नवरात्रि का व्रत ज्यादातर लोग करते हैं। घर की महिलाएं तो जरूर ही रखती हैं। लेकिन नौ दिन के व्रत में अहम आराह साबूदाना माना जाता है। व्रत के दिनों में साबूदाना खाना काफी नार्मल है। बल्कि कई लोग तो इसका भोग भी लगाते हैं। लेकिन अगर आपको पता चले कि व्रत के दिनों में खाया जाने वाला साबूदाना असल में शाकाहारी है तो आप कैसा रिएक्शन देंगे...?
चौंकिए मत... यकीन मानिए। व्रत में आप जो साबूदाना खाते हैं वो मांसाहारी होता है।
अगर हमारी बातों पर विश्वास नहीं हो तो ये आर्टिकल पढ़ें। क्योंकि इस आर्टिकल में जब आप साबूदाना बनाने की तकनीक पढ़ेंगी तो खुद ही सोचने में मजबूर हो जाएंगी कि साबूदाना सच में मांसाहारी है?
व्रत का आहार साबूदाना ?
साबूदाना से कई सारी चीजें जैसे, लड्डू, हलवा, खिचड़ी आदि बनाई जाती हैं। इन सारी चीजों का इस्तेमाल व्रत में खाने के लिए किया जाता है। व्रत के दौरान फल की तुलना में लोग साबूदाना इसलिए खाते हैं क्योंकि इससे कार्बोहाइड्रेट मिलता है जो बॉडी को एनर्जी देता है। लेकिन क्या साबूदाना सच में मांसाहारी है या फिर फलाहारी? या फिर कहीं साबूदाना खाने से व्रत ही तो नहीं टूट जाता?
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इसे ऐसे समझें
इसमें कोई दो राय नहीं है कि साबूदाना एक प्राकृतिक वनस्पति है। क्योंकि यह सागो पाम के एक पौधे के तने व जड़ में जो गूदा होता है उससे बनाया जाता है। लेकिन इसे जिस तरह से बनाया जाता है उसके बाद ये कहना गलत है कि ये वानस्पतिक होता है। क्योंकि जिस तरह से इसे बनाया जाता है उस पूरे process के बाद साबूदाना मांसाहारी हो जाता है।
Specially वे साबूदाने जो तमिलनाडु की कई बड़ी फैक्ट्रियों में बनाए जाते हैं। वो भी इसलिए क्योंकि तमिलनाडु में बड़े पैमाने पर सागो पाम के पेड़ हैं। इस कारण ही तमिलनाडु देश साबूदाना का सबसे बड़ा स्रोत माना जाता है।
इस तरह से बनाया जाता है साबूदाना
- फैक्ट्रियों में सबसे पहले सागो पाम की जड़ों को इकट्ठा किया जाता है।
- फिर इन गुदों से साबूदाना बनाने के लिए महीनों तक इन गुदों को बड़े-बड़े गड्ढों में सड़ाया जाता है। आपको हम बता दें कि ये गड्ढे पूरी तरह से खुले होते हैं और इनके ऊपर लाइट्स लगी होती हैं।
- लाइट्स के आसापस जो कीड़े-मकोड़े आते हैं वे गड्ढों के खुले होने के कारण उसमें गिरते रहते हैं।
- साथ ही इन सड़े हुए गूदे में भी सफेद रंग के सूक्ष्म जीव पैदा होते रहते हैं।
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अब इस गूदे को, बगैर कीड़े-मकोड़े और सूक्ष्म जीवों से बिना अलग किए, पैरों से मसला जाता है जिसमें सभी सूक्ष्मजीव और कीटाणु भी पूरी तरह से मिल जाते हैं। फिर इन मसले हुए गुदों से मावे की तरह वाला आटा तैयार होता है। अब इसे मशीनों की सहायता से छोटे-छोटे दानों में अर्थात साबूदाने के रूप में तैयार किया जाता है और फिर पॉलिश किया जाता है।
अब आप ही सोचिए की इस पूरे process के दौरान कैसे ये शाकाहारी रहा?
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