कितना अच्छा लगता है, जब हवा में यात्रा कर रहे होते हैं। फ्लाइट उड़ान भरती है और हम बादलों के ऊपर होते हैं। खिड़की से बाहर झांकने पर नीचे का नजारा अद्भुत लगता है। लेकिन क्या हो जब देखते ही देखते, आपके पास लगी खिड़की का शीशा, हवा के तेज प्रवाह की वजह से टूट जाए। आप समझ सकते हैं कि प्लेन में हल्ला हो जाएगा कि खिड़की टूट गई। कई लोग घबराहट के मारे इस चिंता में पड़ जाएंगे कि कहीं प्लेन इसकी वजह से गिर तो नहीं जाएगा। लेकिन अभी तक आपके मन में यही सवाल चल रहे हैं, तो सोचिए अगर ऐसा ही हादसा प्लेन उड़ा रहे पायलट के साथ हो गया, तो क्या होगा। ये कोई सपना या कहानी नहीं है। ऐसा सच में एक पायलट के साथ हो चुका है।
17000 फीट की ऊंचाई पर 20 मिनट तक लटके रहे कैप्टन टिमोथी
यह आपको फिल्मी सीन की तरह लग रहा होगा, लेकिन ऐसा सच में हो चुका है। उस पायलट की तस्वीर भी सामने आई है, जिसमें दूसरे पायलट ने हवा में उड़ने वाले पायल का पैर पकड़ रखा है। अगर थोड़ी सी भी चूक होती, तो पायलट उड़कर प्लेन से नीचे गिर जाता। यह हादसा ब्रिटिश एयरवेज की फ्लाइट संख्या 5390 में बैठे एक पायलट के साथ हुई थी। 10 जून, 1990 को यह फ्लाइट इंग्लैंड के बर्मिंघम से स्पेन जा रही थी। अभी फ्लाइट उड़े ज्यादा समय नहीं हुआ थे, लेकिन तभी प्लेन की विंडस्क्रीन टूट गई और कैप्टन उड़कर बाहर चले गए।
पायलट उड़ जाते, अगर क्रू मेंबर नाइजेल ऑग्डेन उनका पैर नहीं पकड़ते। उन्होंने झपटकर पायलट का पैर पकड़ लिया और जब तक हवा में फ्लाइट उड़ती रही, तब तक वह उनका पैर पकड़े रहे। जिस क्रू मेंबर ने पायलट का पैर पकड़ा था, वह भी तेज हवा की वजह से अपना बैलेंस खो रहे थे। लेकिन उन्होंने अपना पैर नीचे कुर्सी में फंसा रखा था। यही कारण है कि वह एक जगह से हिल नहीं रहे थे, अगर वह थोड़ा भी हिलते, या पायल को अंदर की तरफ खींचने की कोशिश करते हैं, तो हो सकता था कि पायलट के साथ वह भी हवा में उड़ जाएं।
17000 फीट की ऊंचाई पर आप समझ सकते हैं कि हवा कितनी तेज होगी। इससे भी ज्यादा बड़ी बात यह है कि प्लेन जिस दिशा में उड़ रहा था, उस दिशा की खिड़की टूटी थी। इसलिए अन्य पायलट को भी हवा की वजह से प्लेन उड़ाना मुश्किल हो रहा था। हवा की वजह से सभी चीजें उड़कर बाहर चली गई थी। लेकिन वहां मौजूद अन्य फ्लाइट मेंबर ढीली हो चुकी चीजों को फिक्स कर रहे थे।
हवा में लटके हुए पायलट का क्या हुआ
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ऊंचाई पर तेज हवा में लटके पायलट को लेकर सभी यह सोच चुके थे कि शायद अब वह नहीं बच पाएंगे। क्योंकि तेज हवा की वजह से उनका शरीर प्लेन की बाहरी सतह से टकरा रहा था। अंदर बैठे लोग भी उनकी मदद नहीं कर सकते थे कि आसमान में हवा का सामना किया नहीं जा सकता था।
लेकिन चाहे कुछ हो जाए क्रू मेंबर ने जब तक फ्लाइट लैंड नहीं हुआ, तब तक पायलट का पैर पकड़ा रहा और अन्य मेंबर ने भी हार नहीं मानी। अन्य पायलट के दिमाग में यह भी चल रहा था कि अगर पायलट का पैर छूट गया, तो वह प्लेन इंजन से टकरा सकते हैं। अगर वह फ्लाइट के विंग से भी टकराएंगे, तो प्लेन का बैलेंस बिगड़ सकता। ऐसे में तेज हवा में बैलेंस बिगड़ना खतरे से खाली नहीं है। लगभग 20 मिनट के बाद टूटी हुई खिड़की वाला प्लेन साउथेंपन एयरपोर्ट पर लैंड करवाया गया और सबसे पहले पायलट को एमरजेंसी वार्ड में ले जाया गया। उनकी हालत देखकर लोगों ने तो उन्हें मरा हुआ समझ लिया था, लेकिन ऐसा नहीं था। वह इलाज के बाद ठीक हो गए और यह हादसा सबसे खतरनाक हादसों के लिए याद किया जाता है।
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