, बटरमिल्क, दही को रेगुलर लेना चाहिए।
- फैट को थोड़ी मात्रा में जरूर लेना चाहिए।
- विटामिन ए, सी, डी, बी 12 और फोलिक एसिड को ज्यादा मात्रा में लेने की जरूरत होती है, इसलिए सलाह दी जाती है कि अपनी डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियों जैसे अमरैंथ, मेथीदाना, मेथी, पालक आदि को शामिल करें।
- गाजर, कद्दू, टमाटर और नींबू, संतरे, अमरूद और आंवला जैसे पीले और नारंगी सब्ज़ियां लेना भी बहुत जरूरी होता है।
- अपनी डाइट में आयरन को भी बढ़ाना चाहिए इसलिए गुड़, किशमिश और खजूर जरूर खाएं।
- ब्रेस्ट मिल्क के उत्पादन के लिए आपको अपनी डाइट में लिक्विड चीजों का सेवन ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए।
- ब्रेस्टफीडिंग के दौरान रोजाना कम से कम चार लीटर पानी लें, जिसमें मक्खन, दाल, सूप और जूस शामिल हैं।
क्या न खाएं
- अपनी डाइट में कुछ चीजों के सेवन से बचना चाहिए क्योंकि यह मां और बच्चे दोनों की सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं। जैसे शराब, क्योंकि यह मां के दूध से बच्चे की बॉडी में जा सकती है और स्थायी न्यूरोलॉजिकल संबंधी नुकसान का कारण बन सकता है, जिसका असर बाद के जीवन में देखा जा सकता है।
- मछली, चूंकि इसमें कई मेंटल होते हैं, जैसे कि पारा जो बच्चे के न्यूरोलॉजिकल फ़ंक्शन को नेगेटिव रूप से प्रभावित करता है।
- सिट्रिक फल, मिर्च और अंडे बच्चों को जलन पैदा कर सकते हैं और ये प्रतिकूल प्रतिक्रिया दे सकते हैं।
- पुदीना जैसे मिंट दूध उत्पादन में कमी लाते है।
- चाय और कॉफी से बचें क्योंकि कैफीन आपके बच्चे की नींद खराब करता है जिससे वह चिड़चिड़ा रह सकता है।
- प्याज, गोभी, लहसुन और ब्रोकोली जैसे गैस बनाने वाले फूड्स से बचें। अत्यधिक गैस बच्चे को परेशान करेगी और ये फूड्स दूध उत्पादन को भी प्रभावित करते हैं।
- प्रोसेस फूड्स लेने से बचना चाहिए क्योंकि इसमें बहुत सारे संरक्षक और कृत्रिम रंग होते हैं, जो छोटे बच्चों के लिए अच्छा नहीं है।
- मूंगफली कुछ बच्चों में एलर्जी का कारण बन सकती है।
इस तरह ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली मां इन चीजों को खाकर और इन चीजों से बचकर खुद को और अपने बच्चे को हेल्दी रख सकती हैं।
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