हिंदू धर्म में 16 श्रृंगार का महत्व बहुत अधिक है। यह श्रृंगार महिलाएं करती हैं। इस श्रृंगार में न केवल रंग-रोगन की वस्तुएं होती हैं बल्कि गहने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सिर से लेकर पांव तक महिलाएं अलग-अलग गहनों से ढकी रहती हैं।
पायल भी इन्हीं गहनों में से एक है। हम महिलाएं इस गहने को बहुत ही शौक से अपने पैरों में पहनती हैं और इनकी मधुरी छम-छम से लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेती हैं। मगर यह पायल आखिरकर आई कहां से। क्या यह भारतीय संस्कृति का हिस्सा थी या बाद में बनी। आज हम इस आर्टिकल में इसी विषय पर चर्चा करेंगे और आपको कुछ रोचक तथ्य बताएंगे।
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पायल के अन्य नाम
पायल को पाटिल, पाजेब, झांझा, गोलूसु, नूपुर आदि कई नामों से पुकारा जाता है। पायल को अंग्रेजी में एंक्लेट भी कहते हैं यानि की पच्छमी सभ्यता में भी पायल को बहुत ही उपयोगी माना गया है। इसकी उत्पत्ती कब हुई यह कहना बहुत ही मुश्किल है, मगर देश के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक हम्पी के मंदिरों में मौजूद मूर्तियों ने भी जो गहने पहने है उसमें मोटी और वजनदार पायल नजर आती हैं। यह पायल पुरुष और महिलाओं दोनों ने धारण किए हुए हैं। इससे अंदाज लगाया जा सकता है कि यह गहना दोनों ही लोग पहन सकते हैं। हालांकि, महिलाओं और पुरुषों द्वारा पहनी जाने वाली पायल की रूप रेखा अलग-अलग नजर आती है।
चांदी या सोने की पायल: यह है शुभ और अशुभ
सोने देवी लक्ष्मी का प्रतिनिधित्व करता है इसलिए हिंदू धर्म में सोने को पैरों में पहनना वर्जित माना गया । वहीं चांदी शरीर को ठंडा रखती हैं इसलिए इसे शरीर के किसी भी हिस्से में धारण किया जा सकता है। ऐसा भी कहा जाता है चांदी की उत्पत्ती भगवान शिव से हुई है। वैसे कुल मिला कर बाजार में आपको पायल केवल चांदी की धातु में ही उपलब्ध होगी। आप चाहेंगी भी तो सोने की पायल मिलना मुश्किल है। हां, आप आर्टीफीशियल सोने की पॉलिश वाली पायल पहन सकती हैं, यह आपको बाजर में खूब मिल जाएगी।
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इसके वैज्ञानिक लाभ भी है
पायल में लगे नूपुर की आवाज मन को शांति देती है और इससे होने वाली वाइब्रेशन से शरीर को कई लाभ पहुंचते हैं। ऐसा कहा जाता है कि पैरों में पायल पहनने से एक्याप्रेशर प्वॉइंट्स प्रेस होते हैं, जिससे पैरों की सूजन और दर्द में राहत मिलती है। बाकि चांदी ठंडी होती है तो यह शरीर को भी ठंडा रखती है।
अन्य मान्यता
पायल से जुड़ी अन्य मान्यता यह भी रही है कि यह महिलाओं के पैरों में डलने वाली खूबसूरत बेडि़यां होती हैं, जो महिलाओं उनकी सीमाओं में से बाहर निकलने से रोकती है। हालांकि, यह एक बहुत खूबसूरत गहना है, जो महिलाओं के श्रृंगार को पूरा करता है और इस सुंदरता के आगे ऐसी कोई भी धारणा बेमायने सी लगती है।
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