साइंस की भाषा में समझें, तो ऑर्गेज्म सिर्फ जेनिटल मसल मूवमेंट से आने वाली एक फीलिंग ही है। हालांकि, इसे ह्यूमन इमोशन्स के आधार पर कुछ और ज्यादा कहा जा सकता है। सेक्शुअल स्टिम्युलेशन की बात करें, तो लोगों के अलग-अलग तरह के एक्सपीरियंस हो सकते हैं, लेकिन पुरुषों और महिलाओं के स्टिम्युलेशन क्या एक जैसे हो सकते हैं? ऑर्गेज्म के दौरान शरीर में मसल्स का मूवमेंट, ब्लड का सर्कुलेशन और एंडोर्फिन जैसे फील गुड हार्मोन्स दिमाग में रिलीज होते हैं।
इसका असर भले ही एक जैसा होता है, लेकिन इसका अंतर बहुत बड़ा होता है।
'Gender similarities and differences in sexual arousal' नाम से नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में एक रिसर्च पब्लिश की गई थी। इस स्टडी में 38 पुरुषों और 38 महिलाओं के ऑर्गेज्म के डाटा के हिसाब से नतीजे निकाले गए थे।
इस स्टडी के मुताबिक, साइकोलॉजिकल और फिजिकल अराउजल काफी हद तक एक जैसा ही था जिसमें जेनिटल टेम्परेचर बढ़ता या घटता है। हां, ऑर्गेज्म के बाद महिलाओं और पुरुषों के रिएक्शन में अंतर जरूर है। ऑर्गेज्म के बाद पुरुषों का जेनिटल तापमान महिलाओं के मुकाबले काफी कम हो जाता है।
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M.B.BS, MD (Obgyn) डॉक्टर अमीना खालिद ने हरजिंदगी से बात करते हुए कहा कि महिलाओं को वेजाइनल ऑर्गेज्म मिलना इतना आसान नहीं है जितना लगता है। मसल कॉन्ट्रैक्शन के कारण ऐसा होता है और अधिकतर महिलाएं अपने पार्टनर्स से इस बारे में बात भी नहीं कर पाती हैं।
डॉक्टर अमीना के मुताबिक, क्लिटोरिस का साइज ओव्यूलेशन की तारीख के समय 20% तक बढ़ सकता है इसलिए उस वक्त ऑर्गेज्म की गुंजाइश ज्यादा होती है।
ऑब्सटेट्रिशियन-गायनेकोलॉजिस्ट (OBGYN), इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉक्टर तनुश्री पांडे पडगांवकर ने इंस्टाग्राम पर इससे जुड़ा वीडियो भी शेयर किया है। उनके अनुसार ऐसा सोच लिया जाता है कि महिलाओं का ऑर्गेज्म भी वैसा ही होगा जैसा पुरुषों का होता है, लेकिन फिजिकल अंतर बहुत सारे होते हैं। कई महिलाओं को इससे जुड़ा कोई डिसचार्ज नहीं होता।
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स्टडीज और डॉक्टर्स की राय के आधार पर हम दोनों जेंडर्स के ऑर्गेज्म को लेकर ये अंतर देख सकते हैं।
महिलाओं का ऑर्गेज्म एक से ज्यादा बार भी हो सकता है, लेकिन जरूरी नहीं कि कोई फिजिकल रिएक्शन दिखे। महिलाओं के लिए यह अंदरूनी फीलिंग होती है। इसलिए किसी और से कम्पेयर करना सही नहीं होगा। किसी तरह के डिस्चार्ज की उम्मीद की भी जा सकती है और नहीं भी। यह हेल्थ कंडीशन, सेक्शुअल अराउजल, ओव्यूलेशन बहुत सारे फैक्टर्स पर निर्भर करता है। ऐसा भी हो सकता है कि एक्ट के दौरान महिलाओं को ऑर्गेज्म हो ही ना और यही कारण है कि फेक ऑर्गेज्म (Fake Orgasm) को लेकर भी लोगों के मन में सवाल उठते हैं।
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जब ऑर्गेज्म ड्यूरेशन की बात करें, तो क्लिटोरिस का मसल कॉन्ट्रैक्शन पुरुषों की तुलना में ज्यादा हो सकता है। रिसर्च के मुताबिक, पुरुषों का ऑर्गेज्म 3 से 10 सेकंड तक हो सकता है और महिलाओं का ड्यूरेशन इससे बहुत ज्यादा 25 से 30 सेकंड तक हो सकता है। (क्लिटोरिस से जुड़े फैक्ट्स)
डॉक्टर अमीना खालिद ने इसके बारे में जानकारी देते हुए यह भी कहा कि अगर किसी महिला को वेजाइनल ऑर्गेज्म महसूस होता है, तो एक्ट के दौरान प्रेग्नेंसी के चांस बढ़ सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दौरान मसल कॉन्ट्रैक्शन काफी ज्यादा होता है और उससे स्पर्म के यूट्रस तक पहुंचने की गुंजाइश ज्यादा बढ़ जाती है। हालांकि, ऐसा जरूरी नहीं कि दोनों को एक ही साथ इसका अनुभव हो। दोनों पार्टनर्स को अलग-अलग समय पर यह अनुभव हो सकता है।
महिलाओं और पुरुषों के सेक्शुअल अराउजल के दौरान शरीर के तापमान में बहुत अंतर हो सकता है। जैसा कि रिसर्च बताती है, ऑर्गेज्म के बाद भी तापमान बढ़ या घट सकता है। हालांकि, ऐसा निर्धारित नहीं है कि पुरुषों के शरीर का तापमान कम ही होगा और महिलाओं का बढ़ेगा ही।
यहां दोनों ही जेंडर्स के साथ लगभग एक ही जैसी प्रतिक्रिया होती है। दोनों ही जेंडर्स को दिमाग के सेरिबैलम (cerebellum) एरिया में हलचल महसूस होती है और शरीर में खुशी वाले हार्मोन रिलीज होते हैं। इस तरह का रिएक्शन आपके स्ट्रेस लेवल को भी कम करता है।
कुल मिलाकर यह समझा जा सकता है कि ऑर्गेज्म और सेक्शुअल अराउजल हर इंसान का अलग हो सकता है। इसलिए खुद को किसी से कम्पेयर करना सही साबित नहीं होगा।
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