अब यूपी में प्राइवेट स्कूल पैरेंट्स से नहीं वसूल कर पाएंगे मनमानी फीस

राज्यपाल ने फीस नियंत्रण कानून को मंजूरी दे दी है और अब प्राइवेट स्कूल पैरेंट्स से मनमानी फीस नहीं ले सकेंगे। 

regulate private school fees

राज्यपाल ने फीस नियंत्रण कानून को मंजूरी दे दी है और अब प्राइवेट स्कूल पैरेंट्स से मनमानी फीस नहीं ले सकेंगे। यूपी में पिछले कई सालों से पैरेंट्स और स्कूल प्रबन्धकों के बीच स्कूल फीस को लेकर चले आ रहे विवादों को खत्म करने के उद्देश्य से लाए गए फीस नियंत्रण अध्यादेश 2018 को राज्यपाल राम नाईक ने अपनी मंजूरी दे दी है।

इस अध्यादेश में स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वसूली पर लगाम लगाने से पैरेंट्स काफी खुश हैं।

फीस बढ़ाने का फार्मूला

फीस बढ़ाने के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) को मानक बनाया गया है। इसमें 5 फीसदी जोड़ने पर जो योग आएगा उससे ज्यादा फीस नहीं बढ़ सकेगी। ऐसे में आप मान लीजिए सीपीआई 2.03 फीसदी है तो इसमें 5 प्रतिशत जोड़ने पर 7.03 फीसदी ही फीस बढ़ सकेगी। पैरेंट्स और प्राइवेट स्कूल के बीच विवाद का कारण यह था कि प्राइवेट स्कूल 15-25 फीसदी तक फीस बढ़ा रहे थे।

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इस अध्यादेश के कारण नहीं चलेगी प्राइवेट स्कूल की मनमानी

राज्यपाल राम नाईक ने सोमवार को यूपी स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क का निर्धारण) अध्यादेश 2018 को अपनी मंजूरी दे दी है। राज्यपाल की मंजूरी के बाद प्रमुख सचिव विधायी वीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी। इसके साथ ही प्रदेश में फीस नियंत्रण कानून प्रभावी हो गया है। सरकार की ओर से अध्यादेश से संबंधित फाइल सोमवार को ही राजभवन भेजी गई थी। मौजूदा समय में राज्य विधान मंडल सत्र में ना होने एवं विषय की तात्कालिकता को देखते हुए राज्यपाल ने विधिक परीक्षण के बाद अपनी स्वीकृति दे दी है।

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इस अध्यादेश की मंजूरी के बाद प्राइवेट स्कूलों के लिए पैरेंट्स से मनचाही फीस वसलू नहीं कर पाना मुश्किल हो जाएगा।

1. बेसिक शिक्षा परिषद, माध्यमिक शिक्षा परिषद, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद, भारतीय माध्यमिक शिक्षा परिषद समेत सभी शिक्षा बोर्डों के साथ ही अल्पसंख्यक संस्थान भी इसके दायरे में होंगे। ये अध्यादेश यूपी, सीबीएसई आईसीएसई बोर्ड के स्कूलों पर लागू होगा। इसे अल्पसंख्यक स्कूलों पर भी लागू किया जाएगा। फीस बढ़ाने का जो फार्मूला विधेयक में तय किया गया है उससे अधिकतम सात फीसदी की ही बढ़ोत्तरी होगी। फार्मूला ये है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई)में 5 फीसदी जोड़ने पर जो योग आएगा और उससे ज्यादा फीस नहीं बढ़ाई जा सकेगी।

2. इसके बाद प्राइवेट स्कूल ना तो मनमानी फीस वसूल कर सकेंगे और ना ही पांच साल से पहले यूनिफॉर्म बदल सकेंगे।

3. स्कूल की किसी खास दुकान से किताबें और यूनिफॉर्म खरीदने को बाध्य नहीं कर सकेंगे। इस अध्यादेश के दायरे में 20 हजार रुपये से अधिक सालाना फीस लेने वाले सभी स्कूल आएंगे।

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