आयुर्वेद में कई तरह की बीमारियों का जिक्र है और लगभग हर तरह की बीमारी वात, कफ और पित्त इन तीन दोषों के कारण होती हैं। कफ दोष अगर शरीर में बढ़ जाए तो अस्थमा, वजन का बढ़ना, कमजोरी, आलस, ज्यादा नींद आने की समस्या, डाइजेशन की समस्या, थूक का ज्यादा बनना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
शरीर में तीन तरह के दोष होते हैं और इन दोषों को लेकर ही बीमारियों और स्वास्थ्य की समस्याओं की बात की जाती है। दरअसल, अधिकतर लोगों को इस बारे में नहीं पता होता कि आयुर्वेद के मुताबिक तीन तरह के दोष और 6 तरह के स्वाद होते हैं जिससे सारा सिस्टम बनता है।
आप समस्या बढ़ने का इंतज़ार न करें और कुछ तरीकों को आजमाकर आप इनसे छुटकारा पाएं। मिस इंडिया कंटेस्टेंट्स को ट्रेनिंग देने वाली एक्सपर्ट डायटीशियन अंजली मुखर्जी ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर इस समस्या से निजात पाने के कुछ तरीके शेयर किए हैं। अंजली लगभग 20 सालों से इसी फील्ड में काम कर रही हैं और वो डाइट टिप्स एक्सपर्ट भी हैं।
अंजली के मुताबिक इस दोष की समस्या को खत्म करने के लिए भी आपको अपनी डाइट में थोड़े से बदलाव करने चाहिए।
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आयुर्वेद के 6 स्वाद का रखें ध्यान-
अंजली जी के मुताबिक आयुर्वेद के 6 स्वाद में से तीन खाने से कफ बढ़ता है और अन्य तीन को अपनी डाइट में शामिल करने से कफ दोष कम होता है। हालांकि, कई बार समस्या के हिसाब से इलाज तय किया जाता है और अगर आपको किसी बीमारी ने परेशान कर रखा है तो उस समस्या का हल निकालने के लिए डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए। फिर भी आयुर्वेद के मुताबिक तीन अहम स्वाद जो कफ दोष को बढ़ा सकते हैं वो ये हैं।
जिन तीन स्वाद को खाने से कफ दोष बढ़ता है वो हैं-
- खट्टा - नींबू, दही, फर्मेंटेड फूड्स
- मीठा - आर्टिफीशियल और नेचुरल शुगर वाला खाना
- नमकीन - ज्यादा नमक वाला खाना, नेचुरल चीज़ें जो नमकीन स्वाद वाली होती हैं।
इनकी जगह अपनी डाइट में शामिल किए जा सकते हैं ये तीन स्वाद-
- तीखा - मिर्च और तेज़ स्वाद वाली चीज़ें
- कड़वा - कड़वा स्वाद जिस भी चीज़ में नेचुरली मिलता है वो खाएं
- कषाय - (कसैला- Astringent) एस्ट्रिजेंट फूड्स में कच्चा केला, काजू जैसी चीज़ें भी आती हैं।
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वैसे तो कफ दोष के लिए यही सबसे बेहतर होता है, लेकिन ये हर इंसान की हेल्थ कंडीशन के हिसाब से बदलता भी है। एक तरह से देखा जाए तो अगर स्पाइसी, एस्ट्रिजेंट खाना कफ दोष को कम कर सकता है तो वो अन्य दोष को बढ़ा भी सकता है। इसलिए ये बेहतर होता है कि कोई भी अपनी हेल्थ कंडीशन के हिसाब से ही खाना-पीना तय करें।
आयुर्वेद के मुताबिक सभी तरह के स्वाद अपनी थाली में थोड़े-थोड़े लेने चाहिए जिससे आप अपने शरीर के सभी दोषों को बैलेंस रख सकते हैं। ये जरूरी है कि आप अपने शरीर के हिसाब से ही उपाय चुनें। एक बात का ध्यान हमेशा रखें कि लाइफस्टाइल में कोई भी बड़ा बदलाव लाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूरी होती है और आयुर्वेद कहता है कि अगर आप किसी भी चीज़ को अति में खाएंगे तो ये बुरी ही साबित होगी। हर चीज़ का बैलेंस बनाकर रखना बहुत जरूरी है।
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