शांतिनिकेतन की स्थापना नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कविगुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर ने थीं। शिक्षा के क्षेत्र में किए गए उनके कार्य सराहनीय है, जैसे की उनके द्वारा स्थापित किया गया शांतिनिकेतन का विश्व-भारती विश्वविद्यालय, जो अपने आप में कई मायनों में अनोखा है। शांतिनिकेतन कला और साहित्य प्रेमियों के लिए किसी धार्मिक स्थल से कम नहीं है। यही वजह है कि कला के क्षेत्र में शिक्षा लेने यहां देश-विदेश से लोग आते है। इसे कला प्रेमियों का पसंदीदा स्थल माना जाता है। तो चलिए आज जानते है रवीन्द्रनाथ टैगोर जैसे बौद्धिक चिंतक द्वारा सजाएं गए इस सपनों के शहर के बारे में।
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शांतिनिकेतन अपने शांत वातावरण और साहित्यिक पृष्ठभूमि के लिए विश्व भर में मशहूर है। ये जगह कोलकाता से 180 किलोमीटर दूर उत्तर की ओर पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित है। शांतिनिकेतन अपने विश्व भारती विश्वविद्यालय के लिए मशहूर है लेकिन इसके अलावा भी यहां कुछ खास घुमने वाली जगहें है।
टैगोर हाउस
शांतिनिकेतन में रवींद्रनाथ जहां सबसे ज्यादा समय बिताया करते थे उसे टैगोर हाउस कहते है। टैगोर के पिता ने इस भवन का निर्माण करवाया था और इस भवन की निमार्ण शैली बंगाली पंरपरा को दर्शाता है। काफी बड़े क्षेत्र में फैला ये भवन दिखने में बेहद आकर्षक है। इसके अंदर विभिन्न कलाकृतियों से सजे कई कमरे हैं। यहां आकर आप टैगोर को बेहतर समझ सकती हैं।
कला भवन
शांतिनिकेतन के सबसे खास भवनों में से एक है कला भवन, जो इसके सांस्कृतिक धरोहर का प्रतिनिधित्व करता हैं। यहां विश्व भारती शिक्षा संस्थान है जिसकी स्थापना टैगोर ने की थी। यहां कला से जुड़े छात्रों को शिक्षा दी जाती है।
विश्व-भारती विश्वविद्यालय
इस विश्वविद्यालय में भारतीय संस्कृति और परम्परा के अनुसार दुनियाभर की किताबें पढ़ाई (स्टूडेंट वीजा पाने के नियम) जाती हैं। यहां किसी पेड़ के नीचे जमीन पर बैठकर छात्रों को पढ़ाने का चलन है। शांतिनिकेतन कला प्रेमियों को बहुत पसंद है क्योंकि ये जगह म्यूजिक, डांस, ड्रामा जैसी सांस्कृतिक कलाओं का हब है।
छातीमताला
छातीमताला को शांतिनिकेतन के मुख्य जगहों में गिना जाता है। ये जगह टैगोर द्वारा कला, ध्यान और अन्य गतिविधियों के लिए बनाया गया था। ये पूरा एरिया हरियाली से भरा हुआ है और यहां आकर आप कुछ देर शांति से एकांत में समय बीता सकते हैं।
अमर कुटीर
शांतिनिकेतन के खास दर्शनीय स्थलों में से एक है अमर कुटीर। यहां पारंपरिक शैली से बनाए गए उत्पादों को बेचा जाता है। यहां आपको कपड़ों से बने साज-सज्जा के सामान, रंग-बिरंगे हथकरघा मिल जाएंगे। यहां एक संग्रहालय भी है जहां शिल्पकलाओं को प्रदर्शित किया जाता है।
रवींद्र भारती म्यूजियम
इस म्यूजियम में रविंद्रनाथ टैगोर से जुड़ी कला-रचनाओं का बड़ा संग्रह मौजूद है। यहां साहित्यिक रचनाओं से लेकर पांडुलिपियां तक रखी हुई है। टैगोर को रचनाओं और बंगाली संस्कृति को समझने के लिए आप यहां जरूर जाएं।
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तो इस बार घूमने का प्लान बने तो शांतिनिकेतन का रूख करें। अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी तो जुड़ी रहिए हमारे साथ। इस तरह की और जानकारी पाने के लिए पढ़ती रहिए हरजिंदगी।
Photo courtesy- (thehindu.com, santiniketan.in, static2.tripoto.com, media.cntraveller.in, indiarailinfo.com)
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