वेट मैनेजमेंट में मील टाइमिंग भी रखती है बेहद मायने, जानिए कैसे

अक्सर अपने वेट मैनेजमेंट के लिए हम सभी अपनी फूड च्वॉइसेस पर फोकस करते हैं। लेकिन इसके साथ-साथ आपको मील टाइमिंग पर भी उतना ही ध्यान देना चाहिए। यह भी उतना ही जरूरी होता है। जानिए इस लेख में।  
circadian rhythm

जब भी बात वेट मैनेजमेंट की होती है तो लोग अपनी फूड च्वॉइसेस या फिर पोर्शन कंट्रोल पर ही ध्यान देते हैं। लेकिन मील टाइमिंग्स पर किसी का ध्यान नहीं जाता। शायद यह आपको बेहद छोटी सी बात लगे, लेकिन वास्तव में यह काफी अहम् है। सिर्फ सही खाना ही हेल्दी लाइफ जीने का मंत्र नहीं है, बल्कि सही समय पर खाना भी उतना ही जरूरी है।

दरअसल, शरीर की अपनी एक अंदरुनी घड़ी होती है, जिसे सर्कैडियन रिदम के रूप में जाना जाता है। जब आप अपने मील को इस नेचुरल रिदम के साथ एलाइन करते हैं, तो आपका शरीर कैलोरी को अधिक बेहतर तरीके से बर्न करता है और आप खुद को अधिक एक्टिव व एनर्जेटिक फील करते हैं। वहीं दूसरी ओर, मील्स स्किप करना या फिर देर रात खाना खाने से आपका पाचन धीमा हो सकता है, इंसुलिन बढ़ सकता है और फैट जमा हो सकती है। तो चलिए आज इस लेख में सेंट्रल गवर्नमेंट हॉस्पिटल के ईएसआईसी अस्पताल की डाइटीशियन रितु पुरी आपको बता रही हैं कि वेट मैनेजमेंट में मील टाइमिंग क्यों मायने रखती है-

सर्कैडियन रिदम पर पड़ता है असर

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जब आप अपनी मील टाइमिंग का खास ख्याल रखते हैं तो इससे आपके शरीर एक आंतरिक घड़ी सर्कैडियन रिदम पर अच्छा असर पड़ता है। यह सर्कैडियन रिदम आपकी नींद से लेकर पाचन तक सब कुछ प्रभावित करती है। इसका असर आपके मेटाबॉलिज्म पर भी पड़ता है। जब आप किसी भी टाइम पर खाना खाते हैं तो इससे आपको मेटाबॉलिक असंतुलन की समस्या हो सकती है। जिसका नेगेटिव असर आपके वजन पर भी पड़ सकता है।

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मील स्किप करना हो सकता है नुकसानदायक

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कुछ लोगों की यह आदत होती है कि वे किसी भी समय पर खाना खाते हैं या फिर अपना मील स्किप कर देते हैं। ऐसा करना नुकसानदायक हो सकता है। खासतौर से, नाश्ता स्किप करने से मेटाबॉलिज्म पर नेगेटिव असर पड़ सकता है। रिसर्च से भी पता चलता है कि नाश्ता स्किप करना शरीर के अतिरिक्त वजन और इंसुलिन प्रतिरोध से जुड़ा हुआ है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि नाश्ता स्किप करने से आपका ब्लड शुगर लेवल कम हो सकता है। इससे आपको अगले भोजन तक भूख लग सकती है, जिससे आप अधिक खा सकते हैं या अनहेल्दी स्नैकिंग कर सकते हैं। साथ ही, जब आपका शरीर भोजन की कमी महसूस करता है तो वह फैट को जमा करना शुरू कर देता है।

भूख पर पड़ता है असर

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जब आप हर दिन एक ही समय पर भोजन करते हैं तो इससे भूख बढ़ाने वाले हार्मोन मसलन, घ्रेलिन हार्मोन को कंट्रोल रखना अधिक आसान हो जाता है। ऐसा करने से आपका शरीर सेट होने लगता है और एक निश्चित समय पर आपका शरीर भोजन की अपेक्षा करने लगता है, जिससे डाइजेशन और मेटाबॉलिज्म पर अच्छा असर पड़ता है। जब आपको बार-बार भूख नहीं लगती है तो इससे फूड क्रेविंग भी कम होती है।

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Image Credit- freepik

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