योग का अभ्यास न केवल दिमाग को शांत और शरीर को मजबूत करता है, बल्कि यह चेहरे से बढ़ती उम्र के लक्षण जैसे झुर्रियां, झाइयों या काले धब्बों और ड्राई त्वचा को भी हमसे दूर रखता है।
सांस नियंत्रण में महारत हासिल करने से हमें शारीरिक स्वास्थ्य का अधिक समय तक लाभ मिलता है और एजिंग का मुकाबला करने के लिए यह एक शक्तिशाली उपकरण है।
गहरी सांस लेने से हार्ट रेट धीमी हो जाती है, नर्वस सिस्टम को आराम मिलता है और तनाव हार्मोन का मुकाबला करने में मदद मिलती है। प्राणायाम में गहरी सांस लेने से ऑक्सीजन लेवल बढ़ता है और त्वचा बेदाग, जवां और ग्लोइंग दिखाई देती है।
आज हम आपको 2 ऐसे प्राणायाम के बारे में बता रहे हैं जो झुर्रियों को कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं। इनके बारे में हमें अक्षर योग संस्थान के योग और आध्यात्मिक गुरु हिमालयन सिद्ध अक्षर बता रहे हैं।
सूर्य भेदी प्राणायाम
सूर्य भेदी प्राणायाम हमारे भीतर सूर्य की ऊर्जा को चैनलाइज़ करता है। यह सूर्य नाड़ी का भेदन है या सूर्य नाड़ी का चैनलीकरण है, जो हमें सूर्य की शक्ति प्राप्त करने में मदद करता है। हमारा अभ्यास शरीर के भीतर सूर्य नाड़ी चैनल को सक्रिय करता है। सूर्य के गुण, तर्क, शरीर की कार्यक्षमता, बल सभी इस अभ्यास से शक्ति प्राप्त करते हैं।
विधि
- पालथी मारकर आरामदायक मुद्रा (जैसे सुखासन, अर्धपद्मासन या पद्मासन) में बैठें।
- पीठ को सीधा करें और आंखें बंद कर लें।
- शरीर पर ध्यान दें, संतुलित रहें।
- रीढ़, गर्दन और पीठ एक सीध में होनी चाहिए।
- तर्जनी और मध्यमा अंगुलियों को माथे पर रख लें।
- बाएं नाक की छेद को बाकि दो अंगुलियों से बंद करके दाएं नाक की छेद से सांस को धीरे-धीरे बाहर निकाल दें।
- फिर दाएं नाक से आवाज करते हुए लंबी सांस अंदर की ओर लें।
- अब थोड़ी देर के लिए सांस अंदर रोक लें।
- फिर बिना आवाज किए बाईं नाक से सांस बाहर निकाल दें।
- इस प्रकार 15-20 बार इसका अभ्यास करें।
दिशा और अवधि- पूर्व की ओर मुंंह करें। आप इस श्वास तकनीक का अभ्यास दिन में 1-2 मिनट के लिए शुरू कर सकते हैं और समय के साथ धीरे-धीरे इसे बढ़ा सकते हैं।
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कपाल भाति प्राणायाम का महत्व
संस्कृत में, 'कपाल' का अर्थ 'खोपड़ी' है और 'भाती' का अर्थ 'चमकना/रोशनी' है। इसलिए इस कपालभाति प्राणायाम को स्कल शाइनिंग ब्रीदिंग टेक्निक भी कहा जाता है। कपालभाति सबसे शक्तिशाली प्राणायाम तकनीकों में से एक है, जो बुढ़ापा रोकने में मदद करता है।
विधि
- किसी भी आरामदायक आसन में बैठें।
- पीठ को सीधा करें और आंखें बंद कर लें।
- हथेलियों को घुटनों पर ऊपर की ओर रखें।
- सामान्य रूप से सांस लें और छोटी, लयबद्ध और जोरदार सांस के साथ सांस छोड़ने पर ध्यान दें।
- नासिका छिद्रों से कुछ बल और ध्वनि के साथ सांस छोड़ें, जैसे नथुनों को साफ करने का प्रयास कर रहे हों।
- फिर श्वास लें, लेकिन बहुत अधिक प्रयास या बल के बिना।
- जैसे ही सांस छोड़े पेट की मसल्स को सिकोड़ें और नाभि को रीढ़ की ओर खींचें।
- पेट को अंदर खींचने और सिकोड़ने के लिए कुछ प्रयास करें।
- फिर सांस लेते हुए संकुचन को छोड़ दें।
- पहले धीमी गति से अभ्यास करें।
- ऐसी कुछ और सांसें लयबद्ध तरीके से आरामदायक गति से लें और विश्राम करें।
- 2-3 बार दोहराएं।
जैसे-जैसे कपालभाति के अभ्यास की गहराई में जाते हैं, तीन स्तरों- शांत, मध्यम गति और तेज गति का अभ्यास बड़े ध्यान और देखभाल के साथ करने की आवश्यकता होती है। शांत गति से अभ्यास शुरू करें, जब इस अवस्था में अनुभव प्राप्त कर लें, तो मध्यम गति की ओर बढ़ें।
नियमित अभ्यास से, तीव्र गति, उन्नत अवस्था का अभ्यास कर सकते हैं। प्रत्येक स्तर के साथ अभ्यास की गति बढ़ती जाती है।
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सावधानियां
हाई ब्लडप्रेशर, चिंता या पैनिक अटैक से पीड़ित लोगों को कपालभाति से बचना चाहिए। इसके अलावा, हार्ट रोग, हर्निया, गैस्ट्रिक अल्सर, मिर्गी, चक्कर, माइग्रेन का सिरदर्द, नकसीर, रेटिना, ग्लूकोमा, स्ट्रोक का इतिहास और हाल ही में पेट की सर्जरी से गुजरने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए भी मना है।
आप भी इन 2 प्राणायाम को करके झुर्रियों को कम कर सकते हैं। अगर आप भी फिटनेस से जुड़ी कोई जानकारी चाहते हैं, तो हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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