ओडिशा की राजधानी और राज्य के शीर्ष पर्यटन स्थलों में से एक भुवनेश्वर, 'मंदिरों के शहर' के नाम से प्रसिद्ध है। ऐसा कहा जाता है कि एक समय ऐसा था, जब यहां हजारों मंदिर हुआ करते थे, लेकिन आज कुछ मंदिरों के केवल अंश ही बाकी हैं। भुवनेश्वर में इन मंदिरों में से अधिकांश भगवान शिव को समर्पित हैं, और ऐसा इसलिए क्योंकि शहर का नाम भी शिव के एक अन्य नाम त्रिभुवनेश्वर से आया है। ऐसा भी माना जाता है कि यह शहर शिव का प्रिय शहर था। यहां मौजूद मंदिरों को भी 8वीं-12वीं एडी सदी के दौरान बनाया गया है। भगवान शिव की अराधना करने वाले और मंदिरों के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह शहर किसी स्वर्ग से कम नहीं है। भगवान शिव के साथ-साथ यहां भगवान श्री कृष्ण, विष्णु, सूर्य, ब्रह्मा आदि के मंदिर भी हैं। आइए ऐसे ही प्राचीन और अद्भुत मंदिरों के बारे में जानें।
लिंगराज मंदिर
भुवनेश्वर के इस विशाल मंदिर को Eula शैली में बनाया गया है। इस मंदिर में छोटे-छोटे 64 मंदिर हैं, जिनमें तमाम हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं। परिसर के बीच में 180 मीटर लंबा लिंग के आकार में शिवलिंग है। इसके अलावा, नाट्य मंदिर और भोग मंडप से मिलकर बना आर्किटेक्चरल स्टाइल इसकी भव्यता के स्तर को बढ़ा देता है। अगर यहां जाएं तो बिंदुसागर टैंक के पवित्र जल में डुबकी लगाना न भूलें।
अनंत वासुदेव मंदिर
यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है, इसलिए भगवान कृष्ण और विष्णु को मानने वालों के लिए यह मंदिर उत्तम है। इस मंदिर में भगवान कृष्ण, बलराम और सुभद्रा के आकर्षक अवतार इस स्थान को सुशोभित करते हैं, जो यात्रियों को एक आलौकिक अनुभव प्रदान करता है। इस मंदिर की बनावट काफी कुछ लिंगराज मंदिर सी दिखती है, जो इसे और दिलचस्प बनाता है। मंदिर के परिसर में मूर्तियों को शानदार आभूषणों से सजाया गया है। अगर आप भुवनेश्वर में होकर अनंत वासुदेव मंदिर के दर्शन नहीं करते हैं, तो आपकी यात्रा अधूरी ही है।
राजरानी मंदिर
यह राजरानी मंदिर भुवनेश्वर के अन्य मंदिरों से काफी अलग है। इसकी संरचना में नहीं बल्कि राजरानी मंदिर का इतिहास और महत्व इसे काफी विशेष बनाता है। इस मंदिर को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। माना जाता है कि यह बीते समय में ओडिशा के राजा और रानी के विश्राम की जगह हुआ करती थी। इसके निर्माण में बलुआ पत्थरों का उपयोग किया गया है, जो इसे आकर्षक बनाते हैं। ओडिशा के इतिहास को करीब से जानने और समझने के लिए इस मंदिर के दर्शन अवश्य करने चाहिए। भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण इसे मैनेज करता है और हर साल जनवरी में तीन दिनों तक राजरानी म्यूजिक फेस्टिवल का आयोजन होता है।
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ब्रह्मेश्वर मंदिर
यह मंदिर भी भगवान शिव को समर्पित है और 60 फीट लंबा मंदिर 9वीं शताब्दी में बनवाया गया है। माना जाता है कि ब्रह्मेश्वर मंदिर पहला मंदिर था जिसका निर्माण लोहे के बीम पर किया गया है। इसे पंचतन्य शैली में क्लासीफाइड किया गया है, जिसमें एक मुख्य मंदिर और चार अन्य मंदिर हैं। इसकी सीलिंग में कमल के फूल की नक्काशी की गई है और दीवारों पर शेर के डिजाइन बने दिखेंगे। यह मंदिर भुवनेश्वर के बेहतरीन मंदिरों में से एक है। यहां भगवान शिव के ऐसे अवतारों को भी जगह दी गई है, जिन्हें देखकर आप सहम सकते हैं।
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64 योगिनी मंदिर
अगर आप भुवनेश्वर की यात्रा करें तो इस मंदिर के दर्शन करना न भूलें। यह भारत के चार योगिनी मंदिरों में से एक है। इस मंदिर से कई रहस्य जुड़े हुए हैं। मंदिर के अंदर 64 पत्थरों पर योगिनी देवी की आकृतियां बनाई गई हैं। माना जाता है कि 64 देवियों और देवी भैरवी की पूजा करने से आलौकिक शक्तियां प्राप्त होती हैं। दिलचस्प बात यह है कि इस मंदिर में छत नहीं है, ऐसा इसलिए क्योंकि माना जाता है कि योगिनी देवी रात में उड़कर घूमना पसंद करती थीं। अब इस मंदिर में महामाया नामक देवी की पूजा होती है। दशहरा और बसंती पूजा के दौरान देवी दुर्गा और योगिनी देवियों की अराधना की जाती है।
परशुरामेश्वर मंदिर
यह मंदिर भुवनेश्वर में स्थित सबसे पुराना मंदिर है और आज भी यह बिल्कुल वैसे ही खड़ा है जैसा इसे 7वीं सदी में बनाया गया था। यह मंदिर भी भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर का रखरखाव भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किया जाता है। यह ओडिशा के साथ-साथ भुवनेश्वर के प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक है। मंदिर की एक दिलचस्प विशेषता 'सप्तमातृका' है। सप्तमातृका सात देवियां हैं- ब्राह्मणी, वैष्णवी, माहेश्वरी, कौमरी, वरही, इंद्राणी और चामुंडा। यह दर्शाता है कि हर महिला जो मां है, उसके पास तमाम शक्तियां हैं।
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Image Credit : holidayfy.com, goibibo.com, ignca.gov.in, astrologicalworldmap.com,globalgeography.com,odishatourism.com
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