किसी भी पैरेंट के लिए उसके बच्चे की सेहत सबसे पहले आती है। ऐसे में वह अपने बच्चे को चुस्त व तंदरूस्त रखने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। उनकी यही इच्छा होती है कि उनके बच्चों को पूरा पोषण मिले। जिसके कारण चाइल्ड न्यूट्रिशन से जुड़ी कई बातें उन्हें पता चलती हैं। ऐसे में अधिकतर पैरेंट्स बिना सोचे-समझे उन बातों पर भरोसा कर लेते हैं।
हालांकि, चाइल्ड न्यूट्रिशन से जुड़ी कई बातों में बिल्कुल भी सच्चाई नहीं होती है और अगर इन पर बिना सोचे-समझे भरोसा किया जाए तो इससे बच्चों को कोई फायदा नहीं मिलता है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको चाइल्ड न्यूट्रिशन से जुड़े कुछ मिथ्स और उनकी सच्चाई के बारे में बता रहे हैं-
मिथक 1- बार-बार खाने से बच्चा हेल्दी होता है।
सच्चाई- बच्चों के न्यूट्रिशन से जुड़ा यह एक कॉमन मिथ है, जिस पर पैरेंट्स भरोसा करते हैं। उन्हें लगता है कि अगर वे हर थोड़ी देर में अपने बच्चे को खाने के लिए देते हैं तो इससे उनका बच्चा हेल्दी होता है। जबकि यह सच नहीं है। ओवरईटिंग बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती है। आप बच्चे को तीन मेन मील्स के अलावा दो बार मिड मील्स लेना काफी है। इसलिए, बच्चों की सही ग्रोथ के लिए आप उन्हें सही समय पर फूड दें।
मिथक 2- बच्चों को जूस देना बेहद जरूरी है।
सच्चाई- यह भी एक कॉमन मिथ है, जिस पर सभी भरोसा करते हैं। पैरेंट्स को लगता है कि बच्चे को हेल्दी बनाए रखने के लिए जूस देना बेहद जरूरी है। यह भी पूरी तरह से सच नहीं है। जूस से बच्चे को लाभ मिल सकता है, लेकिन वे पैकेज्ड जूस नहीं होने चाहिए। इसके अलावा, अगर संभव हो तो बच्चे को जूस के स्थान पर पूरा फल दें क्योंकि ये अधिक पोषक तत्व और फाइबर प्रदान करते हैं।
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मिथक 3- बच्चे को हेल्दी रखने के लिए मल्टीविटामिन लेना जरूरी है।
सच्चाई- कई बार पैरेंट्स अपने बच्चों के न्यूट्रिशन लेवल को बनाए रखने के लिए मल्टीविटामिन देना शुरू कर देते हैं। लेकिन यह भी गलत माना जाता है। कभी भी खुद से बच्चों को मल्टीविटामिन नहीं देने चाहिए और ना ही मल्टीविटामिन भोजन के विकल्प हैं। आप चाहें तो सिर्फ भोजन के जरिए ही बच्चे की सभी पोषक संबंधी आवश्यकताएं पूरी कर सकते हैं। इसके अलावा, अगर जरूरत महसूस हो तो केवल डॉक्टर की सलाह पर ही कोई सप्लीमेंट दिया जाना चाहिए।(5-10 साल के बच्चों को खिलाएं ये फूड्स)
मिथक 4- बच्चों को नियमित रूप से अंडा खाना चाहिए।
सच्चाई- अंडे को बेहद ही हेल्दी फूड आइटम माना गया है। यह प्रोटीन, आयरन, स्वस्थ वसा, विटामिन डी, ई, ए और बी12 और कोलीन का एक उत्कृष्ट स्रोत हैं और इसलिए बच्चों को इसके सेवन से लाभ मिलता है। हालांकि, यह जरूरी नहीं है कि आप बच्चे को हर दिन अंडा खाने के लिए दें। आप चाहें तो इसके अतिरिक्त सोया, नट्स, टोफू, दाल आदि जैसे अन्य प्रोटीन का सोर्स हैं। इसलिए, अगर कोई बच्चा अंडा नहीं खाना चाहता है तो ऐसे में आप उसे मजबूर ना करें। आप उसकी प्रोटीन संबंधी जरूरतें अन्य फूड आइटम के जरिए भी पूरा कर सकती हैं।
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मिथक 5- अगर बच्चा बहुत सारे खेल खेलता है तो उसे अतिरिक्त कार्बोहाइड्रेट लेने की आवश्यकता है।
सच्चाई- यह सच है कि कार्ब्स एनर्जी का एक अच्छा स्त्रोत हैं। यही कारण है कि पैरेंट्स सोचते है कि जो बच्चे फिजिकली एक्टिव होते हैं, उन्हें अधिक कार्ब्स लेने चाहिए। लेकिन अगर आपका बच्चा बैलेंस्ड डाइट ले रहा है तो खेल के दौरान उसे अलग से कार्ब्स देने की जरूरत नहीं है। हालांकि, अगर बच्चा लॉन्ग वीकेंड टूर्नामेंट में हिस्सा ले रहा है, जहां वे एक समय में कई घंटों खेल रहे हैं, तो ऐसे में खेल से पहले भोजन में अतिरिक्त कार्बोहाइड्रेट शामिल करना लाभकारी हो सकता है।
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Image Credit- Freepik
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