अगर आपको घूमने फिरने का शौक है और आप ट्रिप के दौरान कुछ अलग हटकर करना चाहती हैं तो आपको एक बार वाइनयार्ड टूरिज्म की ओर थोड़ा इंट्रेस्ट दिखाना चाहिए। जी हां, आप ने किले, गुफाएं, म्यूजियम्स और नेचर टूरिज्म तो कई बार किया होगा। मगर अब ट्रैवल के क्षेत्र का विस्तार हो रहा है और कुछ यूनीक आइडियज के साथ नई जगहों को टूरिज्म से जोड़ा जा रहा है। भारत में मौजूद वाइनयार्ड्स टूरिज्म भी इसी का हिस्सा है। इस वेस्टर्न ट्रैवल कलचर को अपनाया है सुला वाइनयार्ड्स ने।
कहां है सूला वाइनयार्ड्स
मुंबई से 180 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद नासिक शहर को उसके कलचर, नेचुरल ब्यूटी और खूबसूरत वाइनयार्ड्स के लिए जाना जाता है। यहां से कुछ ही दूर एक छोटा सा गांव है डिंडोरी। हरभरे पहड़ों और सुंदर सी झील से घिरा यह गांव बेहद खूबसूरत दिखता है। इस गांव में देश का सबसे मशहूर सुला वाइनयार्ड मौजूद है। इस वाइनयार्ड के मालिक है राजीव सामंत। वर्ष 1996 में मात्र 30 एकड़ जमीन के साथ राजीव ने सुला वाइनयार्ड की शुरुआत की थी। इस वाइनयार्ड की फर्स्ट हार्वेस्ट 1999 में हुई थी। तब से इस वाइनयार्ड का दिन पर दिन विस्तार हो रहा है। अब यह फैल कर 1800 एकड़ी जमीन में फैल गया है। हर रोज यहां पर 8 से 9 हजार टन के अंगूरों को क्रश करके वाइन तैयार की जाती है। सुला वाइनयार्ड्स के चीफ वाइन मेकर करण वसानी बताते हैं, ‘ग्रेप्स ग्रोवर हमें रोज अंगूर सप्लाई करते हैं। इन अंगूरों को हम इटालियन प्रैस में क्रश करके व्हाइट और रेड वाइन तैयार करते हैं। इस वाइन की सेल न केवल भारत बल्कि दूसरे देशों में भी होती है।’
कैसे तैयार होती है वाइन
सुला वाइन यार्ड की सबसे बेस्ट बात है कि यहां पर आकर आप न केवल खूबसूरत वाइनयार्ड्स देख सकती हैं बल्कि वाइन खरीद भी सकती हैं और बनाना भी सीख सकती हैं। जी हां, इस तरह का अनोखा एक्सपीरियंस आपको केवल सुला वाइनयार्ड आकर ही हो सकता है। करण वसानी बताते हैं, ‘वाइन को लेकर लोगों में कई भ्रांतियां हैं। इन्हें दूर करने के लिए हम यहां आए टूरिस्ट्स को वाइनयार्ड टूर कराते हैं। इसमें हम लोगों को बताते हैं कि वाइन बनाई कैसे जाती है। इसके अलावा रेड वाइन और व्हाइट वाइन में क्या फर्क होता है यह भी हम उन्हें बताते हैं।’ वाइनयार्ड टूर में टूरिस्ट्स को खेतों और वाइनरी विजिट कराई जाती है। यहां अलग-अलग तरह की वाइन टेस्ट भी कराई जाती हैं। इतना ही नहीं यहां नई और पुरानी वाइन की पहचान करना भी बताया जाता है। करण वसानी बताते हैं, ‘वाइन को हमेशा कलर देख कर पीना चाहिए। अगर आप रेड वाइन पी रही हैं तो ध्यान रखें कि वाइन जितनी नई होगी उसका रंग उतना ही गहरा होगा। पूराने होने पर वाइन बैगनी रंग से लाल और लाल से ब्राउन हो जाती है। वहीं जब व्हाइट वाइन पीनी हो तो ध्यान रखें कि वाइन जितनी नई होगी उतनी ट्रांसपेरेंट होगी।’ इसके साथ ही करण ने यह भी बताया कि वाइन सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है। यह एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर होती है।
अन्य एक्टिविटीज
सुला वाइनयार्ड की खासियत है कि यहां आप वाइनरी विजिट करने के अलावा यहां ठहर भी सकती हैं। यहां पर सूला रिजॉर्ट है, जहां पर ठहरा जा सकता है। साथ ही यहां पर कैफी भी मौजूद है, जहां पर आप अपनी फैमिली के साथ लंच और डिनर के साथ वाइन का भी मजा ले सकती हैं। यहां आने का सबसे अच्छा वक्त जुलाई से सितंबर है। सर्दियों में भी यहां आया जा सकता है।
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