Appraisal और Increment एक जैसे नहीं, जानिए दोनों में क्या होता है फर्क

मार्च-अप्रैल का महीना अप्रैजल का महीना होता है, चारों तरफ प्राइवेट सेक्टर्स में इस बात की चर्चा होना लगती है कि प्रमोशन और इंक्रीमेंट कितना होगा? 
difference between appraisal and increment

कॉरपोरेट फील्ड में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए Appraisal और Increment दो महत्वपूर्ण शब्द हैं, जो उनके करियर ग्रोथ और फाइनेंशियल पोजीशन को प्रभावित करते हैं। हालांकि, कई बार कर्मचारी इन दोनों शब्दों को एक जैसा समझ लेते हैं, जबकि ये अलग-अलग पहलुओं से जुड़े होते हैं। अप्रेजल कर्मचारी के प्रदर्शन और योगदान का आकलन करने की प्रक्रिया है, जबकि इंक्रीमेंट उसके वेतन में होने वाली बढ़ोत्तरी को दर्शाता है। आज हम इस आर्टिकल में आपको अप्रेजल और इंक्रीमेंट के बीच के अंतर को बताने वाले हैं और यह जानेंगे कि कंपनियां किस आधार पर अपने कर्मचारियों को इनसे संबंधित लाभ प्रदान करती हैं।

Appraisal और Increment को समझना

किसी भी ऑफिस में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए अप्रेजल और इंक्रीमेंट दो महत्वपूर्ण पहलू होते हैं। इन्हें अगर आप सही से समझ जाते हैं, तो आपको अपने करियर में ग्रोथ और फाइनेंशियल बेनिफिट्स के बारे में स्पष्टता मिल सकती है।

अप्रेजल(Appraisal)

अप्रेजल एक फॉर्मल प्रोसेस है, जिसमें किसी कर्मचारी के काम, कौशल और योगदान का आकलन किया जाता है। आमतौर पर, कंपनियां इसे रिपोर्ट या फीडबैक के रूप में तैयार करती हैं।

अप्रेजल का उद्देश्य

What is the difference between salary increment and appraisal

इस प्रोसेस का उद्देश्य कर्मचारी के एचीवमेंट्स, कमजोरियों और सुधार की संभावनाओं को समझना होता है। इसके जरिए मैनेजर और कर्मचारी के बीच खुलकर बातचीत का अवसर मिलता है, जिससे काम को बेहतर बनाने और फ्यूचर प्लानिंग पर चर्चा की जाती है।

अप्रेजल का मुख्य पहलू

  • परफॉर्मेंस अप्रेजल- इसमें कर्मचारी के काम की क्वालिटी, स्किल्स और कंपनी में उसके योगदान को परखा जाता है।
  • फीडबैक और ग्रोथ- अप्रेजल प्रोसेस में मैनेजर से फीडबैक मिलता है, जो कर्मचारी को उसकी ताकत और इम्प्रूवमेंट एरिया को समझने में मदद मिलती है।
  • गोल सेटिंग- मैनेजर और एम्प्लॉय मिलकर आने वाले साल के लिए गोल सेट करते हैं।
  • करियर ग्रोथ के अवसर- अप्रेजल के आधार पर, कर्मचारियों को प्रमोशन, नई जिम्मेदारियां या ट्रेनिंग का मौका मिल सकता है।
  • हमेशा सैलरी इंक्रीमेंट से जुड़ा नहीं- हर अप्रेजल के बाद इंक्रीमेट हो, यह जरूर नहीं होता है। यह मुख्य रूप से परफॉर्मेंस और करियर ग्रोथ पर केंद्रित होता है।

इंक्रीमेंट(Increment)

वेतन वृद्धि यानी इंक्रीमेंट का मतलब होता है कि किसी कर्मचारी की सैलरी में बढ़ोत्तरी, जो आमतौर पर परफॉर्मेंस, एक्सपीरियंस और कंपनी पॉलिसी के आधार पर की जाती है। यह एक फाइनेंशियल रिवॉर्ड होता है, जो किसी कर्मचारी की कमाई की क्षमता को बढ़ाता है और हमेशा अच्छे प्रदर्शन और वफादारी के लिए प्रोत्साहन के रूप में काम करता है।

इंक्रीमेंट के पहलू

  • सीधा सैलरी में बढ़ोत्तरी- इंक्रीमेंट सीधे कर्मचारी की सैलरी को प्रभावित करता है, जिससे उसकी टेक-होम सैलरी बढ़ जाती है।
  • परफॉर्मेंस बेस्ड- अधिकतर कंपनियां इंक्रीमेंट को परफॉर्मेंस रिव्यू से जोड़ती हैं, यानी बढ़िया काम करने वालों को ज्यादा इंक्रीमेंट मिलता है।
  • इन्फ्लेशन और मार्केट एडजेस्टमेंट- कई बार कंपनियां इन्फ्लेशन और महंगाई को ध्यान में रखते हुए भी इंक्रीमेंट करती हैं।
  • प्रमोशन और रोल एक्सचेंज- अगर कोई कर्मचारी नई भूमिका और एक्स्ट्रा जिम्मेदारियां संभालता है, तो उसे इंक्रीमेंट मिलता है।
  • एनुअल इंक्रीमेंट- आमतौर पर इंक्रीमेंट हर साल किया जाता है, लेकिन कुछ कंपनियां इसे 6 महीने या किसी स्पेसिफिक टाइम पीरियड के बाद करती हैं।

कैसे जुड़ा है अप्रेजल और इंक्रीमेंट?

Appraisal process vs salary hike

Performance Appraisal और Salary Increment अलग-अलग, लेकिन आपस से जुड़े हुए होते हैं। अच्छी परफॉर्मेंस का सीधा असर इंक्रीमेंट पर पड़ता है, क्योंकि कंपनियां सैलरी बढ़ाने के फैसले के लिए परफॉर्मेंस रिपोर्ट का इस्तेमाल करती हैं। अगर कोई कर्मचारी लगातार अच्छा प्रदर्शन करता है और अपने गोल्स को हासिल करने में सफल रहता है। जिससे कंपनी का बिजनेस आगे बढ़ता है, तो उसके इंक्रीमेंट होने की संभावना अधिक होती है।

अप्रेजल और इंक्रीमेंट को प्रभावित करने वाले कारक

  • Individual Performance- आमतौर पर कंपनी अच्छा प्रदर्शन करने वाले कर्मचारी को बढ़िया अप्रेजल और इंक्रीमेंट देती है। यह कर्मचारी के अपने काम के प्रति कड़ी मेहनत और क्वालिटी के आधार पर होता है।
  • कंपनी परफॉर्मेंस- अगर कंपनी वित्तीय रूप से मजबूत है और मुनाफा कमा रही है, तो कर्मचारियों को ज्यादा इंक्रीमेट मिलने की संभावना होती है।
  • इंडस्ट्री स्टैंडर्डर्स- इंक्रीमेंट मार्केट की सिचुएशन और दूसरी कंपनियों द्वारा दी जाने वाली सैलरी से भी प्रभावित होता है। अगर किसी सेक्टर में सैलरी बढ़ाने का चलन है, तो कंपनियां उसी के अनुसार अपने कर्मचारियों का वेतन बढ़ाती हैं।
  • जॉब रोल्स औऱ रिस्पॉन्सबिलिटी- जो कर्मचारी महत्वपूर्ण पदों पर होते हैं और अधिक जिम्मेदारियां निभाते हैं, तो उन्हें आमतौर पर ज्यादा इंक्रीमेंट दिया जाता है।
  • स्किल डेवलेपमेंट और एडिशनल कॉन्ट्रीब्यूशन- जो कर्मचारी नए स्किल्स सीखते हैं और एक्स्ट्रा जिम्मेदारियां लेते हैं या कंपनी की सक्सेस में अहम भूमिका निभाते हैं, उन्हें अच्छा अप्रेजल और इंक्रीमेंट मिलता है।

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Image Credit - freepik

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