प्रेग्नेंसी में डायबिटीज तब होती है, जब प्रेग्नेंसी के दौरान आपके ब्लड में शुगर (ग्लूकोस) की मात्रा काफी ज्यादा हो जाती है। जब आप गर्भवती होती हैं, तो आपकी बॉडी को अतिरिक्त इंसुलिन बनानी पड़ती है, खासकर कि प्रेग्नेंसी के बीच की स्टेज के बाद। आपको अतिरिक्त इंसुलिन की इसलिए जरुरत होती है, क्योंकि प्लेसेंटा के हार्मोन आपकी बॉडी को इसके प्रति कम प्रतिक्रियाशील बना देते हैं। अगर, बॉडी इस अतिरिक्त इंसुलिन की मांग को पूरा नहीं कर पाता, तो आपका ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाएगा और आपको प्रेग्नेंसी में डायबिटीज हो सकती है। ब्लड में ज्यादा शुगर होने से आपके और आपके शिशु के लिए समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इतना ही नहीं एक रिसर्च से यह बात सामने आई है कि प्रेग्नेंट महिला के डायबिटीज से ग्रस्त होने पर उसके बच्चों में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) का खतरा बढ़ जाता है।
क्या है ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर
एएसडी मानसिक विकास से संबंधित विकार है, जिसमें व्यक्ति को सामाजिक संवाद स्थापित करने में समस्या आती है और वह आत्मकेंद्रित बन जाता है। जिसके लक्षण बचपन में ही दिखाई देने लगते हैं और व्यक्ति के पूरे जीवनकाल तक रहते हैं। एएसडी से ग्रस्त व्यक्ति को आपसे बातचीत करने में समस्या हो सकती है, या जब आप उनसे बात करते हैं तो वे आपकी आंखों में नहीं देख सकते हैं। उनकी सीमित रुचियां और दोहरावयुक्त व्यवहार हो सकता हैं। वे चीजों को व्यवस्थित करने में बहुत सारा समय लगा सकते हैं, या एक ही वाक्य बार-बार दोहरा सकते हैं। अक्सर वे अपनी ही दुनिया में खोये रहते हैं।
शोध में हुआ खुलासा
शोध के नतीजों में पाया गया कि एएसडी का खतरा डायबिटीज रहित महिलाओं के बच्चों की तुलना में उन प्रेग्नेंट महिलाओं के बच्चों में ज्यादा होता है, जिनमें 26 सप्ताह के गर्भ के दौरान डायबिटीज की शिकायत पाई जाती है। मां में डायबिटीज की गंभीरता डायबिटीज पीड़ित महिला के बच्चों में ऑटिज्म की शिकायत से जुड़ी होती है।
इस शोध में 4,19,425 बच्चों को शामिल किया गया, जिनका जन्म 28 से 44 सप्ताह के भीतर हुआ था। यह शोध 1995 से लेकर 2012 के दौरान किया गया और जेएएमए पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
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