सतलुज नदी के उद्गम स्थान और इससे जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में जानें

भारत की प्रमुख नदियों में से एक सतलुज से जुड़ी कुछ ख़ास बातों के बारे में आपको भी जान लेना चाहिए। 

 

origin of sutlej river facts and history

भारत में नदियों का इतिहास काफी पुराना है और उनमें से कुछ नदियां सदियों से अपनी दिशा में बहती जा रही हैं और लोगों को अपने जल से सींचती जा रही हैं। ऐसी ही एक नदी है सतलुज नदी। यह नदी एक प्राचीन नदी है, जो सिंधु नदी की सहायक नदियों में से एक है और उन पांच नदियों में से एक है जो पंजाब राज्य को उसका नाम देती हैं।

दरअसल पंजाब का नाम 5 नदियों रावी, चेनाब, झेलम, ब्यास और सतलुज से मिलकर बना है जिसमें सतलुज का लग स्थान है। यह नदी शिपकी ला दर्रे के पास भारत में प्रवेश करती है, जहां से यह पंजाब में ब्यास नदी में विलीन होने से पहले कई हिमालयी घाटियों से होकर गुजरती है जो सिंधु में उतरने से पहले पाकिस्तान में चिनाब में मिल जाती है। आइए जानें सतलुज नदी के उद्गम स्थान, इतिहास और इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में जो इसे अन्य नदियों से अलग दिखाते हैं।

सतलुज नदी का उद्गम स्थान

sutlej river history

सतलुज नदी उत्तर भारत और पाकिस्तान में पंजाब राज्य के प्रसिद्ध चौराहे क्षेत्र से गुजरने वाली पांच नदियों में सबसे व्यापक है। यह नदी विंध्य पर्वत श्रृंखला के उत्तर में, हिमालय पर्वत श्रृंखला के हिंदू कुश डिवीजन के दक्षिण में और पाकिस्तान में मध्य सुलेमान श्रृंखला के पूर्व में स्थित है। सतलुज नदी का उद्गम स्थान दक्षिण-पश्चिम तिब्बत में समुद्र तल से 4,600 मीटर की ऊंचाई पर है। इसका उद्गम मानसरोवर के निकट राक्षस ताल से होता है, जहां इसका स्थानीय नाम लोगचेन खम्बाव पड़ जाता है।

सतलुज नदी (भारत की 10 सबसे बड़ी नदियां) पूरे उत्तरी भारत में बहने वाली एक प्रमुख नदी है जिसका पौराणिक नाम शतुर्दि है। हरिके में ब्यास नदी सतलुज में मिलती है, जहां से यह दक्षिण-पश्चिम की ओर मुड़कर भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा निर्धारित करती है। इसके बाद यह भारत को छोड़कर कुछ दूरी के लिए पाकिस्तान में फाजिल्का के पश्चिम में बहती है। बहावलपुर के निकट पश्चिम की ओर यह चिनाब नदी से मिलती है।

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सतलुज नदी का इतिहास

sutlej river origin

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पवित्र मानसरोवर झील से निकलने वाली चार नदियों में से सतलुज वास्तव में उन चैनलों से जुड़ी है जो ज्यादातर समय सूखी रहती हैं। पहले इस नदी को शुतुद्री या जराद्रोस नदी भी कहा जाता था। इस प्रकार सतलुज का इतिहास सदियों पुराना है।(यमुना नदी की उत्पत्ति कहां से हुई है)

सतलुज नदी की लंबाई

सतलुज नदी की लंबाई 1,450 किमी है। कोल बांध, भाखड़ा नंगल बांध, बसपा जलविद्युत परियोजना और नाथपा झाकड़ी परियोजना जैसी नदी के ऊपर विभिन्न जलविद्युत ऊर्जा और सिंचाई परियोजनाएं बनी हैं। इस नदी के पानी की आदर्श मात्रा के साथ तीव्र प्रवाह होने की वजह से इसे और इसकी सहायक नदियों को हिमालय का पावर हाउस माना जाता है।

सतलुज नदी के किनारे बसी जगहें

इस नदी के किनारे हिमाचल प्रदेश और पंजाब में कई शहर बेस हैं जिसमें किन्नौर, शिमला, रामपुर, मंडी, कुल्लू, बिलासपुर और सोलन स्थित हैं। पंजाब में इस नदी के किनारे रोपड़, हरिके, फिरोजपुर, और लुधियाना शहर स्थित हैं। सतलुज नदी पर कई परियोजनाएं भी हैं जिसमें इंदिरा गांधी परियोजना,सरहिंद परियोजना, कौल परियोजना, नापथा झाकरी परियोजना, भाखड़ा नांगल परियोजना आदि।

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वास्तव में ये नदी विभिन्न नदियों के बीच अपना अलग स्थान रखती है और ये नदी अपनी कई विशेषताओं की वजह से सबसे ख़ास है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

Image Credit: shutterstock.com and wikipedia

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