भाग दौड़ भरी जिंदगी में आजकल हर कोई मानसिक रूप से परेशान है। तनाव के कारण अक्सर लोग डिप्रेशन और एंजाइटी के शिकार हो जाते हैं। यह दोनों ही सबसे सामान्य मानसिक विकार है जो दुनिया भर के लाखों लोगों को प्रभावित करते हैं। यह विकार मूड और व्यवहार के लक्षणों के रूप में प्रकट होते हैं लेकिन अगर कोई व्यक्ति ज्यादा डिप्रेस्ड होने लगे, उसे बार-बार एंजाइटी होने लगे तो इसका असर संज्ञानात्मक क्षमताओं पर पड़ता है । इससे याद करने की क्षमता और निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है। आइए जानते हैं कि कैसे एंजायटी और डिप्रेशन आपकी मेमोरी और डिसीजन लेने की क्षमता को प्रभावित करते हैं। इसको लेकर हेल्थ एक्सपर्ट से हमने बात की है Ms Deeksha Parthsarthy- Neuropsychologist, PSRI Hospital, New Delhi इस बारे में जानकारी साझा की है।
एक्सपर्ट बताती हैं कि ये दोनों ही विकार मस्तिष्क में जरूरी न्यूरोट्रांसमीटरों का असंतुलन उत्पन्न करते हैं और मस्तिष्क की संरचनाओं जैसे एमिग्डाला, हिप्पोकैम्पस और प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स को प्रभावित करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अनुकूलन हीन संज्ञानात्मक प्रक्रियाएं होती हैं।
चिंता व्यक्ति को लगातार कई तरह के विचारों से भर देता है,जिससे उसकी ध्यान केंद्रित करने की क्षमता कम हो जाती है। जब कोई व्यक्ति किसी चीज पर ध्यान नहीं दे पता है तो वह उसे सही तरीके से समझ या याद भी नहीं कर पता है। इसका परिणाम यह होता है कि आप शॉर्ट टर्म मेमोरी लॉस की चपेट में आ जाते हैं। इसके कारण छोटी-छोटी बातों को याद रखने में कठिनाई होती है। समस्याओं को हल करने में परेशानी होती है
एक्सपर्ट बताती हैं की चिंता का एक हिस्सा तनाव है जो शरीर में कॉर्टिसोल नामक हार्मोन का उत्सर्जन करता है। कोर्टिसोल के उच्च स्तर से याद करने की प्रक्रिया प्रभावित होती है। इसका मतलब यह है कि जब कोई व्यक्ति चिंतित या तनाव में होता है तो वह पहले से जो कुछ भी जानता है यह सीखा हुआ रहता है उसे याद नहीं कर पता है। यही वजह है की परीक्षा के दौरान बहुत ज्यादा चिंतित छात्र ब्लैक आउट हो जाते हैं और सब कुछ भूल जाते हैं।
डिप्रेशन मस्तिष्क के स्मरण शक्ति केंद्र यानी कि हिप्पोकेंपस को प्रभावित करता है। यह हिप्पोकेंपस के कार्य को कमजोर करता है, जिसके कारण जानकारी को याद करने में दिक्कत आती है ।अवसाद से प्रभावित लोग नई जानकारी को सिखाने या उसे सही तरीके से याद करने में कठिनाई महसूस करते हैं। इसके अलावा वह नकारात्मक घटनाओं को अधिक याद करते हैं। यह संतुलन न्यूरोट्रांसमीटर जैसे डोपामिन और सेरोटोनिन के कारण होता है जो डिप्रेस्ड लोगों में कम हो जाते हैं।
डिप्रेशन के कारण डोपामिन गतिविधि में कमी आती है और इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति के लिए निर्णय लेना कठिन हो जाता है। वह नकारात्मक अनुभव पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करते हैं जो उनके भविष्य के निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करता है।
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