बहुत समय से संजय लीला भंसाली की वेब सिरीज ‘हीरा मंडी’ चर्चा में है। इस वेब सीरीज की न केवल कहानी अलहदा है बल्कि यह वेब सिरीज महिलाओं की बेहद पसंदीदा बनती जा रही है। इसका सबसे बड़ा कारण है वेब सिरीज में कलाकारों के डिजाइनर आउटफिट्स।
वैसे तो डिजाइनर आउटफिट्स में आपने सेलिब्रिटीज को पहले भी कई बार देखा होगा, मगर वेब सिरीज ‘हीरा मंडी‘ में मौजूद एक्ट्रेसेस ने जो आउटफिट्स पहने हुए है, उन्हें देखकर नवाबों का दौरा याद आ रहा है। हम और आपने बेशक इस दौर को नहीं देखा है, मगर किस्से कहानियों में इस दौर की शान-ओ-शौकत के बारे में बहुत सुन रखा है। खासतौर पर नवाबों के कपड़ोंं और रहन-सहन के बारे में सुनकर बहुत ज्यादा फैसिनेटिंग लगता है और इस दौर में जाने और उनकी जिंदगी को करीब से देखने का दिल भी करता है।
सही मायने में मुगलों और नवाबों ने ही भारतीय लोगों को बताया है कि फैशन क्या होता है? कपड़ों और गहनों की खूबसूरती कैसे आपकी दिखावट को बदल देती है।इस दौर में फैशन में एक नजाकत और नफासत हुआ करती थी। इस दौर में की जाने वाली कारिगरी भी विशेष होती थी। कपड़ों पर सोने और चांदी के तारों से किया जाने वाला काम देखकर आंखें चौंधिया जाती थीं। कुछ ऐसा ही महसूस होता है जब आप वेब सिरीज हीरा मंडी देखेंगे। चलिए आज हम आपको बताते हैं कि वेब सिरीज हीरा मंडी ने कैसे भारतीय फैशन इंडस्ट्री में नवाबों के दौर को वापस ला खड़ा किया है।
View this post on Instagram
कैसा था नवाबों का दौर?
आपके लिए यह जान लेना बहुत जरूरी है कि मुगलों द्वारा किसी को सम्मान में ‘नवाब’ की उपाधि जाती थी। यह नवाब शाही परिवार का ही हिस्सा होते थे। इनके शौक भी मुगलों की तरह ही थे। यहां तक कि इनका पहनावा भी मुगलों की तरह ही इनकी शान-ओ-शौकत की कहानी बयां करते थे।
तब सबसे ज्यादा रेशम और उच्च कोटि के धागों से तैयार किए गए सूत से बने कपड़े पहने जाते थे। इन कपड़ों पर हैवी एंब्रॉयडरी, सोने और चांदी के तारों से किया गया आरी वर्क और मुकेश का काम किया जाता था। नवाबों के घर की महिलाओं के लिए सजना संवरना और सुंदर दिखने का विशेष महत्व था। ऐसे में सबसे ज्यादा फोकस उन लोगों को पहनावे और आभूषणों पर ही था। इसलिए ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि मुगलों और नवाबों का भारतीय फैशन के विकास और विस्तार में बड़ा हाथ।
इसे जरूर पढ़ें: Mughal Art: मुगलई विरासत का खूबसूरत हिस्सा रही मीनाकरी का फैशन इंडस्ट्री में योग्यदान
नवाबी पहनावा कैसा होता था?
नवाबों के घर की महिलाएं भारी भरकम गरारे और शरारा पहना करती थीं। अनारकली सूट का फैशन भी इसी दौर में आया था। इसके अलावा साड़ी और लहंगे में भी नवाबों के दौर में बहुत ही खूबसूरत एंब्रॉयडरी और जरी वर्क किया जाता था।
अनारकली कुर्ते आज भी फैशन इंडस्ट्री को महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और इनमें आपको बहुत सारी वेराइटी देखने को मिल जाएगी। मगर अनारकली का अर्थ होता है कि कुर्ते में ढेर सारी अलग-अलग कलियां बनाई गई हों और उन सबको जोड़ कर बड़ा सा घेरा बनता हो।
यही वो दौर था जब चटापट्टी का काम बहुत लोकप्रिय हुआ था। नवाबों के घर की महिलाएं अपने फैशन में बदलाव करने के लिए नई कारीगरी के साथ-साथ कपड़ों अलग-अलग टुकड़ों को आपस में जुड़वा कर भी परिधान सिलवाया करती थीं। इसे चटापट्टी कहा गया । अवध के नवाबों ने इस कला का विस्तार किया। सबसे पहले लखनऊ के नवाबों ने चटापट्टी के काम वाले कपड़ों को प्रधानता थी। चटापट्टी आज उतनी मशहूर नहीं है। इसे लोग इस नाम से जानने की जगह पैचवर्क के नाम से ज्यादा जानते हैं। मगर इस कला का उदय नवाबों के दौर में ही हुआ था।
View this post on Instagram
नवाबों के दौर में की जाने वाली एम्बॉयडरी
दबका, नक्काशी, कश्मीरी टिल्ला, हाथ से काटे गए सेक्विन का उपयोग करके जरदोजी कढ़ाई द्वारा कपड़ों की सजावट करना, यह सभी कुछ नवाबों के दौर का काम है, जो आज भी लोगों को अपनी खूबसूरती की वजह से आकर्षित करता है। अब आपको डिजाइनर कपड़ों पर इस तरह का काम देखने को मिल जाएगा। खासतौर पर लहंगों, साड़ियों और हैवी शरारा कुर्ते में भी आपको इस तरह की एंब्रॉयडरी देखने को मिल जाएगा।
ऐसा माना जाता है कि एक डिजाइन की खूबसूरती को कायम रखने के लिए नवाबों के दौर में एक ही पोशाक में कई कलाओं का संगम देखने को मिलता था। आपको बता दें कि वेब सिरीज ‘हीरा मंडी’ में कलाकारों के कपड़ों को रिंपल और हरप्रीत ने डिजाइन किया है। अपनी कई इंस्टाग्राम पोस्ट में उन्होंने इस बात का जिक्र किया है कैसे उन्होंने मुगल टेक्सटाइल और पर्शियन डिजाइंस के मेलजोल से इन आउटफिट्स को तैयार किया है, जिनका इतिहास 17वीं और 19वीं सदी का है।
इसे जरूर पढ़ें: Where Fashion Meets Technology: बदल रहे हैं फैशन के आयाम, म्यूजिकल और लाइट वाले आउटफिट्स का है ट्रेंड
View this post on Instagram
ब्रोकेड का इस्तेमाल
ब्रोकेड एक ऐसा फैब्रिक है जिसे स्पेशल वीव टेक्नोलॉजी के माध्यम से तैयार किया जाता है और यह एक प्रकार का सिल्क फैब्रिक ही होता है। इसे बनारस में तैयार किया जाता है और इसमें मुगलों के समय से सबसे ज्यादा जो काम पसंद किया जाता है है वह सुची जरी वर्क। इतना ही नहीं, ज्वेलरी में किया जाने वाला मीनाकारी का काम भी आपको ब्रोकेड में मीनाकारी बेल के रूप में देखने को मिल जाएगा। आप यूं कह सकते हैं कि मीनाकारी कला से ही यह डिजाइन इंस्पायर्ड हैं। नवाबों के दौर में ऐस कपड़ों केवल शाही परिवार के लोग ही पहन पाते थे, मगर वेब सिरीज के रिलीज होने के बाद आम महिलाओं में इसका क्रेज और भी ज्यादा बढ़ गया है।
गोटा पट्टी वर्क भी बहुत चलन में है और सबसे ज्यादा इस कला को राजस्थान में प्रोत्साहन मिला है। नवाबों के दौर में गोटेदार कपड़ों को भी शाही परिवार की महिलाएं खूब पहनना पसंद करती थीं। यह फैशन आज नया स्वरूप धारण कर चुका है, मगर जब हैवी और रॉयल लुक की बात आती है, तो आज भी महिलाएं गोटेदार कपड़े खूब भाते हैं। हालांकि, इन कपड़ों में नवाबी शान के साथ ही राजपुताना अंदाज भी झलकता है, मगर वर्तमान समय में फैशन इंडस्ट्री में गोटा पट्टी एम्ब्रॉयडरी ने अपनी एक अलग ही जगह बना ली है।
वेब सिरीज ‘हीरा मंडी’ के आने के बाद से आम महिलाओं में भी हैवी एंब्रॉयडरी वाले डिजाइनर आउटफिट्स के लिए चाव बढ़ गया है। मुगलों और नवाबों के लाए इस फैशन को एक बार फिर बढ़ावा मिला है और महिलाओं के मध्य इसे बहुत अधिक पसंद किया जा रहा है।
अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हर जिंदगी से। अपने विचार हमें आर्टिकल के ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है! हमारे इस रीडर सर्वे को भरने के लिए थोड़ा समय जरूर निकालें। इससे हमें आपकी प्राथमिकताओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। यहां क्लिक करें
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों