Hidden Places To Visit In Uttarakhand: उत्तराखंड देश का एक प्रमुख और पहाड़ी राज्य है। पहाड़ी राज्य होने के चलते यहां हर दिन हजारों देशी और विदेशी पर्यटक घूमने के लिए पहुंचते रहते हैं।
उत्तराखंड की हसीन वादियों में आज भी ऐसी कई अनदेखी जगहें मौजूद हैं, जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। जागेश्वर भी एक ऐसी जगह है, जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते होंगे।
उत्तराखंड की खूबसूरत पहाड़ों के बीच में मौजूद जागेश्वर को उत्तराखंड का चमत्कारी स्थल माना जाता है। इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर जागेश्वर इतना क्यों प्रसिद्ध है।
उत्तराखंड में जागेश्वर कहां है? (Where is Jageshwar Uttarakhand)
जागेश्वर की पौराणिक कथा बताने से पहले आपको यह बता दें कि यह प्रसिद्ध स्थान उत्तराखंड के अल्मोड़ा से करीब 34 किमी की दूरी पर मौजूद है। यह नैनीताल से करीब 98 किमी की दूरी पर है। जागेश्वर को पूरे देश में जागेश्वर धाम के नाम से भी जाना जाता है।
आपकी जानकारी के लिए यह भी बता दें कि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से जागेश्वर की दूरी करीब 380 किमी है। इसके अलावा, यह रानीखेत से 77 और पिथौरागढ़ से 85 किमी दूर है।
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जागेश्वर के मंदिरों का इतिहास (Jageshwar Temples History)

उत्तराखंड की हसीन वादियों में मौजूद जागेश्वर धाम पूरे भारत में प्रसिद्ध तो है, लेकिन इसका निर्माण कब हुआ यह रहस्यमयी कहानी बनी हुई है। कई लोग इस धाम को लेकर यह मानते हैं कि इसका इतिहास करीब 2500 वर्ष से भी पुराना है।(बेंगलुरु के प्रसिद्ध कृष्ण मंदिर)
जागेश्वर धाम के बारे में कहा जाता है कि इस पवित्र स्थल का नाम शिव पुराण, लिंग पुराण और स्कंद पुराण में भी मिलता है। कई लोगों का मानना है कि कुछ मंदिर का निर्माण 7वीं और 8वीं शताब्दी के मध्य में हुआ था और कुछ मंदिरों का इतिहास करीब 1400 साल पुराना है।
जागेश्वर की मान्यता क्या है? (Why Jageshwar Dham Is So Famous)
जागेश्वर धाम को भगवान शिव को समर्पित एक पवित्र स्थान माना जाता है। इस धाम को भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। जागेश्वर धाम के मंदिर समूह में सबसे विशाल एवं सुंदर मंदिर महामृत्युंजय महादेव जी के नाम से विख्यात माना जाता है।
जागेश्वर धाम को उत्तराखंड का पांचवां धाम भी कहा जाता है। इसके अलावा, इस धाम को भगवान शिव की तपस्थली भी माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार जागेश्वर धाम मंदिर में भगवान शिव और सप्त ऋषियों ने तपस्या की शुरुआत की थी। इस मंदिर परिसर के अंदर करीब 124 छोटे-छोटे मंदिर हैं जहां भक्त पहुंचते रहते हैं।
सैलानियों के लिए किसी हसीन जन्नत से कम नहीं
जागेश्वर धाम पर्यटकों के लिए किसी हसीन जन्नत से कम नहीं माना जाता है। ऊंचे-ऊंचे पहाड़, घने जंगल, देवदार के बड़े-बड़े पेड़ और झील-झरने इस धाम की खूबसूरती में चार चांद लगाने का काम करते हैं। यह प्रकृति प्रेमियों के लिए जन्नत भी माना जाता है।
जागेश्वर धाम पहुंचने के लिए ट्रैकिंग करनी पड़ती है और ट्रैकिंग के दौरान एक से एक अद्भुत और मनमोहक दृश्यों को कैमरे में कैद कर सकते हैं। मंदिर परिवार के आसपास मौजूद हसीन वादियों में आप सुकून का पल भी बिता सकते हैं।
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जागेश्वर धाम कैसे पहुंचें? (How To Reach Jageshwar Dham)
जागेश्वर धाम पहुंचना बहुत ही आसान है। इसके लिए आप देश के किसी भी हिस्से से काठगोदाम रेलवे स्टेशन पहुंच सकते हैं। काठगोदाम रेलवे स्टेशन लोकल बस या टैक्सी लेकर आप आराम से जागेश्वर धाम पहुंच सकते हैं, जो करीब 115 किमी पड़ता है।
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