यदि आप एक ऐसी महिला हैं, जो अपनी बातों को प्रभावी ढंग से सामने वाले के सामने रख सकती है और जिसे भारत के कानून के बारे में नई-नई बात जानने की उत्सुकता बनी रहती है, आपके मन में अक्सर किसी व्यवस्था को लेकर उदगार पैदा होते हैं और आप समझती हैं कि यदि आपके हाथ में कानून होता तो इसे ठीक करने की कोशिश करतीं, तो फिर लॉ का क्षेत्र आपके लिए ही है। आज देश की अदालतों में 17% वकालत व न्याय देने वाली महिलाएं हीं हैं। अगर आप लॉ के बाद इसमें करियर बनाने की सोच रही हैं तो आपको बता दें कि इसमें काफी अच्छी संभावनाएं हैं। इस बारे में हमने बात की सीनियर करियर काउंसलर आशीष आदर्श से और उन्होंने हमें कुछ अहम सुझाव दिए-
लॉ में करियर लंबे समय से युवाओं के बीच पॉपुलर रहा है और अब इसमें विकल्पों के बढ़ने आपके लिए मनमाफिक विकल्प चुनना भी आसान हो गया है। दरअसल कानूनी पेचिदगियों और समाज के विस्तार के चलते कानून के जानकार प्रोफेशनल्स की जरूरत हर जगह बढ़ गई है। आज के समय में आम लोगों अपने अधिकारों के प्रति काफी जागरूक हैं, वे कानूनी प्रक्रियाओं को समझना चाहते हैं, ऐसे में लॉ में करियर बनाने वालों का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है। साथ ही हर दिन किसी नई खोज या तकनीकी विकास के चलते पुराने और प्रचलित कानूनों में संशोधन करने की जरूरत होती है। और इस लिहाज से भी कानून के जानकारों की मांग में में इजाफा हुआ है।
लॉ से सम्बंधित 2 पाठ्यक्रम होते हैं पहला, 10+2 के बाद पांच वर्षीय इंटिग्रेटेड लॉ पाठ्यक्रम और ग्रेजुएशन के बाद तीन वर्षीय लॉ पाठ्यक्रम। पांच वर्षीय इंटिग्रेटेड लॉ पाठ्यक्रमों में भी अब पाँच प्रकार के पाठ्यक्रम हो गए हैं - आर्ट्स के छात्रों के लिए बीए एलएलबी, साइंस के छात्रों के लिए बीएससी एलएलबी, कॉमर्स के छात्रों के लिए बीकॉम एलएलबी, कंप्यूटर साइंस के छात्रों के लिए बीसीए एलएलबी और मैनेजमेंट के छात्रों के लिए बीबीए एलएलबी। उक्त पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए आपको क्लैट यानि कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट से गुजरना होगा, जो वर्ष में एक बार होता है। आपकी रैंकिंग के आधार पर आपको कॉलेज अलॉट किए जायेंगे। देश में कई ऐसे सरकारी विश्वविद्यालय हैं, जहाँ केवल लॉ की ही पढ़ाई होती है। ग्रेजुएशन के बाद के लॉ पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए विश्वविद्यालय अपना-अपना एंट्रेंस टेस्ट संचालित करते हैं।
वह समय ख़त्म हो गया, जब आप लॉ की परीक्षा पास कर काला कोट पहन कर सीधे वकालत में सकते हैं। लॉ के बाद आपको बार काउन्सिल ऑफ़ इंडिया द्वारा संचालित आल इंडिया बार एग्जामिनेशन यानि एआईबीई देना होगा, जिसके बाद ही आप वकालत के लिए योग्य घोषित कर दी जाएंगी। इसके बाद आपका रजिस्ट्रेशन बार काउन्सिल ऑफ़ इंडिया में हो जायेगा और तब आप वकील के तौर पर काम करने की योग्यता प्राप्त कर लेंगीं।
यदि आपका ध्येय केवल एक वकील की तरह भारत के किसी भी न्यायलय में वकालत को अपना करियर बनाना है, तो इसमें एलएलएम (लॉ में पोस्ट ग्रैजुएट) की कोई भूमिका नहीं है। इसके लिए आपकी एलएलबी की डिग्री ही पर्याप्त है। एलएलएम और पीएचडी मुख्य रूप से वे महिलाएं करती हैं, जो लॉ के क्षेत्र में एकाडेमिक्स में जाना चाहती हैं और आगे चलकर किसी लॉ कॉलेज में एक लेक्चरर के रूप में अपना करियर बनाना चाहती हैं। अगर आप किसी कानून विशेष में स्पेशलाइजेशन करना चाहती हैं, तो पीजी और पीजी डिप्लोमा स्तर पर स्पेशलाइजेशन के लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं।
अगर आप प्रकृति के संरक्षण के बारे में गंभीरता से सोचती हैं तो एन्वायरमेंटल लॉयर बनने के बारे में सोच सकती हैं। इसके जरिए आप प्राकृतिक संपदा के नष्ट होने से जुड़ी चीजों को बचाने की बात कह सकती हैं। इसके तहत आप पब्लिक इंट्रस्ट लिटिगेशन भी डाल सकती हैं। इसके अलावा एन्वायरमेंटल लॉयर्स की जरूरत एनजीओज में भी होती है, जो प्रकृति को होने वाले नुकसान पर आवाज उठाते हैं।
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टेक्निकल एडवांसमेंट के दौर में साइबर अपराध भी तेजी से बढ़ रहे हैं और इन पर काबू पाने के लिए साइबर लॉयर्स की मांग तेजी से बढ़ रही है। खासतौर पर फर्जी ई-मेल भेजना, सोशल अकाउंट हैक करना, कंपनियों के साथ फ्रॉड, खातों से फर्जी तरीके से पैसे निकालना, एसएमएस हैकिंग, मोबाइल क्लोनिंग जैसे मामले सामने आ रहे हैं। इसे देखते हुए कंप्यूटर और नेटवर्क सिक्योरिटी पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसे देखते हुए आप कंप्यूटर एंड डिजिटल फॉरेंसिक एक्सपर्ट बनने के बारे में भी सोच सकती हैं।
कई बार लोग अवैध रूप से किसी अन्य व्यक्ति की खोज को अपना नाम दे देते हैं, इससे सुरक्षा देता है पेटेंट एंड कॉपीराइट लॉ। कानूनी तौर पर अगर कोई थर्ड पार्टी मूल प्रॉडक्ट को बनाना चाहती है, तो उसे इसके लिए लाइसेंस लेने की जरूरत होती है और उस पर रॉयल्टी शुल्क देना पड़ता है। बौद्धिक संपदा यानी Intellectual Property बिजनेस के उभरते हुए क्षेत्रों में से एक है और इसमें यंग प्रोफेशनल्स की अच्छी खासी मांग है।
कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों के अधिकार लेबर लॉ के तहत आते हैं। अक्सर कंपनियों में काम कर रहे इंप्लॉई अपने अधिकार और अन्य विवादों को लेकर अदालत में पहुंच जाते हैं। लेबर लॉ से जुड़े मामलों में इजाफा होने की वजह से इसमें भी आपके लिए आपके लिए अच्छी संभावनाएं हो सकती हैं।
अगर आपकी अंग्रेजी अच्छी है और आपकी अंतरराष्ट्रीय घटनाओं में रुचि है तो आप इंटरनेशनल लॉयर बनने के बारे में भी सोच सकती हैं। इसके तहत विभिन्न राष्ट्रों के राष्ट्रीय हितों से जुड़ी समस्याओं का कानूनी तरीके से हल निकाला जाता है।
देश में कंपनियों के बढ़ते प्रसार के बीच आजकल कॉरपोरेट लॉ का स्कोप भी काफी अच्छा है। इसके तहत कंपनियां ऐसे प्रोफेशनल्स अपने यहां रखती हैं, जो उन्हें अपनी कानूनी अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में सलाह दे सकें। कॉरपोरेट लॉयर्स के तौर पर अच्छा तजुर्बा हासिल होने पर अच्छा पे-पैकेज भी मिलता है।
तो लॉ से संबंधित कई तरह के विकल्पों में से अपने लिए सबसे अच्छा विकल्प चुनिए और उसके लिए जरूरी गुणों को अपने भीतर विकसित करने पर ध्यान दीजिए। कुछ सालों तक डेडिकेशन के साथ काम करने पर आपको बहुत जल्द मिल जाएगी कामयाबी की राह।
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