आज ज्यादातर बच्चों को जंक फूड खाना पसंद है, बर्गर, पिज्जा और पास्ता देखते ही उनके मुंह में पानी आने लगता है। निसंदेह यह सभी चीजें खाने में टेस्टी लगती है लेकिन इससे आपके बच्चे को कोई पौष्टिक तत्व नहीं मिलते हैं और उनकी सेहत खराब होती है वह अलग। इस तरह के खाने से आपके बच्चे के विकास पर बुरा असर पड़ता है। जबकि इंडियन फूड आपके बच्चे के विकास के लिए सभी जरूरी पोषक तत्व देता है। जी हां इंडियन फूड आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होने के साथ बैलेंस मील प्लान देता है।
जब हम बच्चो की पोषण संबंधी जरूरी चीजों पर चर्चा करते हैं तो उनकी डाइट में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, आवश्यक विटामिन (ए, बी, सी, डी, ई, के), मिनरल (आयरन, कैल्शियम, जिंक, आदि) और फाइबर शामिल होना चाहिए। इंडियन डाइट आपके बच्चे लिए एक हेल्दी विकल्प हो सकता है क्योंकि यह उन्हें पोषण देता है। आइए जानें किन कारणों से आपको अपने बच्चे को इंडियन फूड क्यों देना चाहिए।
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इंडियन फूड एक बैलेंस डाइट है, जिसमें मुख्य रूप से अनाज, दालें और सब्जियां (कच्चे और पके) शामिल हैं। अनाज में गेहूं, चावल, बाजार, रागी, मकाई, सब्जियां (पकी), सलाद (कच्ची सब्जियां), दाल (दालें और फलियां), दही, चावल (वाइट या ब्राउन) और मिठाई जैसे कि गुड़ का टुकड़ा, गुलाब जामुन, रसगुल्ला, हलवा आदि शामिल है। जब आप आहार का विश्लेषण करती हैं, तो इसमें मुख्य रूप से फूड पिरामिड का पालन करने वाले सभी फूड भोजन में शामिल होता है।
यह कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होते है, जो लंबे समय तक एनर्जी को बनाए रखता है। होल वीट आटा, रागी, दलिया, हरी सब्जियां और र्स्पोट्स में माइक्रो न्यूट्रिएंट्स जैस आयरन, कैल्शियम, विटामिन ए, बी, सी, ई, से भरपूर होते हैं जो बच्चे के विकास के लिए आवश्यक है। इंडियन डाइट फाइबर से भी भरपूर होते है क्योंकि ज्यादातर फल और सब्जियां आपकी डेली डाइट में शामिल होते हैं। जबकि अन्य फूड्स में रिफाइंड अनाज जैसे रोटी, नूडल्स और पास्ता प्रमुख तत्व होते हैं।
बहुत सारे व्यंजन (सरसों, तिल, घी और नारियल के तेल) के रूप में गुड फैट से भरपूर होते हैं। इसके अलावा बहुत सारी डिश को बनाने के लिए नट्स और बीज के अलावा विभिन्न तैयारी के लिए उपयोग किया जाता है। ड्राई फ्रूट्स, बीज और होल वीट से बने लड्डू, बढ़ते बच्चों के लिए सबसे अच्छा स्नैक्स हैं।
इंडियन फूड को बनाने में हमेशा ताजा चीजों का इस्तेमाल होता है। इसका मतलब यह है कि इसमें प्रिजरवेटिव का इस्तेमाल बहुत कम होता है और यह पूरी तरह से हेल्दी फूड है। इसके अलावा ताजा तैयार होने के कारण विटामिन और मिनरल भी बहुत कम नष्ट होते हैं।
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इंडियन फूड्स को पचना बहुत ही आसान होता है क्योंकि इसे बनाने के लिए दालचीनी, जीरा और सौंफ जैसे मसालों को इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा इनमें फार्मेट फूड के रूप में प्री और प्रोबॉयोटिक जैसे कि रायता, दही मक्खन का इस्तेमाल किया जाता है। खाना पकाने के लिए हल्दी, अदरक, लहसुन और करी पत्ती जैसे मसालों का इस्तेमाल होता है जिनमें सभी तरह के औषधीय और हीलिंग गुण होते है जो
हमारे पाचन को बेहतर तरीके से पचाना और रखना आसान है क्योंकि किण्वित खाद्य पदार्थ और दालचीनी, जीरा और सॉन जैसे मसाले तैयारी के दौरान उपयोग किए जाते हैं। भारतीय भोजन में दैनिक आहार में पाचन एंजाइमों को स्राव और पाचन में सुधार करने में हेल्प करते हैं। करी पत्ता में मेमोरी बढ़ाने के गुण भी होते है।
इस तरह से इंडियन फूड आपके बच्चे के विकास के लिए लिए बहुत अच्छा होता है।
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