तरला दलाल जिनका नाम कुंवारी लड़कियों के साथ जुड़ते ही झट से उनकी शादी हो जाती थी। ये बात आपको सुनकर भले ही हैरानी हो लेकिन ये सच हैं। ऐसा क्यों होता था इसे जानने के लिए आपको सबसे पहले उनके बारे में कुछ बातें पहले जाननी चाहिए।
दुनिया की 5 बेस्ट कुकरी बुक सेलर में से एक तरला दलाल ने साल 1996 में अपने घर से कुकरी क्लासिस की शुरुआत की थी। तरला दलाल ने 200 से भी ज्यादा किताबें लिखी हैं जो दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाली कुकरी बुक में शामिल है। उनकी लिखी किताबें आपको ना सिर्फ हिंदी, इंगलिश, गुजराती, मराठी और बंगाली भाषा में मिलेंगी बल्कि रशियन और डच भाषा में भी आपको तरला दलाल की रेसिपी बुक्स मिल जाएंगी। 5 मिलियन से भी ज्यादा उनकी किताबों की अब तक बिक्री हो चुकी है।
Image Courtesy: @TarlaDalal/Facebook
तरला दलाल का जन्म पुना में हुआ था और शादी के बाद वो मुम्बई शिफ्ट हो गईं। शुरुआत में उन्होंने अपने घर पर ही महिलाओं का खाना बनाना सीखाया। जल्द ही उनकी कुकरी क्लासिस इतनी पॉपुलर हो गई कि फिर उनसे खाना बनाना सीखने के लिए महीनों की वेटिंग लिस्ट बनने लगी। स्टूडेंट उन्हें ज्वाइन करने के लिए कई महीनें इंतज़ार करते थे। 90 के दशक में ये कहा जाता था कि जिस भी लड़की की शादी होने वाली हो उसे पहले तरला दलाल की कुकिंग क्लासिस में भेज दिया जाए। या फिर लड़की की शादी के लिए उस ज़माने में जब माता-पिता लड़का ढूंढ रहे होते और ये बताते कि उनकी बेटी ने तरला दलाल से खाना बनाना सीखा है तो उसकी शादी जल्द ही पक्की हो जाती।
तरला दलाल के कुकिंग शो उस ज़माने में दुबई से लेकर टोकयो, जकार्ता, होंगकोंग, सिंगापुर, लंदन, टोरंटो, न्यूयॉर्क जैसे कई दूसरे देशो में दिखाए जाते थे।
दुनिया की टॉप 10 कुकरी वेबसाइट में से एक वेबसाइट तरला दलाल की है। उस समय तरला दलाल ने ये कहा था कि मुझे इंतज़ार है कि जब मेरी कुकरी वेबसाइट वर्ल्ड की टॉप 5 वेबसाइट्स में से एक होगी। तरला दलाल ने एक हेल्पलाइन नंबर भी लोगों के साथ शेयर किया जिस पर खाना बनाते समय किसी को भी अगर कोई दिक्कत होती तो वो फोन पर उनकी सलाह कभी भी ले सकते थे। तरला दलाल ने कहा था कि उन्हें लोगों इस तरह से बात करना बहुत अच्छा लगता है और सभी लोग जो भी उन्हें फोन करते हैं वो उनके परिवार की तरह ही हैं।
Image Courtesy: @TarlaDalal/Facebook
तरला दलाल ने जब लोगों को खाना बनाना सीखाना शुरु किया तब वेबसाइट से ज्यादा पॉपुलर मैगज़ीन हुआ करती थी जो महीने में एक बार या फिर हफ्ते में एक बार आती थी। जिस मैगज़ीन में तरला दलाल की रेसिपी छपी होती थी उसकी बिक्री ज्यादा होती थी और लोग उन्हे सालों साल संभालकर रखते थे और उन रेसिपी को पढ़कर खाना बनाना सीखते थे।
तरला दलाल ना सिर्फ अपने स्टूडेंट्स को अच्छा खाना बनाना सीखाती थी बल्कि वो उसके साथ उन्हें घर के डेकोरेशन से लेकर टेबल मैनर और घर आए मेहमानों को एंटरटेन करने का तरीका भी बताती थी। यही वजह थी कि जो भी एक बार उनके पास खाना बनाना सीखने के लिए आता वो बाद में अपनी पहचान के हर सदस्य को उन्ही के पास भेजता।
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