क्या शर्म के कारण आप अपने पाद को अक्सर रोक लेती हैं?
खुद को बोल्ड दिखाने के लिए आंसू भी नहीं आने देती हैं?
या भूख लगने पर भी वजन के डर से खाने से बचती हैं?
तो आपकी यह आदत अच्छी नहीं है क्योंकि ऐसा करने से आपको शारीरिक और मानसिक परेशानी हो सकती है। शायद आपको हमारी बात पर यकीन नहीं आ रहा होगा। अगर हां तो हम आपको बता दें कि ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि यह आयुर्वेदिक एक्सपर्ट वाजपेयी जी का कहना है।
वाजपेयी जी के अनुसार, ''शारीरिक वेग शरीरिक क्रिया का हिस्सा है, इनको हमारा शरीर खुद से ही अपनी आवश्यकतानुसार शरीर से निकालता या लेने की कोशिश करता है, जैसे खांसी, यूरीन, उबासी, आंसू, भूख, प्यास, पाद, पॉटी, उल्टी, छींक डकार आदि। लेकिन क्या आप जानती है कि इन वेगों को रोकने से शरीर को काफी नुकसान हो सकता हैं। कुछ वेग तो ऐसे हैं जिनको रोकने से आपको बड़ी बीमारी तक हो सकती है।'' आज आयुर्वेदिक एक्सपर्ट वाजपेयी हमें ऐसे ही कुछ वेगों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें रोकने से आपको काफी नुकसान हो सकता है।
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पाद
अक्सर लोग शर्मिंदगी के चलते पाद को रोक लेते है लेकिन क्या आप जानती हैं कि पाद को रोकने से मल और मूत्र दोनों रुक जाते है, गैंस से पेट फूल जाता है, बड़ी आंत में इंफेक्शन, मल का आंतों में रूकना और थकान सी महसूस होने लगती है। पेट मे बादी से दर्द होने लगता है और वायु विकार होने लगता है।
उल्टी
इस वेग को रोकने से यानि आती हुईं उल्टी को रोकने से खुजली, चकते, अरुचि, मुंह में सूजन आदि समस्याएं हो सकती है। इसलिए आने वाली उल्टी को कभी भी नहीं रोकना चाहिए।
नींंद
इसके वेग को रोकने से जम्भाई, अंग टूटना, आंखों और ब्रेन में समस्या जैसे रोग हो सकते है। नींंद रोकने से इम्यूनिटी कमजोर होती है और चिड़चिड़ापन आता है।
डकार
डकार हमें चेतावनी देता है कि हम जल्दी जल्दी खा रहे या ज़रूरत और क्षमता से ज्यादा खा रहे। इसके वेग को रोकने से बादी के रोग होते है, गले और मुंह में भारी सा महसूस होना, हिचकी, खांसी, अरुचि, चेस्ट पर भारी महसूस होता है। जी हां डकार को रोकने से गैस से संबधित परेशानियां होती है।
मल यानि पॉटी
मल रूकने से गैस बनती है और गैंस से पेट फूल जाता है। पाखाना य मल क वेग रोक्ने से पेट मे गड़गड़ाहट और दर्द होता है, मल साफ़ नही होती है, डकारे आती है, ये लक्षण मध्वाचार्य ने लिखे है। मष्तिक में दर्द होता है।
प्यास
प्यास को रोकने से शरीर में कफ प्रबल हो जाता है। इसके वेग को रोकने से कंठ और मुँह सूखते है, कानोँ मे कम सुनाइ देता है, क़ब्ज़ होती है, मधुमेह का रोग और हृदय मे पीड़ा होती है।
यूरीन
इसको रोकने से काफी नुकसान होता है यूरीन ब्लैडर में इंफेक्शन होना का ख़तरा बढ़ जाता है। यूरीन रुक-रुक कर और कष्ट से होता है, सिर में दर्द होता है, पेट में आफरा तथा हिप्स के जोड़ो में शूल जैसा महसूस होता है। इतना ही नहीं बल्कि आंखों की रोशनी कमजोर होती है।
भूख
इसके वेग को रोकने से शरीर टूटना, अरुचि, थकान और नजर कम होना और शरीर मेें कमजोरी आना आदि जैसी समस्याएं देखी जा सकती हैंं। भोजन शरीर के लिये महत्वपूर्ण है। भोजन समय पर लें। भोजन को एक साथ ना खाकर दिन मे थोड़ा-थोडा करके खाएं। पौष्टिक डाइट ही लें।
उबासी
उबासी जैसे वेग को रोकने से गर्दन के पीछे की नस और गले का जकड़ जाना, मस्तिष्क में विकार होना, आंखों, मुंह और कान के रोग का होना का खतरा होता है।
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आंसू
अक्सर लोग दिल भरा होने के बावजूद, इसलिए नहीं रोते है कि लोग क्या कहेंगे। लेकिन अगर दुख में आंसू न निकले तो व्यक्ति पागल हो सकता है या किसी सदमे से उसकी मृत्यु भी हो सकती है। इस वेग को रोकने से मस्तिष्क का भारीपन, आंखों में समस्या, जुकाम, ह्रदय रोग, अरुचि और भ्रम आदि रोग हो सकते है।
अगर आप भी बीमारियों से बचना चाहती हैं तो इन शरीर में होने वाले इन नेचुरल वेगों को रोकने से बचें।
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