फरवरी का महीना शुरू होते ही बच्चों स्ट्रेस हो जाता है। यह स्ट्रेस होता है फाइनल एग्जाम का । जाहिर पूरे साल की महनत पर ही उन्हें आगे की क्लास में एडमिशन दिया जाता है। इस स्ट्रेस में बच्चे कई बार डिप्रेशन में चले जाते हैं और एग्जाम की जितनी अच्छी प्रिपरेशन वे कर सकते हैं उतनी नहीं कर पाते। कई बार आपकी एक्संपेक्टेशंस भी आपके बच्चे को तनाव में ले आती है। बच्चा यह सोचने लगता है कि अगर वो एग्जाम में अच्छान परफॉर्म नहीं कर पाया तो घर पर उसे डांट पड़ेगी। इस चक्कर में पूरे दिन वो किताबों से ही चिपका रहता है। यह सारी बातें उस स्ट्रेस की तरफ ढकेल रही होती हैं। ऐसे में मां का रोल इंपॉर्टेंट हो जाता है। एक मां ही अपने बच्चे को स्ट्रेस से बाहर निकाल कर एग्जाम के लिए उसकी अच्छी तैयारी करवा सकती । करियर काउंसलर डॉक्टर संजीव कुमार अचार्य कहते हैं, पेरेंट्स की एक्सीपेक्टेशन, कॉम्पीटीशन, नई क्लाउस की चाहत और अच्छा परफॉर्म करने की ललक बच्चों को स्ट्रेस की ओर ले जाती है। साथ ही एक दम से बच्चे बदला हुआ माहौल देखते हैं तो और भी डर जातो हैं। बच्चों के एग्जाम के वक्त मदर्स कुछ बातों का खास ख्याल रखना चाहिए ताकि उनके बच्चों को जरा भी स्ट्रे्स न हो।
प्रेशर न डालें
जाहिर है आप चाहती होंगी कि आपका बच्चा क्लास में सबसे अच्छे नंबर लेकर आए। मगर अपनी इस चाहत को बच्चे के आगे अलग ढंग से रखें ताकि वह प्रेशर न फील करें। बच्चेे को कभी इस बात के लिए न डांटे कि उसके कम नंबर आए तो आपको कैसा लगेगा। इससे बच्चा इमोशनली हर्ट होता है। बच्चे को भी किसी दूसरे बच्चे से कंपेयर भी न करें। ऐसा करने पर बच्चा खुद पर प्रेशर लेलेता है। यह ध्यान रखें कि सबकी क्षमता अलग होती है। आपके बच्चे कि जितनी क्षमता होगी वह उतना ही परफॉर्म कर पाएगा।
मनोरंजन का दें समय
एग्जाम हैं तो बच्चे को पूरे दिन पढ़ते न रहने दें। आम दिनों से कुछ कम ही समय के लिए मगर बच्चे के मनोरंजन का पूरा ध्यान रखें। दो घंटे लगातार पढ़ने के बाद आधे घंटे का ब्रेक बच्चे को जरूर दें। इस ब्रेक में बच्चे से पढ़ाई से अलग बातें करें। पढ़ाई के समाप्त होने के बाद बच्चे को टीवी भी देखने दें और दोस्तों से बात भी करने दें। यदि आप ऐसा नहीं करेंगी तो बच्चा डिप्रेशन में चला जाएगा। पढ़ाई माहौल से उसे डर लगने लगेगा।
बच्चे को अकेला न छोड़े
बच्चे को एग्जाम के वक्त बिल्कुल भी अकेला न छोड़ें। हो सके तो पूरे टाइम उसके पास ही रहें और उसकी गतिविधियों पर ध्यान दें। अकेले में हो सकता है आपका बच्चा घबरा जाए। इस बात का भी ध्यान रखें कि बच्चे के सामने बैठ कर आप ऐसा कोई काम न करें कि उसका ध्यान भटके । हो सके तो आप भी कोई किताब पढ़ें।
उनकी तैयारी पर ध्यान दें
बच्चे की कितनी प्रिपरेशन हो गई है और कितनी बाकी है, इस बात पर भी ध्यान रखें। उसे याद दिलाएं कि कोई चीज सेलेबल में छूट रही है। यदि बच्चा चाहे तो उसे सेलेबस का रिवीजन भी कराएं। बच्चे से समय समय पर पूछें कि उसकी कितनी तैयारी हो चुकी है।
खानेपीने का ख्यायल रखें
पढ़ने के चक्कर में अक्सर बच्चे अपनी सेहत को नजर अंदाज करने लगते हैं। ऐसे में आपको ही इस बात का ध्या्न रखना है कि वो अपनी डाइट के अनुसार खाना खा रहे हैं या नहीं। बच्चे को समय समय पर कुछ खाने को देती रहें। इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे को कुछ भी भारी खाने को न दें। इससे उसे नींद आएगी
रेस्ट भी जरूरी है
बच्चे को प्रोपर रेस्ट जरूर करने दें नहीं तो एग्जाम देते वक्त उसे थकावट महसूस होगी ओर वो चीजें भूलने लगेगा। बच्चे को 6 घंटे की नींद लेने दें। उसकी सुबह जल्दी उठने की आदत डलवाएं। सुबह की पढ़ाई सबसे अच्छी होती है। हो सके तो खुद भी बच्चे के साथ उठें।
टीचर से बात करें
यदि आपके बच्चेे को किसी सब्जेक्ट में दिक्कत आ रही है तो उसकी टीचर से बात करें और उसकी पेरशानी को रिजॉल्व करें। टीचर से अच्छा सल्यूशन बच्चे को कोई नहीं बता सकता। बच्चे को टीचर्स के सारे नोट्स पढ़ने के लिए बोलें।HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
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