किसी भी महिला के लिए मां बनने का अहसास बेहद सुखद होता है, लेकिन यह अपने साथ कुछ चुनौतियां लेकर भी आता है। हालांकि, सही डाइट और फिटनेस महिलाओं को सुरक्षित प्रेग्नेंसी में मदद करती है और डिलीवरी के बाद वह जल्दी ठीक भी हो जाती हैं। साथ ही, योग को समग्र विकास के लिए और विशेष रूप से होने वाली माताओं की समग्र भलाई के लिए बेहद मददगार माना जाता है, लेकिन जब सही मार्गदर्शन और गायनेकोलॉजिस्ट की अनुमति से किया जाए। इस आर्टिकल में हम आपको कुछ योगासन के बारे में बता रहे हैं, जो आप प्रेग्नेंसी के दौरान कर सकती हैं। इन योगासन की जानकारी हमें एक्ट्रेस और हरभजन सिंह की वाइफ गीता बसरा के इंस्टाग्राम को देखने के बाद मिली है।
गीता बसरा अपने दूसरे बच्चे के आगमन की अच्छी तैयारी करने के लिए प्रीनेटल योग करती हैं और वह योग करते हुए वीडियोज इंस्टाग्राम के माध्यम से फैन्स के साथ शेयर भी करती हैं। कुछ दिनों पहले उन्होंने योग करते हुए एक वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो में उन्हें ऐसे आसन करते हुए देखा जा सकता है, जो पेल्विक एरिया, हिप्स और कोर को मजबूत करते हैं। बच्चे के जन्म के दौरान इन हिस्सों पर सबसे ज्यादा जोर पड़ता है। इसके कैप्शन में उन्होंने लिखा, ''इस वीडियो में शामिल प्रीनेटल योग बॉडी को रिलैक्स और कूल डाउन करने में मदद करते हैं। मैं आपको कुछ सुरक्षित प्राणायाम दिखा रही हूं, जो न सिर्फ प्रेग्नेंसी के दौरान बेहद फायदेमंद हैं, बल्कि महत्वपूर्ण भी हैं।'' आइए इन योगासन के बारे में जानें।
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स्क्वाट पोज हिप्स को खोलने और पेल्विक फ्लोर की मसल्स को ओपन करने में मदद करता है। प्रेग्नेंसी में कब्ज होना आम है और यह मुद्रा डाइजेशन में मदद करती है।
यदि आपका शिशु ब्रीच (नीचे की ओर) में है और आपको प्रेग्नेंसी के 34 सप्ताह या उससे ज्यादा हो गए हैं, तो मलासन योग न करें।
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यह उष्ट्रासन की संशोधित मुद्रा सपोर्ट बैकवर्ड बेंड है, जो आपको प्रेग्नेंसी के दौरान कंधों, चेस्ट और हिप्स को खोलने में मदद करती है। यह घुटनों के पार, पेल्विक में और क्वाड्स में एक गहरा स्ट्रेच लाती है। इसेे करने से पैरों के फ्लेक्सिबल होने से डिलीवरी के समय आपके बच्चे को बाहर धकेलते समय स्ट्रेच या चोट से बचने में मदद मिलती है।
यह बहुत ही आसान योग है, जिसे बिना किसी मदद के किया जा सकता है। यह पेट की परेशानी को दूर करते हुए कमर एरिया और हैमस्ट्रिंग की स्ट्रेचिंग में मदद करता है। इसे एक ध्यान मुद्रा के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है और इस प्रकार, शारीरिक और मानसिक रिलैक्स के माध्यम से तनाव को दूर करने में मदद करता है। यह आसन पाचन को सही रखने में भी मदद करता है, जिससे प्रेग्नेंसी के दौरानहार्टबर्न और पाचन संबंधी समस्याओं से राहत मिलती है। यह हिप्स, जांघों और पेल्विक मसल्स में स्ट्रेच लाता है और उन्हें खोलता है, जो लेबर को आसान बनाने में मदद करता है।
यह मुद्रा पीठ के निचले हिस्से, रीढ़ और सेक्रम सहित पेल्विक मसल्स को मजबूत करती है, ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करती है और लेबर पेन में मदद करती है।
इस योगासन को करने से हिप्स के अंदर और थाइज की मसल्स में स्ट्रेच आता है और यह हिप्स में ब्लड सर्कुलेशन को प्रोत्साहित करता है।
यह आपको अच्छी तरह से सांस लेना सिखाता है, जिससे आपके फेफड़े मजबूत होते हैं और ब्लड शुद्ध होता है। लेबर पेन के दौरान मदद करता है। प्राणायाम मन को शांत करने और किसी भी तनाव को दूर करने के लिए बढ़िया होता है। लेकिन प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ प्राणायामों जैसे भस्त्रिका और कपालभाति को करने से बचना चाहिए।
कुछ दिनों पहले भी गीता बसरा ने योगासन करते हुए एक वीडियो शेयर किया था। इसके कैप्शन में उन्होंने लिखा, ''इस वीडियो में, मैं आपको कुछ बुनियादी आसन दिखा रही हूं, जिन्हें आप खड़े होकर आसानी से कर सकती हैं।'' इन वीडियो में भी उन्हें कुछ योगासन को करते हुए देखा जा सकता है।
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इसे 'अल्टीमेट आसन' के रूप में भी जाना जाता है। यह आपकी पीठ के साथ-साथ आपकी मसल्स को भी मजबूत करता है और ब्लड शुगर के लेवल को कम करता है। इसके अलावा, यह मेटाबॉलिज्म और ब्लड सर्कुलेशल के लिए अच्छा होता है। गीता बसरा का कहना है, ''इस वीडियो में मैंने जो दिखाया है, उसे प्रेग्नेंसी के अनुकूल नियमित सूर्य नमस्कार से बदल दिया गया है।''
यह योग लेबर के दौरान आपकी मदद करने के लिए मसल्स, विशेष रूप से पेल्विक को मजबूत और स्ट्रेच में मदद करता है।
आपकी चेस्ट, गर्दन और पीठ की मसल्स को मजबूत करता है और आपको पूरे शरीर में अच्छी स्ट्रेचिंग देता है।
इस मुद्रा को करते समय सावधानी बरतनी चाहिए। कृपया इसे किसी ऐसे व्यक्ति के साथ करें जिससे आपको संतुलन बनाने में मदद मिल सके या दीवार के सहारे का उपयोग किया जा सके। किसी भी समय आपको यह मुश्किल लगता है, चक्कर आ रहे हैं या कोई दर्द है तो कृपया इसे तुरंत बंद कर दें। यह मुद्रा शरीर की एकाग्रता और संतुलन के लिए बहुत अच्छी है।
आपकी रीढ़ को मजबूत करता है, पीठ की परेशानी को कम करता है और सहनशक्ति का निर्माण करता है।
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हैमस्ट्रिंग, घुटनों और टखनों को स्ट्रेचेच है और मजबूत करता है। मन को शांत करता है। लचीलेपन में सुधार करता है और आपके पेल्विक एरिया को खोलता है।
हिप्स और पेल्विक के आस-पास की मसल्स को मजबूत करने के लिए बहुत अच्छा है, जो आपको डिलीवरी के दौरान सहारा देगी। यह संतुलन और शांति के लिए भी अच्छा होता है।
अगर आपको किसी भी समय चक्कर आना, बेचैनी या दर्द महसूस हो तो कृपया योग को तुरंत बंद कर दें। प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी तरह के योग को सिर्फ एक्सपर्ट की सलाह के बाद ही करना चाहिए। फिटनेस से जुड़ी और जानकारी पाने के लिए हरजिंदगी से जुड़ी रहें।
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