Indian Jewellery: क्या होती है नवरत्न? जानें इसका महत्व

नवरत्न ज्वेलरी को अपने कलेक्शन में शामिल करने से पहले उनकी खासियत और महत्व के बारे में जान लें। इस आर्टिकल का अंत तक पढ़ें और नवरत्‍न के बारे में डिटेल में जानें। 

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भारत में गहनों का इतिहास बहुत पुराना है। इसके प्रमाण देव युग से मिलते है और फिर खुदाई में मिली सिंधु घाटी सभ्‍यता में भी ऐसे कई साक्ष्य मिलते हैं, जो बताते हैं कि महिला और पुरुष दोनों ही गहने धारण करते थे। नवरत्न ज्वेलरी का इतिहास भी उतना ही पुराना है, जितना कि भारत में गहनों का इतिहास है।

नवरत्न के बारे में हमने कई बातें सुन रखी हैं। कोई इसे मुगल काल से जोड़ता है, तो कोई ज्‍योतिष शास्‍त्र से। देखा जाए तो नवरत्न ज्‍वेलरी का धार्मिक महत्‍व भी है और यह अब फैशन ज्वेलरी का भी हिस्‍सा बन गई है।

हाल ही में बहुत सारे बॉलीवुड सितारों को नवरत्नों को प्रमोट करते हुए देखा गया। किसी को पुखराज पहने देखा गया, तो कोई नीलम धारण करे नजर आया। वहीं नवरत्‍नों में शामिल हीरे को भी बहुत पसंद किया जाता है।

अब सवाल यह उठता है कि इसे नवरत्‍न क्‍यों कहा जाता है? तो आज हम आपको इस आर्टिकल में यही बताने वाले हैं कि नवरत्न क्या हैं और उनका क्‍या महत्‍व है। साथ ही फैशन की दुनिया में यह कैसे लगातार ट्रेंड में आते जा रहे हैं।

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क्‍या है नवरत्न ज्वेलरी का महत्व?

हिंदू धर्म के हिसाब से नवरत्‍न में जो नौ रत्‍न शामिल किए गए हैं, उन्हें नौ ग्रहों से जोड़ा गया है। ऐसा कहा गया है कि इन नौ रत्‍नों में आप जो भी रत्‍न धारण करते हैं, उसके स्‍वामी ग्रह की ऊर्जा आप में भी आ जाती है। तो सबसे पहले तो यह जानना जरूरी है कि कौन से रत्‍न से किस ग्रह का संबंध है और उसकी ऊर्जा क्या है-

लाल मूंगा- यह बहुत ही खूबसूरत रत्न होता है और समुद्र एवं बड़ी झीलों में सीप के अंदर पाया जाता है। यह लाल और गुलाबी रंग का होता है। वैसे आपको और भी रंगों में मूंगा मिल जाएगा, मगर लाल एवं गुलाबी रंग सबसे प्रचलित हैं। मूंगे में मंगल ग्रह की ऊर्जा होती है। आप इसकी अंगूठी या पेंडेंट पहन सकती हैं। इतना ही नहीं, अब आपको बाजार में मूंगे का ब्रेसलेट भी मिल जाएगा। मूंगे के साथ आप रुद्राक्ष या फिर स्‍फटिक के मोतियों को भी क्‍लब करा सकती हैं। मूंगे की माला भी आती हैं। आपको फैशन ज्वेलरी में सोने के तार में पिरोई गई मूंगे के मोती की माला भी मिल जाएगी।

पन्‍ना- पन्‍ना का रंग हरा होता है और इसका संबंध बुध ग्रह से होता है। पन्‍ना रत्‍न को अंगूठी में लगवाकर पहनने का ट्रेंड है और इसके साथ ही आप इसे नेकलेस और इयररिंग्‍स में भी लगवा सकती हैं। पन्‍ना को आजकल फैशन ज्वेलरी में भी खूब इस्तेमाल किया जा रहा है। आपने देखा होगा कियारा अडवाणी और परिणीति चोपड़ा ने भी अपनी वेडिंग ज्‍वेलरी में एमराल्ड नेकलेस पहना था। आजकल एमराल्‍ड ज्‍वेलरी बहुत ज्‍यादा ट्रेंड में है और आपको इसमें इयररिंग्स से लेकर ब्रेसलेट तक मिल जाएंगे। आप एमराल्ड के साथ हीरों को क्‍लब करा कर भी आप ज्‍वेलर डिजाइन करा सकती हैं।

पुखराज- पुखराज एक बहुत ही कीमती रत्‍न होता है। इसे पीला नीलम भी कहा जाता है और यह बृहस्‍पति का प्रतिनिधित्व करता है। पुखराज एक ऐसा रत्न है जिसे राजा महाराजाओं ने अपने ताज तक में लगवाया है। वर्तमान समय में पुखराज ज्‍वेलरी फैशन का एक हिस्‍सा बन चुका है। अंगूठी से लेकर इसे मंगलसूत्र में भी लगा देखा जा चुका है।

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हीरा- हीरा शुक्र का प्रतिनिधित्व करता है और यह सभी रत्‍नों में सबसे मूल्यवान रत्‍न होता है। हीरे के कई शेप में आते हैं और इन्‍हें आप किसी भी गहने में लगवा सकती हैं। आजकल अनकट डायमंड ज्वेलरी सबसे ज्यादा लोकप्रिय हो रही है। डेली वियर ज्वेलरी से लेकर आपको ब्राइडल ज्‍वेलर तक में डायमंड के अलग-अलग कट्स मिल जाएंगे।

नीलम- यह बहुत ही प्रभावशाली रत्‍न होता है और इसे बिना सलाह के नहीं धारण करना चाहिए। यह रत्‍न शनि का प्रतिनिधित्व करता है। नीलम रत्‍न को चांदी की अंगूठी, ब्रेसलेट और चांदी की चेन में लॉकेट के साथ भी पहन सकते हैं।

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गोमेदक- इसे हेसोनाइट कहा जाता है और इसका संबंध राहु से होता है। गोमेदक को ज्वेलरी फैशन में बहुत अधिक महत्व नहीं दिया गया है। यह गहने भूरे रंग का चमकदार पत्थर होता है। आपको इसे पेंडेंट या फिर अंगूठी में धारण करना चाहिए। इसे आप चांदी या सोने किसी के साथ भी पहन सकते हैं। गोमेदक को आप हीरे के साथ भी अंगूठी में धारण कर सकती हैं। वैसे इसे काले धागे में चांदी के पेंडेंट में जड़ा कर पहना जाता है।

मोती- मोती का संबंध चंद्रमा में होता है। मोती पहनने की सलाह उन्‍हें दी जाती है, जिन्‍हें बहुत अधिक गुस्सा आता है। वैसे फैशन इंडस्ट्री में भी मोती को बहुत महत्व दिया गया है। अगर कहा जाए की मोती का फैशन एवरग्रीन है, तो यह गलत नहीं होगा। मोती को सोने और चांदी के साथ आप कैरी कर सकती हैं। हीरे और दूसरे रत्नों को क्‍लब करके यदि आप नवरत्न ज्वेलरी बनवा रही हैं, तो यह भी आजकल ट्रेंड का हिस्सा बनी हुई है।

नवरत्न ज्वेलरी का इतिहास?

हिंदू पुराणों में नवरत्‍नों का जिक्र मिलता है और भारत में इन रत्‍नों को राजा-महाराजाओं ने भी बहुत अधिक पसंद किया। गुलाम वंश से लेकर मुगल वंश तक में नवरत्न ज्‍वेलरी को खूब प्रोत्साहन मिला। वर्तमान समय में फैशन इंडस्‍ट्री में भी नौ में से कुछ रत्‍नों को बहुत महत्‍व दिया गया है। वहीं कुछ रत्‍न आज भी केवल हिंदू धार्मिक मान्यताओं का हिस्‍सा बने हुए हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि नवरत्नों के आधार पर मुगल बादशाह अकबर ने अपने दरबार में नौ लोगों को नियुक्त किया था, जो बादशाह के सबसे खास थे। इन्‍हें नौ रत्‍न की उपाधि दी गई थी।

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