एक रिसर्च के मुताबिक भारत में वर्ष 2018 जून तक इंटरनेट यूजर्स की संख्या 500 मिलियन तक पहुंच सकती है। IAMAI and Kantar IMRB की रिपोर्ट भी बताती हैं कि अर्बन इंडिया में बीते वर्ष दिसंबर में इंटरनेट यूजर्स में 64.84 प्रतिशत बढ़त दिखी थी। इन दोनों ही रिपोर्ट्स के तहत कहा जा सकता है कि भारत में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। मगर इस बढ़ती संख्या में अडल्ट यूजर्स के साथ ही बच्चे भी शामिल हैं।
वर्ष 2017 में यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक विश्व भर में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले हर 3 यूजर्स में से 1 बच्चा है। वहीं वर्ष 2015 में Intel Security द्वारा कंडक्ट कराई गई एक स्टडी के मुताबिक 81 प्रतिशत भारतीय बच्चे, जिनकी उम्र 8 से 16 वर्ष है, वे सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं, जिनमें से 22 प्रतिशत बच्चों को कई मामलों में ऑनलाइन तरह-तरह की परेशानियों का शिकार होना पड़ा है।
इन आंकड़ों पर ध्यान दिया जाए तो यह काफी गंभीर समस्या बनती जा रही है कि बच्चे वक्त से पहले ही इंटरनेट और सोशल मीडिया पर इतने ज्यादा एक्टिव हो रहे हैं और नादानी में उनसे हो रहीं गलतियों की वजह से उन्हें परेशानियों का शिकार होना पड़ रहा है। खासतौर पर हालही में ब्लू व्हेल गेम से जुड़े कई केसो में बच्चों के जान गवां देने की खबरे भी सुनने में आई हैं। यह वाकई गंभीर मुद्दा है। बच्चों का इंटरनेट से जुड़ाव लगातार बढ़ता जा रहा है। देखा जाए तो यह आज के ऐजुकेशन सिस्टम की नीड भी है। मगर बच्चे भले ही इंटरनेट को इस्तेमाल करने में माहिर हो गए हों फिर भी इंटरनेट के इस्तेमाल के दौरान क्या सावधानियां बरतनी चाहिए उसकी नॉलेज अभी भी उनमें नहीं है। ऐसे में बच्चों के पेरेंट्स और टीचर्स को आगे बढ़कर बच्चों की मदद करनी चाहिए और उन्हें इंटरनेट के सेफ्टी रूल्स के बारे में बताना चाहिए। बच्चों को इंटरनेट के सही इस्तेमाल की सबसे अच्छी जानकारी स्कूल में दी जा सकती है।
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वर्तमान समय में बहुत सारे स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई पर तो ध्यान दिया जा रहा है मगर इंटरनेट से जुड़े सेफ्टी रूल्स पर कोई चर्चा नहीं कि जाती। मगर इन सबके बीच Genesis Global School जैसे भी कुछ स्कूल हैं, जहां पर अच्छी एजुकेशन के साथ ही साइबर सेफटी पर बच्चों के कई सेशन्स लिए जाते हैं। नोएडा स्थित इस स्कूल के आईटी डिपार्टमेंट के मैनेजर अमित गुप्ता ने herzindagi.com से खास बातचीत में बच्चों के लिए कुछ ऐसे ही cyber safety measures बताए।
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- स्कूलों में internet content filtering hardware appliance (firewall) का इस्तेमाल जरूर होना चहिए क्योंकि इससे बच्चे किसी भी तरह की वेबसाई को खोलने के स्वतंत्र नहीं होंगे। इसमें बचचे वहीं साइट्स खोल सकते हैं जो उन्हें नुकसान न पहुंचाए.
- VPN tunnelling, port bypassing and torrent downloading को पूरी तरह से स्कूलों में रिस्ट्रिक्टेड रखना चाहिए। इससे भी बच्चे हार्मफुल साइट्स नहीं खोल पाते हैं।
- सिस्टम पर यदि यूजर ऑथेंटिकेशन ऑप्शन होगा तो यह भी ट्रैक किया जा सकता है कि कौन सा बच्चा किस तरह का कंटेंट पढ़ रहा है।
- स्कूलों बच्चों की इंटरनेट गतिविध्यों को ट्रैक करने के लिए लैब्स होनी चाहिए जहां डिवाइस पर सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर के द्वरा यह ट्रैक किया जा सकता है कि बच्चा इंटरनेट पर क्या सर्च कर रहा है।
- स्कूलों में बच्चों के लिए एक निश्चत समय होना चाहिए जिसमें वे इंटरनेट पर सर्फिंग कर सकें। इसके अलावा उन्हें कभी भी इंटरनेट की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए।
- जरूरी सर्च इंजंस पर Safe search का ऑप्शन भी होना चाहिए ताकि ताकि बच्चों के सिस्टम पर खराब इमेजेस न खुलें।
- हर स्कूल में बच्चों के साथ ही उनके पेरेंट्स के लिए साइबर सेफ्टी के सेशन्स आयोजित किए जाने चाहिए ताकि पेरेंट्स भी इस बात से अवेयर हो सकें कि बच्चों को इंटरनेट पर कितना समय बिताना चाहिए और क्या सर्च करना चाहिए । पेरेंट्स बच्चों की ऑनलाइन एक्टिविटी पर कैसे ध्यान दें यह भी सेशन्स में बताना चाहिए।
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