जानें क्‍या होता है एंडोमेट्रिओसिस और इसके लक्षण एवं ट्रीटमेंट

प्रेग्‍नेंसी के साथ एंडोमेट्रिओसिस को कैसे करें मैनेज? जानने के लिए पढ़े यह आर्टिकल। 

how does endometriosis affect fertility

यूट्रस की 3 लेयर होती हैं, जिनमें से सबसे अंदर वाली लेयर को एंडोमेट्रियम कहा जाता है। यह एक गतिशील परत होती है, जो ओवेरियन हार्मोंस को प्रभावित करती है और हर महीने बढ़ाती, घटाती और सुधारती है। प्रेग्‍नेंट होने के दौरान यह यूट्रस को विकसित और फर्टिलाइज्‍ड एग का आरोपण करती है। यदि फर्टिलाइजेशन नहीं हो पाता है तो टिशू बाहर निकल आते हैं और ब्‍लीडिंग शुरू हो जाती है, जिसे पीरियड्स कहते हैं।

एंडोमेट्रियोसिस एक असामान्य टिशू ग्रोथ है, जिसमें एंडोमेट्रियम के समान टिशू यूटेरिन केविटी वॉल के बाहर बढ़ने लग जाते हैं। यह महिला के पेल्विस में मौजूद ओवरीज, फैलोपियन ट्यूब और टिशू लाइनिंग को कवर करते हैं। पीरियड्स के दौरान, हार्मोनल क्रिया के कारण, यह टिशू एंडोमेट्रियम की तरह ही बाहर निकलते हैं। हालांकि, बल्‍ड या टिशू को शरीर से बाहर आने और अंदर रहने का रास्ता नहीं मिल पाता है।

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endometriosis during pregnancy

लक्षण

ज्यादातर मामलों में, एंडोमेट्रियोसिस निम्नलिखित लक्षणों से जुड़ा होता है:

● पीरियड्स के दौरान गंभीर दर्द

● पेट में ऐंठन

● इंटरकोर्स के दौरान दर्द

● यूरिन या मल त्याग करते समय दर्द

● बांझपन

● इंटरमेंस्ट्रुअल ब्लीडिंग

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि दर्द की गंभीरता एंडोमेट्रियोसिस की गंभीरता से संबंधित नहीं है।

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endometriosis treatment

फर्टिलिटी पर एंडोमेट्रियोसिस का प्रभाव

● इनफर्टिलिटी का एंडोमेट्रियोसिस के साथ एक मजबूत संबंध है। जब एग ओवरी से बाहर निकलता है, तो फैलोपियन ट्यूब में होने वाले असामान्य टिशू लाइनिंग एग या स्‍पर्म को नुकसान पहुंचा सकते हैं। यह एग को उसके गंतव्य तक पहुंचने से रोक सकता है।

● यह एग और स्‍पर्म के बीच मौजूद स्‍मूद फ्यूजन को भी प्रभावित करता है, जिससे फर्टिलाइजेशन प्रभावित होता है।

● कभी-कभी, एडवांस मामलों में, एंडोमेट्रियोसिस पेल्विक ऑर्गन के जुड़ाव का कारण बनता है और फैलोपियन ट्यूब को अवरुद्ध करता है।

एंडोमेट्रियोसिस का ट्रीटमेंट और प्रेग्‍नेंसी के साथ इसे मैनेज करने का तरीका(सोशल एग फ्रीजिंग के बारे में जानें)

● लेप्रोस्कोपिक सर्जरी पेल्विक ऑर्गंस में असामान्य टिशु के विकास को विघटित करने में मदद करती है। इस प्रक्रिया के दौरान, आपका डॉक्टर घाव को हटाने के लिए लेज़र, कैंची या cauterization का उपयोग कर सकता है।

● एंडोमेट्रियोसिस हार्मोन पर निर्भर करता है और यह बात ज्ञात नहीं है कि कुछ महिलाओं में यह क्यों होता है और कुछ में क्‍यों नहीं हाता है। इस विषय में बहुत सारे सिद्धांत हैं कि यह क्यों बढ़ता है, ज्‍यादातर सिद्धांतों को इसलिए स्‍वीकार किया जाता है क्‍योंकि उनमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की कमी असामान्य सेल्‍स को मारने और उन्हें बढ़ने और आक्रमण करने की अनुमति देती है। प्रेग्‍नेंसी के दौरान, एंडोमेट्रियोसिस कम हो सकता है क्योंकि इसका विकास हार्मोन पर निर्भर करता है। एस्ट्रोजन इसे बढ़ने देता है और प्रोजेस्टेरोन इसे कम करता है। प्रेग्‍नेंस के दौरान शरीर में मुख्य हार्मोन प्रोजेस्टेरोन होता है इसलिए एंडोमेट्रियोसिस उस समय तक कम हो जाता है जब तक एक महिला स्तनपान करा रही होती है । प्रेग्‍नेंसी के बाद, एक बार सामान्य पीरियड्स के शुरू होने के बाद, एंडोमेट्रियोसिस की वृद्धि को दवा से नियंत्रित करने की आवश्यकता होती है।

● बर्थ कंट्रोल पिल्‍स या मामूली लेप्रोस्कोपिक सर्जरी को बाद में टिशु को हटाने के लिए निर्धारित किया जा सकता है यदि वह शरीर में मौजूद होते हैं तो।

● एंडोमेट्रियोसिस के गंभीर मामलों में, जहां फर्टिलाइजेशन में परेशानी होती है, वहां लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की जरूरत होती है। इस प्रक्रिया के पहले कुछ महीनों के बाद कॉन्‍सेप्‍शन हो सकता है।(हार्मोनल असंतुलन के बारे में जानें)

● यदि आपको एंडोमेट्रियोसिस है और आप प्रेग्‍नेंस होना चाहती हैं तो डॉक्टर जल्द से जल्द कॉनसेप्‍शन का सुझाव दे सकते हैं क्योंकि ओवरीज पर एंडोमेट्रियोसिस की उपस्थिति ओवरीज में एग की संख्या में कमी का कारण बनती है और एंडोमेट्रियोसिस की वृद्धि दवाओं द्वारा नियंत्रित होती है, जिसमें प्रेग्‍नेंट होने की अनुमति डॉक्‍टर नहीं देता है। इसलिए सलाह दी जाती है कि लक्षणों का इलाज जल्‍द से जल्‍दी कराएं और जल्‍द से जल्‍द प्रेग्‍नेंट होने की कोशिश करें। समय के साथ एंडोमेट्रियोसिस, आईवीएफ जैसे असिस्टेड रिप्रोडक्टिव तकनीक के साथ कॉन्‍सेप्‍शन की संभावनाओं को भी कम किया जा सकता है।

निष्कर्ष

अगर आपको एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण नजर आ रहे हैं तो आपको एक डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए । खासतौर पर जब आप प्रेग्‍नेंट होने का प्‍लान बना रही हैं तो उपचार के सर्वोत्तम तरीकों पर अपने चिकित्सक से चर्चा जरूर करें।

एक्‍सपर्ट सलाह के लिए डॉ. अंशुमाला शुक्ला (गायनेकोलॉजिकल लेप्रोस्कोपी सर्जन) का विशेष धन्यवाद।

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