हम सभी बीमार पड़ जाते हैं। चाहे वह खांसी और जुकाम हो या वह अपच हो, हमने वह सब अनुभव किया है। जब हम बीमार नहीं होते हैं तो हमें कहा जाता है कि हम स्वस्थ भोजन करें और खूब एक्सरसाइज करें। लेकिन जब हम बीमार होते हैं, तो हमारे पास हमारी दादी के काढ़े और हमारी मां के हाथ का बना खाना होता है। अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए योग और एक्सरसाइज हमारे जीवन का एक हिस्सा होना चाहिए।
लेकिन जब हम बीमार होते हैं तब हमें एक्सरसाइज करने के लिए नहीं कहा जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हम बीमार होने पर आमतौर पर कमजोर होते हैं। इसलिए ज्यादातर लोगों के मन में यही सवाल होता है कि हमें बीमारी के दौरान योग करना चाहिए या छोड़ देना चाहिए। अगर आपके मन में यही सवाल है तो इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें। इस आर्टिकल के माध्यम से योगा मास्टर, फिलांथ्रोपिस्ट, धार्मिक गुरू और लाइफस्टाइल कोच ग्रैंड मास्टर अक्षर जी बता रहे हैं कि हमें बीमारी में योग करना चाहिए या नहीं।
सच्चाई यह है कि जब हम बीमार होते हैं तो हल्की एक्सरसाइज करना वास्तव में हमारे शरीर को ठीक करने में हमारी मदद कर सकता है। योग एक्सरसाइज के सबसे फायदेमंद रूपों में से एक है। योग हमारे शरीर को भीतर से ठीक करने में हमारी मदद करता है। बीमार होने पर हम बहुत कमजोर और थके हुए महसूस करते हैं। ऐसे समय में जबकि अन्य प्रकार की एक्सरसाइज हमें और थका सकती हैं, योगासनों का हल्का अभ्यास हमें अधिक स्वस्थ महसूस करवा सकता है। यही कारण है कि, हमें योग के अपने अभ्यास को पूरी तरह से छोड़ना नहीं है। जब हम बीमार होते हैं तो थका हुआ महसूस करना सामान्य है, इसलिए हमें अपने योग अभ्यास में बदलाव करने पडेंगे। हिमालयन योग आश्रम के योग शिक्षकों ने एक योग कार्यक्रम का सुझाव दिया है कि हम बीमार होने पर भी अभ्यास कर सकते हैं।
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अगर सामान्य सर्दी / खांसी और हल्का बुखार है।
1) कपालभाति
- किसी भी आरामदायक स्थिति में बैठें।
- जोर से सांस छोड़ें ताकि पेट अंदर की ओर जाएं।
2) सूर्य नमस्कार
- 11 चक्र करें- 1 चक्र के 24 चरण हैं।
अगर दस्त/उल्टी या कोई बीमारी है जो आपको बहुत कमजोर बना देती है।
1) गहराई से सांस लेना और सांस छोड़ना
- आपको 6 काउंट के लिए सांस लेना चाहिए और 6 काउंट के लिए सांस छोड़ना चाहिए।
2) अनुलोम विलोम
- अपनी दाईं नाक को बंद करें।
- अपनी बाईं नाक से सांस लें।
- फिर अपनी बाईं नाक को बंद करें।
- अपनी दाईं नाक से सांस छोड़ें।
- ऐसा ही विपरीत दोहराएं।
3) परिव्रत सुखासन
- अपनी पीठ के बल लेट जाएं।
- अपने पैरों को अपने घुटनों पर मोड़ें।
- अपनी बाहों को फैलाएं।
- अपने घुटनों को दाईं ओर और अपने चेहरे को बाईं ओर झुकाएं।
- इसके विपरीत दोहराएं।
यदि आप बहुत कमजोर महसूस करते हैं, तो आप अपने बिस्तर पर भी इनका अभ्यास कर सकते हैं। बीमार होने पर इन तकनीकों का अभ्यास करने से हमें तेजी से बेहतर होने में मदद मिलेगी और हमारे स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा में सुधार होगा। आखिर स्वास्थ्य ही तो सबसे बड़ा धन है!
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