अपने लाडले को जन्म के तुरंत बाद हेपेटाइटिस बी का इंजेक्‍शन जरूर लगवाएं

हेपेटाइटिस बी के इंजेक्‍शन से आप अपने लाड़ले को हेपेटाइटिस बी वायरस से बचा सकती हैं और इससे शिशु में लीवर डिजीज होने का खतरा भी कम होता है।

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शिशु के जन्‍म के बाद उसे बीमारियों और वायरस से बचाने के लिए इंजेक्‍शन लगवाना बेहद जरूरी होती है। अगर आप भी शिशु की मां हैं तो यह बात आप बहुत अच्‍छे से जानती ही होगी। वैसे तो यह इंजेक्‍शन कई तरह के होते हैं। इनमें से एक काफी महत्वपूर्ण टीका हेपेटाइटिस बी वैक्सीन है। हेपेटाइटिस बी लीवर में होने वाला एक संक्रामक डिजीज है जो हेपेटाइटिस बी वायरस के कारण होता है। इस वायरस के नाम पर ही इस वैक्सीन का नाम है। इस इंजेक्‍शन से आप अपने बच्चे को हेपेटाइटिस बी के वायरस से बचा सकती हैं। और इसे लगवाने से शिशु में लीवर डिजीज होने का खतरा भी कम होता है।

अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप में मेडिकल डायरेक्टर व सीनियर कंसलटेंट डॉक्‍टर अनुपम सिब्बल ने कहा, ब्रेन के बाद लीवर बॉडी का दूसरा सबसे बड़ा ठोस अंग है, जो बहुत सारे मुश्किल काम करता है। लीवर हमारी बॉउी के सभी कामों को अंजाम देता है, जो अन्‍य अंगों के ठीक तरीके से काम करने के लिए जरूरी है।

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उन्होंने कहा, लीवर डाइजेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भोजन डाइजेस्‍ट करने के लिए बाइल बनाने के अलावा लीवर ब्लड शुगर को कंट्रोल रखने में हेल्‍प करता है, बॉडी को डिटॉक्‍स करने और कॉलेस्ट्रॉल के लेवल को नॉर्मल बनाए रखता है। लीवर क्लॉटिंग फैक्टर्स, एल्बुमिन और ऐसे कई महत्वपूर्ण उत्‍पाद बनाता है।

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Image Courtesy: Shutterstock.com

लीवर डिजीज के लक्षण

डॉक्‍टर अनुपम सिब्बल ने कहा, लीवर बिना रुके काम करता है और अक्सर इसमें किसी भी तरह की खराबी के लक्षण जल्दी से दिखाई नहीं देते। लीवर रोगों के आम लक्षण हैं आंखों का पीला पड़ना, पेशाब का रंग पीला होना, भूख न लगना, मतली और उल्टी। 100 से ज्यादा ऐसी बीमारियां हैं जिनका असर लीवर पर पड़ता है। उन्होंने कहा, अगर आपको पेट के आस-पास सूजन, पैरों में सूजन, वजन में कमी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।

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पीलिया होने पर चेकअप है जरूरी

डॉक्‍टर अनुपम सिब्बल ने लीवर की बीमारियों से बचने और इसके प्रबन्धन के लिए सुझाव दिए। इसमें हर बच्चे को जन्म के तुरंत बाद हेपेटाइटिस बी का टीका लगाना, रक्त और रक्त उत्पादों का इस्तेमाल करने से पहले हेपेटाइटिस बी और सी की जांच, साफ पेयजल का ही सेवन करना, कच्चे फलों और सब्जियों को सेवन से पहले अच्छी तरह धोना, जब भी संभव हो हेपेटाइटिस ए का टीका लगवाना, नवजात शिशु को अगर दो हफ्ते से ज्यादा पीलिया रहता है तो इसका चेकअप करवाना चाहिए ताकि अगर लीवर की कोई बीमारी है तो इसका निदान कर तुरंत इलाज किया जा सके।

हाल ही में हेपेटाइटिस बी, सी और कई अन्य आनुवंशिक बीमारियों का इलाज खोज लिया गया है और यह सभी आधुनिक इलाज भारत में उपलब्ध हैं। भारत में लीवर ट्रांसप्लान्ट अब कामयाबी से किया जा रहा है।

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