वसाबी और सुशी उतने ही इंपॉर्टेंट हैं, जितने दाल और चावल। सुशी के अलावा कई जापानी स्टाटर्स के साथ वसाबी सर्व की जाती है। इसका एक निवाला मुंह में डालते ही आंख और नाक से पानी बहने लगता है। ऐसा लगता है कि इसकी हीट पेट को जला रही है। इसमें मिर्च नहीं डाली जाती है, लेकिन फिर भी यह कॉन्डिमेंट बहुत तीखा होता है।
इसका स्वाद मिर्च से एकदम अलग होता है। आप इसे कई तरह से अपनी मील के साथ खा सकते हैं। जापानी वसाबी के बारे में लोग इतना ही जानते हैं कि यह तीखी चटनी है, लेकिन वसाबी से जुड़े कई दिलचस्प फैक्ट्स हैं। बहुत कम लोगों को पता होगा कि यह मिर्च से तैयार नहीं होती, बल्कि प्लांट के स्टेम से बनती है। चलिए इस आर्टिकल में ऐसे ही मजेदार फैक्ट्स हम आपको बताएं।
रूट या पत्ते नहीं स्टेम से बनती है वासाबी
आपको अगर वसाबी पौधे के बारे में बताया जाए, तो आपको भी यही लगेगा कि इसे पत्तों से बनाया जाता होगा। मगर ऐसा नहीं है। यह पत्ता गोभी के परिवार से ताल्लुक रखती है और इसका प्लांट रूट प्लांट की तरह लगता है। इसके नीचे के हिस्से को घिसा जाता है, जिसे फिर कॉन्डिमेंट की तरह बनाया जाता है। मगर पौधे का निचला हिस्सा जड़ नहीं है, बल्कि स्टेम होता है।
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फूड पॉइजनिंग के लिए खाई जाती है वसाबी
जापानी लोगों ने इसे यूं ही अपनी थाली में शामिल करना शुरू नहीं किया था। दरअसल, उन्हें पता चला कि इसमें औषधीय गुण होते हैं। जापान के लोग ज्यादातर कच्चा मांस और सब्जियां आदि खाते हैं। उन्हें साफ करने के बावजूद भी उनमें कीड़े हो सकते हैं, जिसके कारण आपको फूड पॉइजनिंग हो सकती है। हालांकि, सालों पहले यह माना जाता था कि वसाबी को अपने भोजन में शामिल करने से बीमारियों से लड़ने में मदद मिलती है। तब ऐसा माना जाता था कि वसाबी में एलिल आइसोथियोसाइनेट नामक एक रसायन होता है, जिसे अब कीटनाशक के रूप में उपयोग किया जाता है, और इसमें जीवाणुरोधी गुण भी होते हैं। बस तभी से वसाबी जापानी कुजीन का अहम हिस्सा बन गई।
इसे उगाने के लिए करनी पड़ती है मश्क्कत
जी हां, जो वसाबी आप सुशी के साथ आसानी से चट कर जाते हैं, उसे उगाना सबसे मुश्किल होता है। जिस तरह से भारत में चावल की फसल होती है। जापान में उसी तरह से इस पौधे की फसल होती है। हालांकि, वसाबी पौधे को उगने के लिए विशेष परिस्थितियों की आवश्यकता होती है। जापान के पहाड़ी इलाकों में, इसका प्राकृतिक आवास नदी घाटियों में है, जो सीधी धूप से सुरक्षित है और इसकी जड़ें बहते भूमिगत पानी में पहुंचती हैं। यह समुद्र तल से लगभग 1300- 2500 मीटर ऊपर ही बढ़ता है। अगर हवा का तापमान 8 डिग्री सेल्सियस से नीचे या 20 डिग्री सेल्सियस से ऊपर हुआ तो यह ग्रो नहीं करता। यह ऐसा पौधा नहीं है जिसे आप अपने किचन गार्डन में कभी भी उगा सकते हैं। इसके लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है।
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असली वसाबी होती है महंगी
जैसा कि हमने आपको बताया कि इसे उगाना मुश्किल होता है, लेकिन जापान में इसकी मांग बहुत ज्यादा है। यही कारण है कि यह बहुत एक्सपेंसिव कॉन्डिमेंट होता है। वहीं, जापान की बदौलत अब वसाबी अन्य जगहों पर भी पॉपुलर हो चुकी है। यही कारण है कि काफी जगहों पर वसाबी के अलटरनेटिव्स या उसकी कॉपी डिश तैयार की जाती है। साल 2014 तक एक किलो वसाबी की कीमत 13 हजार के करीब थी, जो पिछले कुछ समय में 10 प्रतिशत बढ़ गई। आज कई रेस्तरां ऑथेंटिक वसाबी पाने के लिए 24 हजार या उससे ज्यादा का भुगतान करते हैं।
वसाबी का स्वाद मिनटों में हो जाता है गायब
अगर आपको कभी असली वसाबी पौधा मिले और आप उसका पेस्ट बनाने लगें, तो उसे अच्छे से स्टोर करके रखिएगा। अगर आप ऑथेंटिक वसाबी का पेस्ट भी ला रहे हैं, तो उसे टाइटली स्टोर कीजिएगा। एक बार इसे खुला छोड़ देंगे तो लगभग 15 मिनट के अंदर ही इसका फ्लेवर गायब हो जाता है। इसे निकालकर तुरंत परोसें और इसका मजा लें वरना आप इतनी महंगी चीज खाएंगे भी और इसका स्वाद भी नहीं ले पाएंगे।
हमें उम्मीद है यह आर्टिकल पढ़कर आपको भी वसाबी के बारे में कई सारी चीजों का पता लगा होगा। आप वसाबी को किस डिश के साथ खाना पसंद करते हैं, हमें जरूर बताएं। अगर यह लेख अच्छा लगा, तो इसे लाइक और शेयर करना न भूलें। ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।
Image Credit: Freepik
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