जीन्स एक ऐसा फैशन स्टेटमेंट है जो सालों से नहीं बल्कि सदियों से चला आ रहा है। जी हां, 200 साल से भी पुराना इतिहास है जीन्स का और इसके स्टाइल में थोड़ा बहुत अंतर अगर छोड़ दिया जाए तो बाकी जीन्स वैसी ही है जैसे लिवाइस कंपनी ने शुरुआत में बनाई थी। इतने सालों में जीन्स में कई बेसिक अंतर देखे गए हैं, लेकिन इसका रंग अभी भी ब्लू ही होता है।
क्या आप जानते हैं जीन्स को नीले रंग में ही क्यों रंगा जाता है?
जीन्स कई तरह के डिजाइन और पैटर्न में आती है, लेकिन अभी भी इसका ओरिजनल रंग नीला ही होता है। पर क्या आप जानते हैं कि नीला रंग ही क्यों चुना गया?
ऐसा नहीं है कि डेनिम का कपड़ा ब्लू होता है बल्कि इसे ब्लू डाई किया जाता है। पर सवाल ये उठता है कि आखिर ये रंग ब्लू ही क्यों है और अभी भी इसे ही सबसे अच्छा क्यों माना जाता है? इसके लिए हमें जीन्स के बारे में थोड़ी बेसिक जानकारी होनी जरूरी है।
जीन्स से जुड़े कुछ बेसिक फैक्ट्स-
- जीन्स भी कॉटन से ही बनी होती है यानी इसका असली रंग सफेद होता है।
- जीन्स का कपड़ा बनाने के लिए कई सारे धागों को एक साथ जोड़ा जाता है। ये कपड़ा बाकी कपड़ों की तुलना में थोड़ा मोटा होता है।
- जीन्स को ब्लू रंग में ही डाई किया जाता है जिसके लिए नेचुरल इंडिगो डाई का इस्तेमाल होता है।

अब आपको लग रहा होगा कि जब जीन्स कॉटन के धागों से बनती है तो उसे सिर्फ नीले रंग में ही ऐसे क्यों रंगा जाता है? तो उसकी वजह है जीन्स को डाई करने की प्रक्रिया और उसका असर। इसके लिए थोड़ी केमेस्ट्री भी जान लेते हैं।
इसे जरूर पढ़ें- क्या आप जानते हैं महिलाओं की जीन्स में जिपर क्यों लगाया जाता है?
क्या आपने कभी गौर किया है कि सिर्फ ब्लू जीन्स में ही अंदर की तरफ या तो सफेद या तो ब्लू का हल्का शेड होता है?
ब्लैक, पिंक, ब्राउन आदि शेड्स में अक्सर अंदर की तरफ भी वैसा ही रंग दिखता है जैसा बाहर की ओर दिख रहा होता है। ऐसा केमिकल डाई की वजह से होता है।
आखिर ब्लू रंग ही क्यों चुना गया?
अगर आपने कभी कपड़े की रंगाई होते देखी है तो आप जानते होंगे कि डाई को गर्म पानी या किसी और तकनीक से हाई टेम्प्रेचर का इस्तेमाल कर कपड़े पर इस्तेमाल किया जाता है। यही कारण है कि अधिकतर डाई हाई तापमान के साथ ही अपना काम करते हैं, लेकिन ब्लू डाई यानी इंडिगो डाई के साथ ऐसा नहीं था। ये नेचुरल डाई सिर्फ बाहरी धागों पर ही चिपकता है और इसके लिए उतने हाई तापमान की जरूरत भी नहीं होती है।
ऐसे में जीन्स को जितनी बार धोया जाता है थोड़ा-थोड़ा डाई निकलता है और जीन्स का कपड़ा अपने आप सॉफ्ट होता चला जाता है। क्योंकि केमिकल डाई के मुकाबले इंडिगो डाई सस्ता होता था इसलिए इसे और भी किफायती समझा जाने लगा।
जीन्स को शुरुआत में अमेरिका के वर्कर्स के लिए बनाया गया था और उसके बाद Levis कंपनी ने रिवेट्स (जीन्स में लगे छोटे-छोटे बटन) को पेटेंट करवाया ताकि वर्कर्स के लिए ज्यादा बेहतर जीन्स दी जा सके।
उसके बाद इन जीन्स को डाई करने की तकनीक के बारे में पता चला और जैसे ही ये बात फैली कि जीन्स का कपड़ा धुलने पर सॉफ्ट होता चला जाता है तो लोगों ने उसे बहुत पसंद किया। जीन्स एक फैशन स्टेटमेंट ही नहीं एक जरूरत बन गई जो आज तक चली आ रही है।
इसे जरूर पढ़ें- क्या आप जानते हैं महिलाओं की जीन्स में क्यों नहीं होतीं पुरुषों की तरह गहरी पॉकेट
जीन्स का कपड़ा सॉफ्ट होने के बाद इसे आप कई तरह से रिसाइकल भी कर सकते हैं और ये काम भी वर्कर्स को बहुत पसंद आते थे। थोड़े ही दिनों में सेल्फ मेड जीन्स बैग्स का प्रचलन भी आ गया और 1900 आते-आते जीन्स अमेरिका, लंदन से आगे निकलकर धीरे-धीरे पूरी दुनिया में फैलती चली गई।
अब भी जीन्स को रंगने के लिए ऐसा ही प्रोसेस इस्तेमाल होता है और जीन्स को फैशन स्टेटमेंट माना जाने लगा है। ब्लू जीन्स और उसके अलग-अलग शेड्स अब भी लोगों को बहुत पसंद हैं और मार्केट में आपको इसके अलग-अलग वेरिएंट्स मिल जाएंगे।
आपको ब्लू जीन्स पहनना पसंद है और उसे स्टाइल करने के कुछ यूनिक टिप्स जानते हैं तो हमें हरजिंदगी के फेसबुक पेज पर जरूर बताएं। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
Pic credit: Slate.com, Freepik, Shutterstock