हेल्दी रहने का एक सबसे आसान व बेहतर विकल्प है अपने आहार पर ध्यान देना। कई बार हेल्दी फूड आइटम्स भी व्यक्ति की स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा सकती हैं। इसलिए, हर व्यक्ति अपनी हेल्थ कंडीशन को ध्यान में रखकर अपनी डाइट को फॉलो करना चाहिए। यूं तो लोग अक्सर कई तरह की डाइट को फॉलो करना पसंद करते हैं, लेकिन ग्लूटेन फ्री डाइट को फॉलो करने का चलन काफी बढ़ गया है। इसके जरिए ना केवल वजन में अंतर नजर आता है, बल्कि यह सीलिएक रोग और नॉन-सीलिएक ग्लूटेन सेंसेटिविटी वाले लोगों को भी ग्लूटेन फ्री डाइट को ही फॉलो करना चाहिए।
बता दें कि ग्लूटेन प्रोटीन का एक रूप है। यह आम तौर पर गेहूं, जौ और राई आदि में पाया जाता है। अधिकांश लोगों को ग्लूटेन के सेवन से कोई समस्या नहीं होती है, जो आसानी से पचने योग्य होता है। हालांकि, हम में से कुछ ऐसे हैं जिन्हें ग्लूटेन से एलर्जी है। उन्हें यह नहीं खाना चाहिए। ग्लूटेन फ्री डाइट को फॉलो करने के अपने फायदे व नुकसान हैं और इन्हें जानने के बाद ही व्यक्ति को ग्लूटेन फ्री डाइट पर स्विच करना चाहिए। तो चलिए आज इस लेख में सेंट्रल गवर्नमेंट हॉस्पिटल के ईएसआईसी अस्पताल की डाइटीशियन रितु पुरी आपको बता रही हैं कि ग्लूटेन फ्री डाइट लेने के क्या फायदे व नुकसान हैं-
ग्लूटेन फ्री डाइट के फायदे
जब आप ग्लूटेन फ्री डाइट पर स्विच करती हैं तो इससे आपको कुछ फायदे मिलते हैं। मसलन-
- ग्लूटेन फ्री डाइट डाइजेस्टिव हेल्थ को बेहतर बनाती है। चूंकि ग्लूटेन पाचन प्रक्रिया को बाधित कर सकता है और ऐसे में आपको दस्त भी हो सकते हैं। लेकिन ग्लूटेन फ्री डाइट आपके पाचन में सुधार करेगी और गुड गट बैक्टीरिया को अपना काम ठीक से करने में मदद करेगी।
- अगर आपको कोई डाइजेस्टिव प्रॉब्लम नही हैं तो आप अपने डाइजेशन को बेहतर बनाने और अपने शरीर को डिटॉक्सीफाई करने के लिए कुछ वक्त के लिए ग्लूटेन फ्री डाइट को फॉलो कर सकते हैं।
- ग्लूटेन फ्री डाइट में आप उन सभी खाद्य उत्पादों को खुद से दूर कर देते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल में उच्च होते हैं। साथ ही आप बाहरी फूड भी सीमित मात्रा में खाते हैं। जिससे यह एचडीएल, अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ावा देना शुरू कर देता है और खराब कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) को कम करता है। कोलेस्ट्रॉल के स्तर का संतुलन उच्च कोलेस्ट्रॉल और

- हृदय रोगों के जोखिमों को कम करने में मददगार है।
- ग्लूटेन फ्री डाइट आपकी अनहेल्दी ईटिंग को रोकने में मददगार है। चूंकि इसमें आप प्रोसेस्ड और अनहेल्दी फूड को अपनी डाइट से बाहर रखते हैं तो आपको हेल्दी व पोषक तत्वों से युक्त आहार करने के लिए प्रोत्साहन मिलता है।
- ग्लूटेन फ्री डाइट आपको सीलिएक डिजीज और ग्लूटेन सेंसिटिविटी को छोड़कर अन्य कई बीमारियों से लड़ने में मदद करेगा। यह डाइट ऑटिज्म, मिर्गी व सिज़ोफ्रेनिया जैसी समस्या से पीड़ित लोगों के लिए भी लाभकारी मानी गई है।
ग्लूटेन फ्री डाइट के नुकसान
- जहां ग्लूटेन फ्री डाइट के कुछ फायदे हैं तो इसके नुकसान को भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए-
- ग्लूटेन फ्री डाइट में अक्सर फाइबर की कमी एक मुख्य चुनौती है। फाइबर के महत्वपूर्ण स्रोतों में से एक होल ग्रेन फूड प्रोडक्ट हैं। चूंकि आटे में ग्लूटेन होता है, इसलिए इसका सेवन करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में फाइबर के स्त्रोत सीमित रह जाते हैं। कोशिश करें कि आप इस नुकसान को कवर करने के लिए अधिक फाइबर युक्त फल और सब्जियां खाएं।
- एक ग्लूटेन फ्री डाइट में कैल्शियम, विटामिन डी, विटामिन बी, आयरन, और अन्य कुछ मिनरल्स कम हो सकते हैं। कई शोध अध्ययन ग्लूटेन-फ्री डाइट के कारण टाइप 2 मधुमेह में वृद्धि का प्रमाण देते हैं। जब अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है, तो यह टाइप 2 मधुमेह का कारण बनता है। यह शरीर में ग्लूटेन की कमी के कारण हो सकता है।
- अगर आप अक्सर बाहर रहती हैं तो ग्लूटेन फ्री डाइट को फॉलो करना यकीनन काफी मुश्किल होगा। दुर्भाग्य से, बहुत कम रेस्तरां और कैफे में ग्लूटेन फ्री फूड अवेलेबल है। आम तौर पर, सभी केक, ब्रेड, पेस्ट्री और बन्स में कुछ मात्रा में ग्लूटेन होता है। साथ ही, आपके पास पैक्ड उत्पादों के लिए कई विकल्प नहीं हैं। इससे निपटने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपना खाना घर पर बनाएं। बाहर के खाने पर ज्यादा निर्भर न रहें। और नाश्ते के लिए, फलों को चुनने का प्रयास करें।
- ग्लूटेन-फ्री डाइट आपकी जेब पर भी महंगी पड़ सकती है, क्योंकि ऐसे प्रोडक्ट्स की कीमत अन्य उत्पादों की तुलना में अधिक होती है। इसलिए, इसका परिणाम आम तौर पर आप जितना खर्च करते हैं उससे अधिक खर्च करना पड़ सकता है।
- हालांकि, यदि आपको सीलिएक रोग है तो आपको आवश्यक रूप से इसे फॉलो करना चाहिए। लेकिन अगर आपको यह बीमारी नहीं है तो यह पूरी तरह आप पर निर्भर करता है कि आप इस डाइट को फॉलो करना चाहती हैं या नहीं।
तो अब आप भी ग्लूटेन फ्री डाइट पर स्विच करने से पहले एक बार अपनी डायटीशियन से संपर्क अवश्य करें और उनकी सलाह के आधार पर ही अपनी डाइट में जरूरी बदलाव करें।
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Image Credit- freepik
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