भारत में जहां अलग-अलग व्यंजनों के लिए खास मसालों का इस्तेमाल किया जाता है, वहीं इनमें कुछ ऐसे भी मसाले हैं, जिन्हें आर्युवेद में विशेष स्थान दिया गया है और उन्ही मसालों में से एक है हल्दी। जहां एक ओर ये मसाला खाने के स्वाद को बढ़ाता है, वहीं इसका इस्तेमाल कई तरह की आयर्वेदिक औषधियों के रूप में भी होता है।
ये तो है हल्दी की बात, लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि हल्दी की ही तरह इसकी पत्तियां भी कई गुणों से भरपूर हो सकती हैं और सेहत के लिए बेहद फायदेमंद भी ? जी हां इस लेख में हम बात करने जा रहे हैं हल्दी की पत्तियों के कुछ ऐसे फायदों के बारे में जो आपने पहले नहीं सुने होंगे। आइए नई दिल्ली की जानी मानी डॉक्टर आकांक्षा अग्रवाल (BHMS) से जानें हल्दी की पत्तियों के फायदों के बारे में।
हल्दी के पत्ते किसी स्वास्थ्य, सौंदर्य और औषधीय चमत्कार से कम नहीं हैं। इसके पाउडर संस्करण की तरह, हल्दी के पत्ते में सक्रिय तत्व करक्यूमिन है, जो एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है। हल्दी के पत्तों की खेती की जाती है और दक्षिण एशिया में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। हल्दी के पत्ते अपने एंटीसेप्टिक और एंटी कार्सिनोजेनिक गुणों के लिए प्रसिद्ध हैं। इसका इस्तेमाल किसी भी रूप में करने से शरीर में कई पोषक तत्वों की कमी की पूर्ति होती है।
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यदि हल्दी के पत्तों को सुखाकर स्टोर कर लिया जाए तो ये किचन के मसालों के रूप में भी इस्तेमाल में आ सकती है। इसके लिए सूखे हल्दी के पत्तों का अर्क पानी में भिगोकर हल्दी के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे खाने में रंग के साथ स्वाद भी आ जाता है। कई जगह भारतीय और थाई खाना पकाने में हल्दी के पत्तों का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है।
हल्दी के पत्तों को कुचलकर या उसका पेस्ट बनाकर इस्तेमाल करने से पाचन संबंधी कई समस्याओं से निजात पाया जा सकता है। इसके इस्तेमाल से पाचन को बढ़ावा देने और गैस और सूजन की समस्याओं को कम करने में मदद मिल सकती है। करक्यूमिन को पित्त उत्पादन को ट्रिगर करने के लिए कहा जाता है, जो पाचन के मुख्य घटकों में से एक है। पित्त रस के स्राव में वृद्धि पाचन को आसान बनाने में मदद करती है। हल्दी के पत्तों में मौजूद करक्यूमिन पाचन में मदद करता है और खाने को जल्दी डाइजेस्ट करके शरीर को स्वस्थ रखता है।
करक्यूमिन के मजबूत एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण, हल्दी की पत्तियां ऑस्टियोआर्थराइटिस और रुमेटीइड गठिया से पीड़ित लोगों के लिए वरदान साबित हो सकती हैं। एक रिसर्च के अनुसार बायो-एक्टिव कंपाउंड दर्द को कम करने में मदद कर सकता है। लेकिन इसका ज्यादा मात्रा में सेवन करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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हल्दी के पत्तों में मौजूद करक्यूमिन सौंदर्य समस्याओं के लिए भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है।त्वचा पर इस्तेमाल के लिए हल्दी के पत्तों को पीसकर पेस्ट बनाएं और इसे अपने चेहरे पर अप्लाई करें। इसे सीधे ही चेहरे पर लगाया जा सकता है। हल्दी के पत्तों का पेस्ट त्वचा को मुलायम, चिकना और चमकदार बनाए रखने में मदद करता है और चेहरे के दाग-धब्बों को दूर करता है।
कहीं भी चोट लगने पर हल्दी के पत्तों को पीसकर पेस्ट बनाएं और चोट वाली त्वचा पर लगाएं। एंटीसेप्टिक गुण करक्यूमिन, हल्दी का चिकित्सीय घटक भी एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुणों से भरा होता है जो उपचार को बढ़ावा देता है। इसके लिए हल्दी के कुछ पत्ते लें, उन्हें कुचलें, धीरे-धीरे थोड़ा पानी डालें और पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को मामूली जलन, कट और चोट पर लगाने से तुरंत घाव भरने में मदद मिलेगी।
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हल्दी की पत्तियां हल्के कट और जलन के लिए एक प्रभावी एंटीसेप्टिक की तरह काम करती हैं। जलने पर प्रभावित स्थान पर हल्दी की पत्तियों का पेस्ट लगाने से त्वचा की जलन से तुरंत राहत मिलती है।
विभिन्न गुणों से भरपूर हल्दी के पत्ते कई तरह से सेहत के लिए फायदेमंद हैं, लेकिन स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई अन्य समस्या होने पर इसके इस्तेमाल से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना न भूलें।
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