भारत के उत्तरी हिस्से में रहने वाले लोग कई कारणों से प्रदूषित हवा में सांस लेने के प्रभाव से पीड़ित रहते हैं। कभी फसल अवशेषों को जलने से पैदा होने वाला प्रदूषण, तो कभी वाहनों और फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुंआ, वायु प्रदूषण का मुख्य कारण बन जाता है।
हम जिस हवा में सांस लेते हैं वह न केवल हमारे फेफड़ों के लिए बल्कि पूरे शरीर के लिए हानिकारक है। इस तरह के प्रदूषित वातावरण में जहां एक तरफ मास्क पहनकर और घर के अंदर रहकर ही बचाव संभव है, वहीं कुछ आयुर्वेदिक चीज़ों को भी अपनी डाइट में शामिल करके वायु प्रदूषण के प्रभाव को कम किया जा सकता है। आइए " जीवा आयुर्वेद के निदेशक, डॉ प्रताप चौहान " से जानें कौन से हैं वो आयुर्वेदिक फूड्स जिनसे वायु प्रदूषण के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
अदरक को प्राचीन काल से ही खांसी और सर्दी के लक्षणों को दूर करने के लिए प्रभावी माना जाता है। अदरक सर्दी ज़ुकाम ठीक करने के साथ फेफड़ों को भी मजबूत बनाती है। अदरक म्यूकस को तोड़ने में मदद करती है, जिससे सांस लेना आसान हो जाता है। यह फेफड़ों (लंग कैंसर से बचाएंगे ये हर्ब्स ) में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाने और फेफड़ों की सूजन को कम करने के लिए लाभकारी है। इसे काढ़ा या चाय के साथ इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
अजवाइन के कई स्वास्थ्य लाभ हैं जैसे यह पाचन में सुधार करती है, गैस को बाहर निकालने में मदद करती है और गैस बनने से रोकती है। फाइबर, एंटीऑक्सिडेंट और अन्य विटामिन और खनिजों में समृद्ध अजवाइन जीवाणुरोधी प्रक्रिया को बढ़ावा देने में मदद करती है। यह फेफड़ों में वायु के प्रवाह में सुधार करने के लिए भी कारगर है और इसका एंटी-कफिंग प्रभाव कफ कोल्ड से भी छुटकारा दिलाता है। अजवाइन को आप अपनी रोटी या पराठे के लिए गूथे गए आटे में मिला सकते हैं। इसे पानी के साथ उबालकर चाय की तरह भी पी सकते हैं।
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तुलसी का उपयोग फेफड़ों के संक्रमण और कमज़ोरी के इलाज के लिए किया जाता है। यह धूम्रपान के कारण होने वाले नुकसान को ठीक करने में भी मदद करती है और वायु प्रदूषण के प्रभाव को कम करती है। तुलसी का इस्तेमाल चाय और काढ़ा के रूप में किया जा सकता है और अदरक के रस में तुलसी का रस और शहद मिलाकर इस्तेमाल करने से फेफड़ों को मजबूती मिलती है।
हल्दी का सेवन शरीर को कई तरह की बीमारियों से छुटकारा दिलाने के साथ शरीर से टॉक्सिन्स निकालने में मदद करता है। हल्दी(हल्दी वाले पानी के फायदे ) एक औषधीय गुणों वाला हर्ब होता है जो शरीर को डिटॉक्सीफाई करता है। इसके अलावा हल्दी ब्लड को प्यूरीफाई भी करती है। यही नहीं हल्दी वायु प्रदूषण के प्रभाव को कम करती है। हल्दी का इस्तेमाल दूध के साथ किया जा सकता है तथा इसे पानी में उबालकर चाय की तरह भी पिया जा सकता है।
लहसुन में भरपूर मात्रा में सल्फर होता है। सल्फर शरीर को डिटॉक्सीफाई करने में मदद करता है। फेफड़ों तथा लिवर को टॉक्सिन्स और वायु प्रदूषण के हानिकारक असर से बचाने के लिए लहसुन लाभकारी है। लहसुन का इस्तेमाल खाने में किसी भी रूप में किया जा सकता है। पानी के साथ सुबह खाली पेट लहसुन (अंकुरित लहसुन के फायदे ) का सेवन करना सेहत के लिए फायदेमंद है।
त्रिफला आयुर्वेद के अनुसार तीन मुख्य हर्ब्स का मिश्रण होता है। इसके नियमित सेवन से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है और प्रदूषण के प्रभाव से होने वाले नुकसान से निजात मिलता है। त्रिफला पाउडर का इस्तेमाल रात में सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ किया जा सकता है। इसे शहद के साथ खाना भी सेहत के लिए फायदेमंद है।
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वायु प्रदूषण से शरीर की सुरक्षा करने के लिए अनावश्यक रूप से घर से बाहर न निकलें, खुली हवा में मास्क का इस्तेमाल करें और यहां बताए गए आयुर्वेदिक फूड्स को डाइट में जरूर शामिल करें।
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Image Credit: free pik and Pinterest
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