Yoga for Easy Delivery: प्रेग्नेंसी, लेबर और डिलीवरी एक महिला के जीवन में सबसे बड़ी चुनौतियों में से कुछ हैं, लेकिन एक मजबूत, कोमल पेल्विक फ्लोर प्रेग्नेंसी की कई असुविधाओं को कम कर सकता है और डिलीवरी को आसान बना सकता है।
इसलिए आज हम आपके लिए कुछ ऐसे योगासन लेकर आए हैं जो डिलीवरी को आसान बना सकते हैं। इसकी जानकारी हमें फिटनेस ट्रेनर Juhi Kapoor जी के इंस्टाग्राम पेज को देखने के बाद मिली है। अगर आप भी अपनी डिलीवरी को आसान और लेबर पेन को कम करना चाहती हैं तो इन योग को अपने रुटीन में शामिल करें।
जी हां, प्रेग्नेंसी के दौरान एक महिला के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए योग को बहुत अच्छा माना गया है और यह मां और बच्चे को हेल्दी रखने में भी मदद करता है। यूनाइटेड स्टेट्स नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार, लगभग 150 मिनट की मीडियम तेज फिजिकल एक्टिविटी प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए फायदेमंद हो सकती है।
बेहतर महसूस करने और रिजल्ट देखने के लिए एक योग स्लॉट में लंबे समय तक रहने की आवश्यकता नहीं है। महिलाएं हफ्ते में 5 बार 30 मिनट या सप्ताह में 10 बार 15 मिनट तक योग कर सकती हैं। अच्छी बात लगातार बने रहना है।
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अब, जो महिलाएं अपनी प्रेग्नेंसी से पहले नियमित रूप से योग करती थीं, वे ऐसा करना जारी रख सकती हैं, लेकिन जिन महिलाओं ने कभी योग का अभ्यास नहीं किया और पहली बार इसे आजमाना चाहती हैं, उन्हें अपने डॉक्टरों से परामर्श करना चाहिए और इसे धीमा करना चाहिए।
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Juhi Kapoor जी का कहना है, 'बच्चे के जन्म को आसान बनाने के लिए और जन्म नहर के खुलने और लचीलेपन में सुधार करने के लिए, यहां कुछ दिलचस्प योग तकनीकें हैं जो मददगार हो सकती हैं।'
आप सेकंड ट्राइमेस्टर से इसका अभ्यास शुरू कर सकती हैं। आप थर्ड ट्राइमेस्टर में भी इसका अभ्यास कर सकती हैं। आप सपोर्ट के लिए आप ब्लॉक, कुशन, बॉल जैसे प्रॉप्स का इस्तेमाल कर सकती हैं।
यह पेल्विक को खोलने और डिलीवरी को आसान बनाने में काफी मदद कर सकता है और लेबर की परेशानी को कुछ हद तक कम कर सकता है।
भारतीय महिलाओं द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली फर्श की सफाई के समान, यह पेल्विक को खोलने और पेल्विक फ्लोर मसल्स को मजबूत करने का एक शानदार तरीका है। अपने हाथों से फर्श का सहारा लेने की कोशिश करें ताकि आप संतुलन न खोएं। दूसरी और तीसरी तिमाही में अभ्यास करें।
इन कंडीशन्स में ऊपर बताए 2 योग को करने से बचना चाहिए-
इसका अभ्यास 9वें महीने में ही करना चाहिए। यह अपान प्राण (शरीर से उन्मूलन के कार्य के लिए जिम्मेदार) को सक्रिय करता है। प्रेग्नेंसी के 8 महीने में इसका अभ्यास न करें।
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उपरोक्त सभी योगासन केवल पंजीकृत प्रसवपूर्व योग शिक्षक (RPYT) के मार्गदर्शन में ही किए जाने चाहिए।
आप भी इन योग की मदद से डिलीवरी को आसान बना सकती हैं। इस आर्टिकल को शेयर और लाइक जरूर करें, साथ ही कमेंट भी करें। फिटनेस से जुड़े ऐसे ही और आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
Image Credit: Freepik.com
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