वर्ल्ड निमोनिया डे: अपने शिशु को निमोनिया से बचाना है तो ब्रेस्‍टफीडिंग करायें

छोटे बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए जरूरी है कि मां उसे ब्रेस्‍टफीडिंग कराएं।

  • Pooja Sinha
  • Her Zindagi Editorial
  • Updated - 2018-11-12, 13:04 IST
breastfeeding pnemonia main

सर्दियों के आते ही शुरु हो जाता है बीमारियो का आना। इस मौसम में छोटे बच्‍चे को भी कई तरह की परेशानियां होने लगती है। खासतौर पर निमोनिया, यह एक ऐसी बीमारी है जो ववजात को खासा परेशान करती हैं। इसीलिए नवजात को सर्दियों में खास देखभाल की जरूरत होती है। नवजात में निमोनिया ना हो इसके लिए आपको अपने शिशु का खास ध्यान रखना होता है। आज वर्ल्ड निमोनिया डे के अवसर पर हम आपको शिशु में निमोनिया के लक्षण और बचाव के तरीकों के बारे में बता रहे हैं।

कैसे होता है निमोनिया

निमोनिया में छोटे बच्‍चों के लंग्‍स में इंफेक्‍शन हो जाता है और इस इंफेक्‍शन के कारण उन्‍हें सांस लेने काफी तकलीफ होती है। निमोनिया के एक या दोनों लंग्‍स में पस और लिक्विड भर जाता हैं, जो लंग्‍स के ऑक्सीजन लेने में रुकावट पैदा होने लगती है। यह इंफेक्‍शन बैक्टीरिया, वायरस, फंगल इंफेक्शन के कारण होता है। छोटे बच्चों में निमोनिया की शुरुआत हल्के सर्दी-जुकाम से होती है, जो धीरे-धीरे निमोनिया में बदल जाती है। कई बार जन्म के समय भी शिशु को निमोनिया के इन्फेक्शन का खतरा रहता है।

निमोनिया के लक्षण

  • बच्चों में बुखार
  • ठंडक महसूस होना, कंपकपाहट
  • सूखी खांसी
  • तेजी से सांस लेना और घरघराहट
  • सीने में दर्द
  • दूध पीने में परेशानी
  • होंठों और नाखूनों का रंग नीला पड़ना

आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) के अनुसार दुनिया में निमोनिया से बच्‍चों की सबसे जयादा मौतें होती है। आईएमए के अनुसार, 2016 में देश में तीन लाख बच्चों की इस बीमारी से मौत हुई थी। इस बीमारी से बच्चों की अधिक मौतों वाले अन्य देशों में नाइजीरिया, पाकिस्तान, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और अंगोला प्रमुख हैं। हालांकि, इन देशों में निमोनिया से होने वाली मौतों पर कंट्रोल के प्रयास हुए हैं, लेकिन अभी भी इस रोग से दुनिया भर में सैकड़ों हजार मौतें जारी हैं।

Pneumonia breastfeeding inside

Image Courtesy: Shutterstock.com

ब्रेस्‍टफीडिंग से होता है निमोनिया से बचाव

बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए जरूरी है कि मां उसे ब्रेस्‍टफीडिंग कराएं। ब्रेस्‍टफीडिंग करने वाले बच्चों की इम्‍यूनिटी बहुत अच्छी होती है, जो उन्हें किसी भी प्रकार खासकर वायरल इंफेक्शन से बचाता है। Indian Academy of Pediatrics की नेशनल प्रेसीटेंड डॉक्‍टर अनुपम सचदेव के अनुसार, ''ब्रेस्‍टफीडिंग से नवजात को निमोनिया से बचाया जा सकता है। ब्रेस्‍ट मिल्‍क में कई तरह के गुण होते हैं। ब्रेस्‍टफीडिंग से मां से नवजात में एंटीबॉडी जाता है, जो निमोनिया जैसी बीमारी से लड़ने के लिए नवजात की इम्‍यूनिटी बढ़ाता है।''



डॉक्‍टर अनुपम सचदेव कहते हैं कि ''ब्रेस्‍ट मिल्‍क शुद्ध होता है और इसमें antibodies, live immune cells और एंटी-बैक्‍टीरियल प्रोटीन होते हैं जो बच्‍चों की बीमारियों से संक्रमित होने की आशंका को कम करता है। और आपका शिशु हेल्‍दी रहता है।''

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निमोनिया से बचाव के अन्‍य टिप्‍स

  • निमोनिया के होने का सबसे बड़ा कारण वायरल इंफेक्शन है, इसलिए
  • घरों में साफ-सफाई का ख्‍याल रखें।
  • शिशु को पूरा पोषण दें।
  • बच्‍चों को छूने से पहले हमेशा हाथों को साफ करें।
  • अपने new born को निमोनिया वैक्सीन जरुर लगाएं।

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