योद्धा आसन (वीरभद्रासन) के नाम से जाना जाने वाला स्थायी योग है जो पूरे शरीर को एक्टिव करता है और कमर तक फैला हुआ है। विनयसा फ्लो क्लासेस में, इसे अक्सर 'डांसिंग वॉरियर' सीक्वेंस के एक भाग के रूप में प्रदर्शित किया जाता है, जो वॉरियर I से वॉरियर II और फिर सीधे रिवर्स वॉरियर में जाता है।
वारियर 1 पोज़ विरोधी संरेखण से भरा है, लेकिन जब सभी एंटी मूवमेंट एक साथ काम करते हैं, तो पोज़ पूरे शरीर को अनुभव प्रदान करता है। इससे आपके टखनों और काफ मसल्स में स्ट्रेच आता है। क्वाड्रिसेप्स और पीठ को मजबूती मिलती है। पैर लंबे होंगे और ऊपरी शरीर और बाहों में फैलाव आएगा।
शरीर का लगभग कोई भी अंग ऐसा नहीं है जो वीरभद्रासन 1 धारण करने का प्रतिफल प्राप्त न करता हो। हालांकि, आप इसे करके अपने पूरे शरीर को टोन कर सकते हैं लेकिन यह विशेष रूप से निचले हिस्से हिप्स और थाइज के लिए असरदार होता है।
यह आसन आपके लिए कैसे फायदेमंद हो सकता है और इसे कैसे करना चाहिए? आइए इस आर्टिकल के माध्यम से योगा मास्टर, फिलांथ्रोपिस्ट, धार्मिक गुरू और लाइफस्टाइल कोच हिमालयन सिद्ध अक्षर जी से विस्तार में जानें।
वीरभद्रासन - I (योद्धा मुद्रा) के स्टेप्स
स्टेप 1
- पैरों को एक साथ मिलाकर शुरू करें। पीठ सीधी और चिन को थोड़ा ऊपर उठाएं। अपना केंद्र ढूंढकर ऊर्जाओं को संतुलित करें। बाजुओं को शरीर के बगल में मजबूती से रखें।
- शरीर के वजन को दोनों पैरों के बीच समान रूप से वितरित महसूस करने के लिए धीरे-धीरे सांस लें और छोड़ें।
- ताड़ासन या समस्तीथी में स्थिरता और ग्राउंडिंग खोजें।
स्टेप 2
- दाहिने पैर को लगभग 4 फीट की दूरी पर आगे की ओर रखें। दाहिना पैर चटाई के टॉप की ओर इशारा करते हुए होना चाहिए। अब धीरे-धीरे दाहिने घुटने को एक लंज में मोड़ें।
स्टेप 3
- दाहिने घुटने को लंज पोजीशन में रखते हुए, बाएं पैर को पीछे सीधा रखें। धीरे-धीरे बाईं एड़ी को लगभग 45 डिग्री पर अंदर की ओर घुमाएं। दाहिनी जांघ लगभग फर्श के समानांतर होनी चाहिए।
स्टेप 4
- दोनों बाजुओं को सीधे सिर के ऊपर उठाएं, हथेलियों को मिलाते हुए कंधों को नीचे धकेलें।
स्टेप 5
- हथेलियों को देखने के लिए चिन को ऊपर उठाएं। श्वास लें और सांस छोड़ें क्योंकि बाईं ओर दोहराने से पहले आसन को बनाए रखते हैं।
सावधानी
यदि संतुलन की समस्या है या हिप्स, घुटने, पीठ या कंधे में चोट है तो इस आसन को न करें। गर्दन में दर्द हो तो कंधों को आराम देना चाहिए। बाजुएं, कमर और जांघें खिंचेंगी, लेकिन कोई दर्द नहीं होना चाहिए।
वीरभद्रासन के फायदे
- योद्धा I पैरों और ग्लूट्स, कूल्हों के सामने (हिप फ्लेक्सर्स) और पिंडली को मजबूत और फैलाता है। सामने के पैर में, यह आसन जांघ, पिंडली और टखने को मजबूत करता है। पिछले पैर में, यह जांघ (हैमस्ट्रिंग) और काफ की मसल्स के पिछले हिस्से को फैलाता है।
- यह शरीर के ऊपरी हिस्से के लिए भी एक शक्तिशाली आसन है। ऊपर पहुंचने से सिर को पैरों से चेस्ट और कंधों तक फैलाया जाता है। यह कंधों के आस-पास के एरिया को भी फैलाता है और मजबूत करता है। साथ ही पीठ और बाजुओं में मजबूती लाता है।
- आपके हाथ, पैर, कंधे, गर्दन, पेट, कमर और टखनों को स्ट्रेच करता है।
- ऊर्जा बढ़ाता है, थकान से लड़ने में मदद करता है और संतुलन में सुधार करता है।
- आत्मविश्वास और सशक्तिकरण बनाने में मदद कर सकता है।
- मुद्रा में सुधार करता है और लंबे समय तक बैठने और कंप्यूटर पर काम करने के प्रभावों का प्रतिकार करता है।
- इसे करने से नर्वस सिस्टम मजबूत होता है और पेट की चर्बी कम होती है।
- रोजाना इस योग को करने से चेहरे पर ग्लो आता है।
आप भी इस योगासन को रोजाना करके ये सारे फायदे पा सकती हैं। अगर आपको भी फिटनेस से जुड़ी कोई समस्या है तो हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं और हम अपनी स्टोरीज के जरिए इसका हल करने की कोशिश करेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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